
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। दिल्ली में वाहनों की भीड़भाड़ को कम करने और प्रदूषण से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को करोड़ों रुपये की सौगात दी है. सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय अपने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से इन प्रोजेक्ट पर काम करेगा, जिसके अंतर्गत शिवमूर्ति से नेल्सन मंडेला रोड तक अंडरग्राउंड टनल, नई एलिवेटेड रोड और दिल्ली से कटरा और अमृतसर हाइवे जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स बनेंगे. वहीं सराय काले खां से आइजीआई एयरपोर्ट तक टनल का निर्माण, प्रमुख सड़कों को सिग्नल-फ्री, ड्रेनेज और साइड लेन का निर्माण और दिल्ली के ठोस कचरे का उपयोग सड़कों के निर्माण में किया जाएगा.
इसके अलावा रेलवे क्रॉसिंग पर जाम से मुक्ति के लिए रेलवे ओवर ब्रिज (ROB) और रेलवे अंडर ब्रिज (RUB) निर्माण को भी मंजूरी मिल गई है. मंत्रालय, दिल्ली सरकार को सहयोग देने के लिए वर्तमान व आगामी प्रोजेक्ट के लिए करीब 1.25 लाख करोड़ रुपये खर्च कर रहा है. इस मसले पर बुधवार को केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई.
आने वाले प्रोजेक्ट्स का डीपीआर तैयार
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि वर्तमान में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा 35,000 करोड़ रुपये की लागत से कई परियोजनाएं दिल्ली में कार्यान्वित की जा रही हैं. इससे पहले, 64,000 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न प्रोजेक्ट पूरे किए जा चुके हैं. साथ ही, 24,000 करोड़ रुपये की लागत से शुरू होने वाले आगामी प्रोजेक्ट्स का डीपीआर तैयार हो चुका है.
इन परियोजनाओं पर काम शुरू
उनके अनुसार, दिल्ली में वाहनों की भीड़ को कम करने (डीकंजेस्ट) करने और प्रदूषण मुक्त बनाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं, जिनमे शिव मूर्ति से नेल्सन मंडेला रोड तक लगभग 7 किलोमीटर लंबी अंडरग्राउंड टनल का निर्माण, आईएनए से एयरपोर्ट तक एलिवेटेड रोड, जो आगे फरीदाबाद और गुरुग्राम को जोड़ेगा, इस पर भी एलिवेटेड रोड बनाने का काम शुरू होगा, दिल्ली से कटरा व अमृतसर को जोड़ने वाला हाइवे, जो अर्बन एक्सटेंशन रोड (UER)-II से कनेक्ट होगा और UER-II का दूसरा एक्सटेंशन, जो अलीपुर से ट्रोनिका सिटी और दिल्ली–देहरादून मार्ग को जोड़ेगा. इससे हरियाणा से देहरादून और नोएडा तक बिना दिल्ली में प्रवेश किए यातायात सुगम होगा. इसके अलावा, सराय काले खां से आईजीआई एयरपोर्ट तक टनल के निर्माण की भी फिजिबिलिटी स्टडी की जा रही है.
ड्रेनेज सिस्टम आदि भी बनाएगा एनएचएआई
सीएम रेखा गुप्ता ने कहा कि केंद्र के परिवहन मंत्रालय और दिल्ली सरकार के बीच हुई बातचीत से सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. रोहतक रोड, पंजाबी बाग से आगे नांगलोई, आश्रम से बदरपुर और एमजी रोड जैसे प्रमुख मार्ग अब एनएचएआई (NHAI) को हैंडओवर कर दिए गए हैं. इन सभी सड़कों को सिग्नल फ्री बनाया जाएगा और इसका कार्य जल्द शुरू होगा. अब एनएचएआई सड़कों का निर्माण के साथ साथ उसके ड्रेनेज सिस्टम, साइड लेन और अन्य आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर भी बनाएगी. इससे पहले जहां मल्टीपल एजेंसियों के कारण जलभराव या ड्रेनेज जैसी समस्याएं होती थीं, अब वे पूरी तरह एनएचएआई द्वारा अपने खर्चे पर हल की जाएंगी. इस प्रक्रिया में पीडब्ल्यूडी भी सहयोग करेगा.
ट्रैफिक का दबाव होगा कम
उन्होंने एक महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी परियोजना के लिए केंद्र सरकार का आभार किया. साथ ही कहा कि इंदरलोक मेट्रो स्टेशन से मुनक नहर के किनारे होते हुए सोनीपत तक लगभग 20 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण किया जाएगा. यह परियोजना हरियाणा और दिल्ली के बीच यात्रा करने वाले बड़ी संख्या में यात्रियों को लाभ पहुंचाएगी, जो फिलहाल केवल आजादपुर से मुकरबा चौक होते हुए हाईवे का ही उपयोग कर पाते हैं. इस नई सड़क के निर्माण से दिल्ली की प्रमुख सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव कम होगा, विशेष रूप से पश्चिमी दिल्ली के निवासियों को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा. इस परियोजना का विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) जल्द तैयार किया जाएगा और एनएचएआई इसे प्राथमिकता के आधार पर कार्यान्वित करेगा.
वेस्ट मैटेरियल का किया जा रहा इस्तेमाल
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने यह भी कहा कि आरयूबी (RUB) और आरओबी (ROB)- यानि रोड अंडर ब्रिज और रोड ओवर ब्रिज के निर्माण के लिए एनएचएआई की तरफ से 150 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है. वहींं केंद्र सरकार की तरफ से दिल्ली में ट्रैफिक डीकंजेशन के लिए करीब 1.25 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स शुरू किए गए हैं. उन्होंने इस बात की सराहना की, कि एनएचएआई की तरफ से सड़कों के निर्माण में दिल्ली के ठोस कचरे और निर्माण अपशिष्ट (waste/inert material) का पुनः उपयोग किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बैठक में यह बात दोबारा स्पष्ट की गई कि आगे भी दिल्ली में बनने वाली सभी नई सड़कों में अधिकतम मात्रा में वेस्ट मैटेरियल का इस्तेमाल किया जाएगा. इससे जहां कूड़े के पहाड़ों को कम करने में मदद मिलेगी, वहीं सड़कों के निर्माण में भी यह संसाधन के रूप में उपयोग आएगा.



