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फिलिस्तीन-हमास से मोहब्बत, टाटा से नफरत… ये है भारत के इस्लामी कट्टरपंथियों की हकीकत

इस्लामी कट्टरपंथी टाटा समूह के इजरायल के साथ कथित व्यापारिक संबंधों का विरोध कर रहे हैं.... जमात-ए-इस्लामी का हाथ होने की आशंका

विशेष संवाददाता

नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से टाटा समूह के खिलाफ देशभर में इस्लामी कट्टरपंथी प्रदर्शन कर रहे हैं। इनका नेतृत्व इंडियन पीपुल इन सॉलिडेरिटी विद फिलिस्तीन (IPSP) नाम का एक संगठन कर रहा है। यह विरोध प्रदर्शन हमास और फिलिस्तीन समर्थक कई इस्लामी संगठनों द्वारा आयोजित किए जा रहे हैं।

प्रदर्शनकारी टाटा समूह के इजरायल के साथ कथित व्यापारिक संबंधों का विरोध कर रहे हैं। वह टाटा समूह के उत्पादों का बहिष्कार करने की अपील कर रहे हैं। ये आंदोलन पूरे देश में अलग-अलग जगह किए जा रहे हैं और इनका उद्देश्य फिलिस्तीन का समर्थन है।

पिछले कुछ दिनों से टाटा समूह के खिलाफ देशभर में इस्लामी कट्टरपंथी प्रदर्शन कर रहे हैं। इनका नेतृत्व इंडियन पीपुल इन सॉलिडेरिटी विद फिलिस्तीन (IPSP) नाम का एक संगठन कर रहा है। यह विरोध प्रदर्शन हमास और फिलिस्तीन समर्थक कई इस्लामी संगठनों द्वारा आयोजित किए जा रहे हैं।

प्रदर्शनकारी टाटा समूह के इजरायल के साथ कथित व्यापारिक संबंधों का विरोध कर रहे हैं। वह टाटा समूह के उत्पादों का बहिष्कार करने की अपील कर रहे हैं। ये आंदोलन पूरे देश में अलग-अलग जगह किए जा रहे हैं और इनका उद्देश्य फिलिस्तीन का समर्थन है।

ऐसा ही एक प्रदर्शन केरल के कालीकट में 28 मई, 2025 को जमात-ए-इस्लामी हिंद की छात्र शाखा, स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन (SIO) ने टाटा के स्वामित्व वाले फैशन ब्रांड ज़ूडियो के आउटलेट के बाहर किया।

यहाँ इन प्रदर्शनकारियों ने फिलिस्तीन के समर्थन में तख्तियाँ उठाईं, नारे लगाए और काफ़ियाह पहनकर ईद से पहले टाटा उत्पादों के बहिष्कार की अपील की।

IPSP और SIO ने दिल्ली, पुणे, मुंबई, पटना, विशाखापट्टनम, चंडीगढ़, रोहतक और विजयवाड़ा में टाटा समूह के स्वामित्व वाले ब्रांडों के स्टोर्स के बाहर सामूहिक विरोध प्रदर्शन आयोजित किए हैं। इन प्रदर्शनों का उद्देश्य टाटा के इज़राइल से कथित संबंधों के विरोध में आवाज उठाना था। इसके अलावा फिलिस्तीन के समर्थन में इन उत्पादों का बहिष्कार करना भी था।

SIO ने एक ऑनलाइन अभियान शुरू किया है, जिसमें मुस्लिमों से ईद के मौके पर टाटा के स्वामित्व वाले ब्रांड जैसे ज़ूडियो और वेस्टसाइड से खरीदारी न करने की अपील की गई। इसके साथ ही संगठन ने ज़ारा, एडिडास, H&M, टॉमी हिलफिगर, कैल्विन क्लेन, विक्टोरिया सीक्रेट, टॉम फोर्ड, स्केचर्स, प्राडा, डायर और शनेल जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों के बहिष्कार करने की अपील की। इसके पीछे भी इनका इजरायली संबंध कारण बताया गया।

हमास समर्थकों के निशाने पर क्यों है टाटा समूह?
SIO ने टाटा समूह पर आरोप लगाया है कि वह इजरायल के साथ व्यापारिक संबंधों के ज़रिए गाजा में ‘नरसंहार को बढ़ावा’ दे रहा है। SIO कालीकट के अध्यक्ष मुहम्मद शफाक का दावा है कि टाटा समूह इजरायल को बख्तरबंद लैंड रोवर गाड़ियाँ देता है, जिनका इस्तेमाल न केवल गाजा में बल्कि ‘कश्मीर के कब्जे वाले क्षेत्रों’ में भी गश्त के लिए किया जाता है।

