
नई दिल्ली। 7 सितंबर को ISRO को अपने सबसे महत्वकांक्षी मिशन चंद्रयान 2 पर आंशिक असफलता हाथ लगी थी, जब उसका चांद की सतह से कुछ दूरी पर ही विक्रम लैंडर से संपर्क टूटा था। इसरो चीफ और टीम, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पूरा देश इस बात से निराश था कि चांद की सतह से महज 2.1 किमी दूरी पर उसका लैंडर से संपर्क टूट गया। लेकिन अब इसको लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है।
2.1 किमी नहीं 335 मीटर पर खोया संपर्क
दावा किया जा रहा है कि इसरो सेंटर का विक्रम लैंडर से संपर्क 2.1 किमी दूरी पर नहीं बल्कि सिर्फ 335 मीटर की ऊंचाई पर टूटा था। यह दावा एक तस्वीर के आधार पर किया जा रहा है। यह तस्वीर 7 सितंबर को विक्रम लैंडर की चांद पर लैंडिंग की है। इस तस्वीर पर गौर किया जाए तो साफ पता चलता है कि संपर्क 335 मीटर की ऊंचाई पर खोया था।
ग्राफ से सच आया सामने
लैंडिंग की रात को पूरा देश इसरो के मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स (MOX) की स्क्रीन पर लगे एक ग्राफ के माध्यम से विक्रम लैंडर की लैंडिंग देख रहा था। इसी ग्राफ से यह सच्चाई सामने आई है। ग्राफ में तीन लाइन देखी जा रही थी, जिसमें बीच की लाल रंग की रेखा चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का रास्ता दर्शा रही थी। यह लाइन इसरो वैज्ञानिकों की ओर से विक्रम लैंडर के लिए पूर्व निर्धारित मार्ग था। हालांकि, विक्रम लैंडर का असली टाइम पाथ हरे रंग की लाइन में दिख रहा था, जो कि लैंडर के सफर के साथ-साथ लाल लाइन के ऊपर ही बनता जा रहा था।
इस तरह बदल गई थी विक्रम लैंडर की राह
ग्राफ को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि 4.2 किमी के ऊपर भी विक्रम लैंडर ने कुछ क्षण के लिए रास्ते बदलाव आया था, जो बाद में ठीक हो गया था। लेकिन इसके बाद जब 2.1 किमी की ऊंचाई पर वह अपने निर्धारित रास्ते से भटका तो वह 59 मीटर प्रति सेकंड (212 किमी/सेकंड) की गति से नीचे आ रहा था। 400 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचने तक विक्रम लैंडर उसी स्पीड में था, जिसमें उसको सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी। इसके बाद धीरे-धीरे उसकी स्पीड कम करना और अंतत: जीरो करना था।
चांद की सतह पर उतरने के लिए 15 मिनट के तय कार्यक्रम के दौरान विक्रम लैंडर की गति को 1680 मीटर प्रति सेकंड यानी 6048 किमी प्रति घंटा से घटाकर जीरो मीटर प्रति सेकंड करना था। हालांकि, 13वें मिनट में स्क्रीन पर सब रुक गया,क्योंकि संपर्क खत्म हो गया था। उस वक्त लैंडर की गति 59 मीटर प्रति सेकंड थी। ग्राफ पर गौर करें तो पता चलता है कि चांद की सतह से 335 मीटर की ऊंचाई पर हरे रंग का डॉट बना है, जहां उसका संपर्क टूटा था। आपको बता दें अभी तक इसरो वैज्ञानिक दोबारा संपर्क की उम्मीद में है।



