शिक्षा

बच्चों का दिमाग पढ़कर होने वाली करियर काउंसलिंग में बढ़ रहा पेरेंट्स का रुझान

नई दिल्ली। आज के आधुनिक युग में हर माता-पिता अपने बच्चे के भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं. हर कोई अपने बच्चों को डॉक्टर और इंजीनियर बनाना चाहता है. लेकिन अक्सर बच्चे माता पिता की महत्वकांशाओं से दबकर उस क्षेत्र का चुनाव कर लेते हैं, जिसमें ना ही उनकी रुचि होती है और न ही हुनर जिसके चलते वे बार-बार असफल होते हैं और तनाव में चले जाते हैं. कई बार तो आत्महत्या जैसा कदम भी उठा लेते हैं.

ऐसे में ब्रेन बिहेवियर रिसर्च फाउंडेशन ऑफ इंडिया (बीबीआरएफआई) द्वारा फोर डाइमेंशनल ब्रेन एनालिसिस तकनीक इजाद की गई है, जिसके चलते बच्चों और युवाओं को अपना व्यवसाय चुनने के लिए उचित मार्गदर्शन दिया जा सकेगा. इस तकनीक के जरिए वो जान सकेंगे कि किस क्षेत्र में काम करने के लिए बने हैं और कहां उन्हें सफलता मिलेगी. साथ ही इससे उनका मानसिक और शारीरिक दोनों स्वास्थ्य बना रहेगा.

फोर डी तकनीक के जरिए मस्तिष्क का विश्लेषण

अगर आप भी अपने बच्चे के भविष्य को लेकर परेशान हैं और नहीं समझ पा रहे कि किस क्षेत्र के लिए बच्चे को तैयार किया जाए तो अब विज्ञान इसमें आपकी मदद करेगा. बता दें कि बीबीआरएफआई द्वारा फोर डाइमेंशनल ब्रेन एनालिसिस तकनीक इजाद की गई है, जिसके जरिए किसी के भी मस्तिष्क का विश्लेषण कर यह बताया जा सकता है कि वो किस क्षेत्र में कार्य करने के लिए बना है. वहीं इस तकनीक की कार्यप्रणाली के बारे में बताते हुए बीबीआरएफआई के डेवलपमेंट डायरेक्टर अभिनव आचार्य ने बताया कि इस फोर डी तकनीक के तहत न्यूरोलॉजिकल मैपिंग, बायोलॉजिकल मैपिंग, साइक्लोजिकल मैपिंग और डीएनए टेस्ट के जरिए जेनेटिक मैपिंग की जाती है.
इस दौरान व्यक्ति के सामने कई परिस्थितियां रखी जाती है और देखा जाता है कि वो अपने आप को उस परिस्थिति में किस तरह रेट करता है. इस तरह इस पूरी तकनीक के जरिए यह बताया जा सकता है कि व्यक्ति के अंदर इनबिल्ट टैलेंट क्या है और वो किस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है.

अभिभावकों का बढ़ रहा है रुझान

वहीं अभिनव आचार्य ने बताया कि इस तकनीक की तरफ सबसे ज्यादा रुझान अभिभावकों का बढ़ रहा है, जो अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं और जानना चाहते हैं कि किस क्षेत्र के लिए अपने बच्चे को तैयार करना है.
नामी कंपनियां भी कर्मचारियों का एनालिसिस करवा रही हैं. वहीं अभिनव ने बताया कि केवल बच्चों के अभिभावक या युवा ही नहीं बल्कि गेल इंडिया, आईजीएल और पतंजलि जैसी कंपनियां भी अपने कर्मचारियों की सही योग्यता जानने के लिए इस तकनीक का लाभ उठा रही हैं, जिससे हर पद के लिए उचित कर्मचारी को नियुक्त किया जा सके.

बच्चों के लिए सबसे उपयोगी

अभिनव ने बताया कि अक्सर मां-बाप अपनी महत्वाकांक्षाएं बच्चों पर लाद देते हैं और उन्हें ऐसे क्षेत्र में जाने के लिए मजबूर कर देते हैं, जिसमें बच्चे की ना रुचि है ना बच्चा क्षेत्र में काम करने के लिए बना है. ऐसे में बच्चा तनाव का शिकार हो जाता है और कई बार आत्महत्या भी कर लेता है लेकिन इस तकनीक के जरिए अब अभिभावक पहले ही यह जान सकेंगे कि किस क्षेत्र में भेजना उनके बच्चे के लिए सहित रहेगा.

सबसे महंगा होता है डीएनए टेस्ट

इस टेस्ट में लगने वाली लागत को लेकर अभिनव ने बताया कि बुनियादी तौर पर यह टेस्ट 4000 रुपए में हो जाता है लेकिन सबसे ज्यादा लागत लगती है डीएनए टेस्ट में. डीएनए टेस्ट के साथ इसकी कीमत 9000 रुपए तक हो जाती है.
वहीं इस टेस्ट द्वारा निकलने वाले परिणामों को लेकर अभिनव का कहना है कि वैज्ञानिक तौर पर भी यह परिणाम पुख्ता होते हैं क्योंकि व्यक्ति का मानसिक विश्लेषण कर यह परिणाम दिया जाता है. इसीलिए जैसे जन्मकुंडली होती है वैसे ही यह कार्य कुंडली है इसलिए इसका नाम ब्रैनेस्कोप दिया गया है.
बता दें कि ब्रेन बिहेवियर रिसर्च फाउंडेशन ऑफ इंडिया (बीबीआरएफआई) फोर डी तकनीक के जरिए बच्चों और युवाओं को उनका व्यवसाय चुनने में एविडेंस बेस्ड गाइडेंस और सजेशन देती है.

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