शफाक ने यह भी आरोप लगाया कि टाटा की फैक्ट्रियों में बनी मिसाइलें गाजा में इजरायल द्वारा इस्तेमाल की जा रही हैं, जो एक भारतीय ब्रांड के लिए बेहद चिंताजनक है। उसने कहा कि SIO अन्याय के खिलाफ सीमाओं की परवाह किए बिना खड़ा रहता है, चाहे वह गाजा हो या अमेरिका के गोरे समुदाय के लोग ।

ध्यान देने वाली बात यह है कि SIO ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा पहलगाम में 26 हिंदू पर्यटकों की हत्या या भारत विरोधी तुर्की के रवैये के खिलाफ कोई बहिष्कार अभियान अभी तक नहीं चलाया है।

टाटा और अन्य ब्रांडों के खिलाफ यह राष्ट्रव्यापी बहिष्कार अभियान इजरायल के खिलाफ शुरू किए गए BDS (बॉयकॉट, डिसइन्वेस्टमेंट और सैंक्शन) आंदोलन से प्रेरित बताया जा रहा है। यह आंदोलन यहूदी विरोधी माना जाता है।

वैश्विक बीडीएस आंदोलन क्या है?
मुस्लिम ब्रदरहुड, जमात और अन्य इस्लामी संगठनों द्वारा चलाया जा रहा BDS आंदोलन इजरायल के खिलाफ एक्शन की वकालत करता है। इसके तहत इजरायली उत्पादों का बहिष्कार, निवेश की वापसी और आर्थिक व राजनीतिक प्रतिबंध शामिल हैं।

इस आंदोलन की स्थापना 2005 में कतर में जन्मे फिलिस्तीनी कार्यकर्ता उमर बरगौटी ने की थी और इसमें 100 से अधिक संगठन शामिल हैं, जिनमें आतंकवादी संगठन अल-हक़ (जो मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़ा है) और ‘PLFP’ शामिल हैं।

2009 में ब्रसेल्स में इस आंदोलन के तहत फिलिस्तीन पर रसेल ट्रिब्यूनल की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य इजरायल के खिलाफ वैश्विक एजेंडा चलाना था। जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन ने कथित तौर पर अल-हक़ को 2009 में 2 लाख डॉलर (लगभग ₹1.70 करोड़) और 2016 से 2020 के बीच 2 मिलियन डॉलर (लगभग ₹18 करोड़) की फंडिंग दी थी।

भारत में कैसे आया BDS आंदोलन?
2021 में BDS आंदोलन भारत तक तब पहुँचा जब मुस्लिम ब्रदरहुड, कतर, अल-जज़ीरा, तुर्की और पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे के बहाने भारत के खिलाफ अभियान शुरू किया। इसके तहत इजरायल के खिलाफ स्थापित रसेल ट्रिब्यूनल की तर्ज पर बोस्निया में ‘कश्मीर के लिए रसेल ट्रिब्यूनल’ की स्थापना की गई।

इसका पहला सत्र दिसंबर 2021 में सेराजेवो और हर्जेगोविना में हुआ। इसका आयोजन भारत विरोधी इस्लामी कट्टरपंथी संगठन कश्मीर सिविटास ट्रिब्यूनल, वर्ल्ड कश्मीर अवेयरनेस फोरम, इटली के परमानेंट पीपुल्स ट्रिब्यूनल और नाहला (सेंटर फॉर एजुकेशन एंड रिसर्च) एवं जाबिर बाल्कन के सहयोग से किया था।

इसके बाद मार्च 2022 में कश्मीर सिविटास ने एक 32 पेज का टूलकिट भी जारी किया इसमें भारत के खेल, सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्थानों के बहिष्कार, कंपनियों पर भारत से निवेश वापस लेने और व्यापारिक संबंध खत्म करने का दबाव बनाने, भारत पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने और सैन्य समझौतों को समाप्त करने जैसी अपील शामिल थीं।

अगस्त 2019 में मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद AMP नाम के इस्लामी संगठन ने इस पर प्रलाप किया और इसके संस्थापक हेटम बाजियन को बाद में कश्मीर के लिए रसेल ट्रिब्यूनल में जज नियुक्त किया गया। AMP को पाकिस्तान समर्थित संगठनों ‘स्टैंड विद कश्मीर’ और ‘साउंड विजन’ से समर्थन प्राप्त है।

यह संगठन जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान से कनेक्शन रखते हैं। टाटा समूह और अन्य भारतीय ब्रांडों के खिलाफ इस्लामी संगठनों द्वारा चलाया जा रहा बहिष्कार अभियान, इज़राइल विरोधी रणनीति की हूबहू नकल है। हालाँकि, इन्हें आम जनता की कोई भी सहानूभूति हासिल नहीं है।

 

 

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