विशेष संवाददाता
लखनऊ । कहते हैं एक ना एक दिन वक्त जरूर बदलता है। ये वक्त ही है कि किसी को अर्श तो किसी को फर्श पर ला पटकता है। हम बात कर रहे हैं बाहुबली मुख्तार अंसारी की। पूर्वांचल में कभी जिस मुख्तार अंसारी के इशारे पर सरकारें अपना निर्णय बदल लेती थीं, आज उसी मुख्तार का बांदा में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। परिवार को इस बात की जानकारी दे दी गई है। देर रात परिवार यहां पहुंचेगा, फिर पांच डॉक्टरों का पैनल पोस्टमार्टम करेगा। इसके बाद मुख्तार का शव परिवार सौंप दिया जाएगा।
जानते हैं कैसे एक उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी का भतीजा और स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी का पोता माफिया बना…
स्वतंत्रता सेनानी रहा है परिवार
मुख्तार अंसारी के दादा डा. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे। वह कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। मुख्तार के पिता सुबहानउल्लाह अंसारी कम्युनिस्ट नेता थे और गाजीपुर की राजनीति में सक्रिय रहे। पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी भी उनके रिश्तेदार बताए जाते हैं।
बाहुबली मुख्तार अंसारी तीन भाई है। सबसे बड़े भाई सिगबतुल्ला अंसारी है। वह मोहम्मदाबाद से दो बार विधायक रहे हैं। वर्ष 2012 में सपा के टिकट पर और 2017 में कौमी एकता दल के टिकट पर चुनाव जीते। इनके बड़े बेटे सुहेब उर्फ मन्नू अंसारी गाजीपुर के मोहम्मदाबाद से सपा के विधायक हैं, जबकि दो अन्य बेटे सलमान अंसारी व सहर अंसारी स्थानीय राजनीति में सक्रिय हैं और अपना कारोबार करते हैं। दूसरे भाई अफजाल अंसारी सांसद हैं। वह 1985 से 1996 तक चार बाद सीपीआई और एक बार सपा के टिकट पर विधायक रहे।
2004 में सपा के टिकट पर लोकसभा पहुंचे और फिर 2019 में बसपा के टिकट पर सांसद बने। उनकी तीन बेटियां हैं। मुख्तार अंसारी का बेटा अब्बास अंसारी 2022 में सुभासपा के टिकट पर मऊ से विधायक है। वह इन दिनों जेल में है। वह निशानेबाजी में तीन बार राष्ट्रीय चैम्पियन रहा है। कई अंतर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी भारतीय टीम का हिस्सा रहा है। जबकि दूसरा बेटा उमर अंसारी कारोबार करता है। वह भी फरार चल रहा है।
मुख्तार अंसारी का जन्म 20 जून 1963 को नगर पालिका परिषद मुहम्मदाबाद के पूर्व चेयरमैन सुबहानुल्लाह अंसारी के रूप में हुआ था।गाजीपुर के पीजी कॉलेज से स्नातक का छात्र रहा मुख्तार अंसारी की गिनती कभी क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ियों में हुआ करती थी। मनबढ़ मुख्तार अंसारी को गलत संगत ने जरायम जगत की गंदी राह की ओर धकेल दिया। मुख्तार 80 के दशक में साधु-मकनू गैंग से जुड़ा। साधु और मकनू को अपना गुरु मानकर जरायम जगत की बारीकियों को समझा और धीरे-धीरे खुद का अपना गैंग खड़ा कर माफिया सरगना बन गया। बाहुबल से बनाई गई सियासी जमीन पर मुख्तार लगातार पांच बार विधायक चुना गया। तकरीबन 18 साल छह माह जेल में रहने के बाद सलाखों के पीछे ही बृहस्पतिवार की रात मुख्तार अंसारी की मौत हो गई।
गाजीपुर में दर्ज हैं सबसे अधिक मुकदमे
वर्ष 1997 में मुख्तार अंसारी का अंतरराज्यीय गिरोह (आईएस-191) पुलिस डोजियर में दर्ज किया गया। 25 अक्तूबर 2005 को मुख्तार जेल की सलाखों के पीछे गया तो फिर बाहर नहीं निकल पाया। इस बीच वर्ष 1996 से 2022 तक वह मऊ सदर विधानसभा से पांच बार लगातार विधायक चुना गया।
