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भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज के पिता स्वराज कौशल का निधन, मिजोरम के रह चुके राज्यपाल

भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज के पिता स्वराज कौशल का आज निधन हो गया है.

संवाददाता

नई दिल्ली । नई दिल्ली से भाजपा सांसद एवं दिल्ली भाजपा की प्रदेश मंत्री बांसुरी स्वराज के पिता स्वराज कौशल का आज निधन हो गया. वह 73 वर्ष के थे. वह पूर्व में मिजोरम के राज्यपाल भी रह चुके थे. सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट और दिवंगत नेता सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल के आकस्मिक निधन से राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई है.

इसकी जानकी भाजपा ने एक्स पर दी है. जिसमें कहा गया है कि भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज के पिता स्वराज कौशल का आज निधन हो गया है. उनका अंतिम संस्कार आज शाम 4.30 बजे लोधी रोड श्मशान घाट पर किया जाएगा.

बता दें स्वराज कौशल पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज के पति थे. आज दिल्ली स्थित आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली. वह राज्यसभा के सांसद भी रहे थे. उनका जन्म हिमाचल प्रदेश के सोलन में 12 जुलाई 1952 में हुआ था. 1975 में उनका विवाह सुषमा स्वराज के साथ हुआ था. उन्हें 1990 में मिजोरम का राज्यपाल बनाया गया था. उस समय उनकी उम्र मात्र 37 वर्ष थी. वह 1993 तक इस पद पर रहे. वह सबसे कम उम्र में राज्यपाल बनने वाले व्यक्ति रहे हैं. इसके लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है. वह मिजोरम के तीसरे राज्यपाल थे. वह 1998 से 2004 तक राज्यसभा के सांसद भी रहे. उन्हें हरियाणा विकास पार्टी की ओर से राज्यसभा में भेजा गया था.

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज अपने पति के साथ
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज अपने पति के साथ 

इससे पहले वह 1987 से 1990 तक मिजोरम के एडवोकेट जनरल भी रहे. 13 जुलाई 1975 को उनका विवाह सुषमा स्वराज के साथ हुआ था. सुषमा स्वराज और स्वराज कौशल की शादी प्रेम विवाह थी. दोनों की प्रेम कहानी कॉलेज के दिनों में शुरू हुई थी. दोनों की मुलाकात पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के लॉ डिपार्टमेंट में हुई थी. दोनों को शादी के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़े थे, क्योंकि सुषमा स्वराज हरियाणा में पैदा हुई थीं और हरियाणा की किसी लड़की के लिए प्रेम विवाह की बात सोचना बड़ी बात थी. आखिर में इन दोनों लोगों का प्रयास सफल रहा. स्वराज कौशल सुप्रीम कोर्ट में क्रिमिनल मामलों के बड़े वकीलों में से एक थे. स्वराज कौशल भी पहले सार्वजनिक जीवन में थे और पूर्वोत्तर में राज्यपाल भी रहे, लेकिन बाद में सुषमा आगे बढ़ती गईं और स्वराज कौशल ने खुद को अपने परिवार और कामकाज तक सीमित कर लिया था.

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