
विशेष संवाददाता
लोनी। इस बार लोनी में बकरीद का त्योहार एक अलग और सराहनीय अंदाज़ में मनाया गया। लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर की अपील पर मुस्लिम समुदाय ने पारंपरिक कुर्बानी के स्थान पर केक के रूप में सांकेतिक बकरे की कुर्बानी देकर इको-फ्रेंडली बकरीद मनाई। यह अनूठा आयोजन डाबर तालाब, नसबंदी कॉलोनी समेत लोनी के कई इलाकों में देखने को मिला, जहां मुस्लिम समाज के लोगों ने पर्यावरण के प्रति जागरूकता और सामाजिक सौहार्द का संदेश दिया।
सांकेतिक कुर्बानी, वास्तविक एकता
इस मौके पर मुस्लिम समुदाय ने पारंपरिक रूप से एक-दूसरे को ईद की बधाई दी और बकरे की जगह केक काटकर प्रतीकात्मक कुर्बानी दी। इस पहल ने त्योहार की परंपरा और आस्था को बनाए रखते हुए पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सद्भाव का भी संदेश दिया।
विधायक ने सराहा समुदाय का कदम
विधायक नंदकिशोर गुर्जर भी इस अनूठे आयोजन में मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि लोनी के मुस्लिम समुदाय ने फिर साबित कर दिया है कि वे राष्ट्रवादी सोच रखने वाले प्रगतिशील नागरिक हैं। यह एक ऐतिहासिक पहल है जो दिखाती है कि राष्ट्रहित सबसे ऊपर है। आने वाले समय में देशभर के मुस्लिम लोनी के इस उदाहरण को अपनाएंगे। विधायक ने यह भी कहा कि इस प्रकार की पहलें सामाजिक एकता और भाईचारे को मजबूत करती हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि धार्मिक पर्वों को मनाते समय पर्यावरण और समाज के प्रति भी जिम्मेदारी निभाई जाए।
सांकेतिक कुर्बानी, वास्तविक एकता
इस मौके पर मुस्लिम समुदाय ने पारंपरिक रूप से एक-दूसरे को ईद की बधाई दी और बकरे की जगह केक काटकर प्रतीकात्मक कुर्बानी दी। इस पहल ने त्योहार की परंपरा और आस्था को बनाए रखते हुए पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सद्भाव का भी संदेश दिया।
विधायक ने सराहा समुदाय का कदम
विधायक नंदकिशोर गुर्जर भी इस अनूठे आयोजन में मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि लोनी के मुस्लिम समुदाय ने फिर साबित कर दिया है कि वे राष्ट्रवादी सोच रखने वाले प्रगतिशील नागरिक हैं। यह एक ऐतिहासिक पहल है जो दिखाती है कि राष्ट्रहित सबसे ऊपर है। आने वाले समय में देशभर के मुस्लिम लोनी के इस उदाहरण को अपनाएंगे। विधायक ने यह भी कहा कि इस प्रकार की पहलें सामाजिक एकता और भाईचारे को मजबूत करती हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि धार्मिक पर्वों को मनाते समय पर्यावरण और समाज के प्रति भी जिम्मेदारी निभाई जाए।
लोगों में दिखा उत्साह
स्थानीय लोगों ने भी इस कदम का स्वागत किया और कहा कि यह एक सकारात्मक बदलाव है जो भविष्य में एक नई परंपरा का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। बच्चों और युवाओं ने भी उत्साह के साथ इस आयोजन में हिस्सा लिया। लोनी में बकरीद का यह इको-फ्रेंडली स्वरूप न केवल एक नई सोच और संवेदनशीलता का प्रतीक बना, बल्कि यह भी दिखाया कि धार्मिक परंपराएं निभाई जा सकती है जिम्मेदारी और सामूहिक समझदारी के साथ।