मुख्तार अंसारी के खिलाफ नई दिल्ली, पंजाब, मऊ, वाराणसी, लखनऊ, आजमगढ़, बाराबंकी, चंदौली, सोनभद्र, आगरा और गाजीपुर में संगीन धाराओं में 65 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। इसमें से सबसे ज्यादा मुकदमे उसके गृह जिले गाजीपुर में 22 से अधिक दर्ज हैं। ये मुकदमे हत्या, लूट, डकैती, अपहरण, रंगदारी, गैंगस्टर, एनएसए सहित जघन्य प्रकृति के हैं। मुख्तार अंसारी के विरुद्ध लंबित 65 अभियोगों में से 21 का विभिन्न न्यायालयों में ट्रायल चल रहा है।
अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को पहली बार उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इससे पहले उसे अधिकतम 10 साल की सजा मिली थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पंजाब की रोपड़ जेल से वापस यूपी आने के बाद मुख्तार पर कानून का शिकंजा कसता चला गया। उसे डेढ़ साल के भीतर आठ बार अलग-अलग अदालतों ने सजा सुनाई, जिससे दो बार आजीवन कारावास की सजा भी शामिल थी। इससे उसका जिंदा जेल से बाहर आना नामुमकिन हो गया था।
मुख्तार और उसका परिवार मुश्किल में
मुख्तार की बेबसी के पीछे की वजह पारिवारिक सदस्यों का जेल में या फिर अलग-अलग मामलों में फरार होना है। मऊ से विधायक बेटा अब्बास अंसारी चित्रकूट जेल में है। उसकी पत्नी निखत अंसारी भी जेल में है। पत्नी आफ्शा अंसारी फरार चल रही है। उस पर इनाम घोषित किया जा चुका है। छोटा बेटा उमर अंसारी जमानत पर है।
गाजीपुर जिले के यूसुफपुर निवासी माफिया मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया में पहली बार नाम वर्ष 1988 में हरिहरपुर के सच्चिदानंद राय हत्याकांड से सामने आया था। कुछ ही वर्षों में ही पूर्वांचल की तमाम हत्याओं और ठेकेदारी में मुख्तार का नाम खुलेआम लिया जाने लगा। सत्ता और प्रशासन का संरक्षण मिलने से मुहम्मदाबाद से निकलकर मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया में बड़ा नाम हो गया। करीब 40 साल पहले राजनीति में कदम रखने वाला मुख्तार देखते ही देखते प्रभावशाली नेता बन गया। विधानसभा में पूर्वांचल की मऊ सीट से लगातार लोगों की पहली पसंद बनकर पांच बार विधायक बना।
अपराध की दुनिया में ऐसे आया मुख्तार
मुख्तार अंसारी का जन्म 30 जून 1963 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के युसुफपुर में हुआ था। वह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मुख्तार अहमद अंसारी का पोता था। मुख्तार अंसारी मूल रूप से मखनू सिंह गिरोह का सदस्य था, जो 1980 के दशक में काफी सक्रिय था। अंसारी का यह गिरोह कोयला खनन, रेलवे निर्माण, स्क्रैप निपटान, सार्वजनिक कार्यों और शराब व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में लगा हुआ था। अपहरण, हत्या व लूट सहित अन्य आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता था। जबरन वसूली का गिरोह चलाता था।
मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में सक्रियता ज्यादा थी। 20 से भी कम की उम्र में मखनू सिंह गिरोह में शामिल होकर मुख्तार अपराध की सीढ़ियां चढ़ता रहा। जमीन पर कब्जा, अवैध निर्माण, हत्या, लूट, सहित अपराध की दुनिया के कुछ ही ऐसे काम होंगे, जिनसे मुख्तार का नाम न जुड़ा हो।
करीब 18 साल जेल में रहा मुख्तार
माफिया मुख्तार अंसारी करीब 18 साल तक जेल के सलाखों के पीछे ही रहा। मऊ दंगे के बाद मुख्तार अंसारी ने 25 अक्तूबर 2005 को गाजीपुर में आत्म समर्पण किया था और वहीं की जिला जेल में दाखिल हुआ था। मुहम्मदाबाद के फाटक निवासी मुफ्तार अंसारी चार दशक तक जरायम की दुनिया में रहा। इस दौरान कई चर्चित आपराधिक घटनाओं में मुख्तार अंसारी का नाम आया। पूर्वांचल में कभी जिस मुख्तार अंसारी के इशारे पर सरकारें अपना निर्णय बदल लेती थी, आज उसी मुख्तार का अंत हो गया।