
गाजियाबाद। देश भर में जल संरक्षण अभियान चल रहा है। इस अभियान के बीच कलक्ट्रेट में लगे सरकारी टैंक से पानी ओवरफ्लो होकर बर्बाद हुआ तो डीएम अजय शंकर पांडेय ने अपने अधिकारियों और खुद पर अर्थदंड लगाया। यूपी में यह पहला मामला है जब किसी डीएम ने खुद पर भी जुर्माना लगाया हो। ‘पश्चाताप शुल्क’ के रूप में 10 हजार की रकम फिलहाल डीएम ने अपनी जेब से नजारत में जमा करा दी है। यह रकम कलक्ट्रेट में बैठने वाले 30 अधिकारियों और 100 कर्मचारियों से वसूल की जाएगी। डीएम के अर्थदंड लगाने का यह मामला कलक्ट्रेट में दिन भर चर्चाओं में रहा।
सुबह करीब 9:30 बजे डीएम अजय शंकर पांडेय अपने कार्यालय पहुंचे थे। अपने दफ्तर की साफ-सफाई करने के बाद वह विश्राम कक्ष में पहुंचे तो पानी गिरने की आवाज सुनाई दी। स्टाफ को बुलाकर उन्होंने पूछा कि पानी कहां से गिर रहा है तो पता चला कि विश्राम कक्ष के पीछे रखे टैंक से ओवरफ्लो होकर पानी बह रहा है। कर्मचारियों से पूछने पर पता चला कि करीब 10 मिनट से पानी इसी तरह बह रहा है।
पानी की बर्बादी का आकलन कर डीएम ने 10 हजार रुपये का जुर्माना कलक्ट्रेट में बैठने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर रोपित किया। कलक्ट्रेट के मुखिया होने के नाते जुर्माने की इस सूची में उन्होंने सबसे पहले अपना नाम लिखा। उन्होंने जुर्माने के रूप में आरोपित की गई 10 हजार की रकम नजारत में जमा करा दी।
जल संरक्षण में खर्च होगी रकम
डीएम ने 10 हजार रुपये की रकम में से 30 अधिकारियों पर 100-100 रुपये और 100 कर्मचारियों पर 70-70 रुपये जुर्माना लगाया गया है। यह रकम जल संरक्षण के कार्यों में खर्च की जाएगी। बुधवार को संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों से जुर्माने की राशि ली जाएगी।
जल संरक्षण करना सभी की जिम्मेदारी है फिर चाहे वह अधिकारी हो या कर्मचारी। पानी की बर्बादी पर पश्चाताप शुल्क के रूप में अर्थदंड लगाया गया है। यह रकम सरकारी कोष में जमा करा दी गई है और जल संरक्षण में इसका प्रयोग किया जाएगा। – अजय शंकर पांडेय, डीएम



