
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच जारी गतिरोध के बीच हड़ताल खत्म करने का एलान किया गया है। बृहस्पतिवार को दिल्ली की सभी 6 जिला अदालतों में काम होगा। इससे पहले दिल्ली पुलिस और वकीलों में पांचवें दिन भी जारी गतिरोध के बीच बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने दिल्ली पुलिस के परिजनों और लोगों की ओर स्लोगन पर बहुत एतराज जताया था। बीसीआइ ने कहा था कि आजादी के बाद इतिहास का सबसे काला दिन मंगलवार रहा। ऐसा लग रहा है कि यह राजनीति के तहत किया जा रहा है जो बेहद शर्मनाक है।
पूर्वी दिल्ली में पुलिस-वकील नजर आए एकसाथ
वहीं, इससे पहले गतिरोध के बीच पूर्वी दिल्ली में बुधवार पुलिस और वकील साथ-साथ नजर आए। वकीलों के साथ कोर्ट के चौकी इंचार्ज गिरीश जैन दिखे। यहां पर वकीलों ने कहा चौकी के पुलिस वालों को कुछ नहीं होने देंगे। पुलिस सिविल ड्रेस में कोर्ट की सुरक्षा कर रही है।
वहीं, मंगलवार को पुलिसकर्मियों के धरना-प्रदर्शन के बाद अब बुधवार को वकीलों ने भी प्रदर्शन की राह पकड़ ली है। बार काउंसिल के आदेश के बावजूद वकीलों की हड़ताल जारी है। दिल्ली की सभी निचली अदालतों में कामकाज ठप है। साकेत, रोहिणी, पटियाला हाउस और कड़कड़डूमा कोर्ट के गेट वकीलों ने बंद कर दिए हैं। अपने मुकदमे के लिए कोर्ट आए लोग मायूस होकर जाने के लिए मजबूर हैं।
रोहिणी कोर्ट में आत्मदाह की कोशिश
इस बीच रोहिणी कोर्ट में एक वकील ने आत्महत्या की कोशिश की। वकील का नाम आशीष चौधरी बताया जा रहा है। वकील आशीष की मानें तो उसने अपने आत्मसम्मान के लिए आत्मदाह की कोशिश की। आशीष ने पुलिस के मंगलवार के प्रदर्शन पर नाराजगी जताई जिसमें उन्होंने अपने परिवार-बच्चों तक को शामिल किया। आशीष का यह भी कहा है कि पुलिस दिल्ली के वकीलों की छवि खराब करने की कोशिश कर रही है।
हड़ताल खत्म करें बार काउंसिल: बीसीआइ
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने विभिन्न बार निकायों को पत्र लिखकर कहा है कि मारपीट में शामिल वकीलों की पहचान करें और सभी बार विरोध-प्रदर्शन समाप्त करें। अगर ऐसा नहीं होता है तो बीसीआइ इस पूरे प्रकरण से समर्थन वापस ले लेगी। इससे संस्था का नाम खराब हो रहा है।
बीसीआइ के चेयरमैन मनन कुमार मिश्र ने पत्र में कहा कि इस तरह के उपद्रव से अधिवक्ताओं की छवि धूमिल होती है। किसी भी बार को ऐसे अधिवक्ताओं को प्रोत्साहन नहीं देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में संज्ञान लेकर कार्रवाई कर सकता है। साकेत अदालत के कुछ वकीलों द्वारा बाइक सवार पुलिसकर्मी की पिटाई की गई। वहीं ऑटो चालक से मारपीट व आम जनता के साथ हुई बदसुलूकी को बार काउंसिल ऑफ इंडिया बर्दाश्त नहीं करेगा। दिल्ली हाई कोर्ट के इतने बेहतर कदम के बावजूद वकील यह सब कर रहे हैं, उससे बीसीआइ सहमत नही हैं। अदालत को इस तरह से ठेस पहुंचाना या हिंसा का सहारा लेना वकीलों के लिए मददगार नहीं हो सकता। बल्कि ऐसा करने से वकील अदालतों, जांच कर रहे पूर्व जज, सीबीआइ, आइबी और विजिलेंस की सहानुभूति खो देंगे। आम जनता की राय भी वकीलों के प्रतिकूल चल रही है। इसका परिणाम खतरनाक हो सकता है।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने ऐसे अधिवक्ताओं का ब्योरा भी मांगा है, जो मारपीट की घटनाओं में लिप्त रहे। वकीलों को कोई परेशानी न हो इसके लिए बार नेताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न्यायिक जांच के दौरान कोई भी बात उनके प्रतिकूल न जाए। इधर दिल्ली जिला अदालत बार एसोसिएशन की कोआर्डिनेशन कमेटी के महासचिव धीर सिंह कसाना ने कहा है कि जिस वादी को अपने केस की पैरवी के लिए जाना है, वह जा सकता है। लेकिन, आंदोलन की सफलता के लिए शांतिपूर्ण हड़ताल बुधवार को भी जारी रहेगी।
प्रदीप माथुर (अध्यक्ष, दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन) का कहना है कि साकेत की घटना के बाद प्रतिक्रिया के रूप में जो प्रदर्शन हो रहा है, उससे मुख्य मुद्दा बाहर हो गया। पुलिसकर्मी उकसावे वाली प्रतिक्रिया दे रहे हैं। न्यायिक जांच पूरी होने देने के बजाय एक-दूसरे को गलत साबित करने की कोशिश की जा रही है। साकेत की घटना पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है। अनुशासित पुलिस ऐसा बर्ताव करे इससे मैं सहमत नहीं हूं।



