
विशेष संवाददाता
जम्मू। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले को लेकर विधानसभा में विशेष सत्र आयोजित किया गया है। पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए सदन में एक प्रस्ताव पास किया गया है। इस प्रस्ताव में केंद्र सरकार के उन कदमों का भी समर्थन किया गया जो 23 अप्रैल को ‘कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी’ की बैठक के बाद उठाए गए थे।
उप मुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने विधानसभा में यह प्रस्ताव रखा है। प्रस्ताव में कहा गया कि पहलगाम हमला कश्मीरियत, संविधान और जम्मू-कश्मीर में शांति और एकता की भावना पर हमला है।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सत्र में कहा कि ये हमला पहली बार नहीं है, इससे पहले भी हमने कई हमले देखे हैं पहलगाम में यात्रा के कैंप पर हमले पर हमला होते देखा है, हमने डोडा में हमला होते देखे हैं हमने कश्मीरी पंडितों की बस्तियों पर हमले होते देखे, हमने सरदारों की बस्तियों पर हमले होते देखे। लेकिन अब ये 21 साल के बाद इतना बड़ा हमला हुआ है।
सीएम अब्दुल्ला ने कहा, “हम बंदूक के जरिए आतंकवाद को नियंत्रित कर सकते हैं उसे खत्म नहीं कर सकते।”
उन्होंने ये भी कहा कि जम्मू कश्मीर की सिक्योरिटी जम्मू कश्मीर की निर्वाचित सरकार की जिम्मेदारी नहीं, लेकिन मैं यह मौका इस्तेमाल स्टेटहुड के लिए नहीं करूंगा। इस मौके पर कोई सियासत नहीं, कोई स्टेटमेंट नहीं, सिर्फ हमल कड़ी निंदा होनी चाहिए।
मारे गए पर्यटकों के लिए रखा गया 2 मिनट का मौन
जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने सोमवार को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए 26 लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा।
जैसे ही सदन का विशेष सत्र शुरू हुआ, स्पीकर अब्दुल रहीम राठेर ने देश के विभिन्न हिस्सों से आए निर्दोष पर्यटकों की हत्या की निंदा की। उन्होंने कहा, ‘हम पीड़ितों को श्रद्धांजलि देते हैं और उन परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है।’
आतंकी हमले में 26 लोगों की हुई थी मौत
22 अप्रैल को आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के मिनी स्विट्जरलैंड कहलाए जाने वाले अनंतनाग जिले के पहलगाम के पर्यटन स्थल बैसरन में पर्यटकों पर गोलीबारी की, इसमें 26 लोगों की हत्या की गई।



