
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। पॉल्यूशन को देखते हुए दिल्ली सरकार ने दो बड़े निर्णय लिए हैं. दिल्ली सरकार ने प्रभावित वर्ग को राहत देने और शहर में भीड़ कम करने के लिए दो महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं. सरकार ने निर्माण श्रमिकों के लिए वित्तीय सहायता और दफ्तरों के लिए नए कामकाजी दिशा-निर्देश जारी किए हैं. अब निर्माण श्रमिकों के खातों में सीधे 10,000 रुपये पहुंचेंगे.
निर्माण श्रमिकों के लिए दिल्ली सरकार का बड़ा ऐलान
दिल्ली सचिवालय में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान श्रम मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगने से दिहाड़ी मजदूरों की आजीविका पर सबसे गहरा प्रहार हुआ है. इसे देखते हुए सरकार ने घोषणा की है कि दिल्ली में रजिस्टर्ड और वेरिफाइड सभी निर्माण मजदूरों को यह सहायता राशि दी जाएगी. यह भुगतान Direct Benefit Transfer (DBT) के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में जमा किया जाएगा.
केवल पंजीकृत श्रमिकों को मिलेगी राशि
यह राशि केवल उन्हीं श्रमिकों को मिलेगी जिनका पंजीकरण दिल्ली बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड के साथ वैध और सत्यापित है. इस कदम का उद्देश्य काम रुकने के कारण आर्थिक तंगी झेल रहे परिवारों को तत्काल राहत पहुंचाना है. दिल्ली में ऐसे पंजीकृत मजदूरों की संख्या 8 लाख के आसपास है.
निर्माण श्रमिकों को 10 हज़ार की सहायता और 50% ‘वर्क फ्रॉम होम’ लागू
दफ्तरों में 50 फीसदी वर्क फ्रॉम होम अनिवार्य

बढ़ते प्रदूषण के स्तर और सार्वजनिक परिवहन पर दबाव कम करने के लिए सरकार ने कार्यस्थलों के लिए कड़े नियम लागू किए हैं. अब दिल्ली के सभी सरकारी और निजी दफ्तरों में 50 फीसद वर्क फ्रॉम होम अनिवार्य कर दिया गया है. संस्थानों को अपने आधे स्टाफ को घर से काम करने की अनुमति देनी होगी. हालांकि अस्पताल, स्वास्थ्य सेवाएं, पुलिस, और आवश्यक सेवाओं से जुड़े विभागों को इस नियम से बाहर रखा गया है ताकि शहर की बुनियादी व्यवस्था प्रभावित न हो.
फैसलों से लोगों को राहत मिलने की उम्मीद
सरकार के इन फैसलों का दोहरा असर देखने को मिलेगा. एक तरफ जहां निर्माण श्रमिकों को वित्तीय सुरक्षा मिलेगी, वहीं सड़कों पर गाड़ियों की संख्या कम होने से प्रदूषण नियंत्रण में मदद मिलने की उम्मीद है. निजी कंपनियों को सलाह दी गई है कि वे इन नियमों का तत्काल प्रभाव से पालन सुनिश्चित करें.
मजदूरों को सप्ताह में 48 घंटे ही काम पर लगी मुहर
बता दें कि पिछले सप्ताह दिल्ली सरकार ने औद्योगिक क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा को लेकर जारी किए ड्राफ्ट नियम में बड़ा बदलाव किया था. नए नियमों में किसी भी मजदूर को सप्ताह में 48 घंटे से ज्यादा काम नहीं कराया जा सकेगा. नियमों में काम के घंटे और ओवरटाइम को लेकर भी स्पष्ट व्यवस्था की बात कही गई है. साल में एक तिमाही में अधिकतम 144 घंटे तक ही ओवरटाइम की अनुमति होगी. साथ ही 15 से 30 मिनट के ओवरटाइम को 30 मिनट माना जाएगा, जबकि 30 मिनट से ज्यादा होने पर एक घंटा गिना जाएगा.



