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बिहार चुनाव परिणाम के बाद कई नेताओं ने गैरभाजपाई दलों से दूरी बनाई

संवाददाता

गाजियाबाद । बिहार चुनाव परिणाम से पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई मौजूदा विधायक एवं अन्य नेता गैरभाजपाई दलों के सम्पर्क में थे। कई नेताओं की बड़े नेताओं के साथ बैठकें भी हो गई थी। उनको लगता था कि बिहार के चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में माहौल बदलेगा और भाजपा के प्रति जो माहौल है उसमें कहीं ना कहीं कमी आयेगी इसलिए पहले से ही कुछ मौजूदा विधायकों एवं कुछ पूर्व विधायकों ने गैरभाजपाई दलों से सम्पर्क शुरू कर दिया था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ, बागपत व अन्य जनपदों के कुछ नेताओं की बैठक भी गैरभाजपाई दलों के बड़े नेताओं से हो गई थी। लेकिन उन्होंने ये शर्त रखी थी कि २०२६ में ही पार्टी ज्वाइन करेंगे तब तक सबकुछ शांत रहना चाहिए।

कई विधायकों के टिकट कई विधानसभाओं से अंदरखाने तय होने की भी चर्चा थी। लेकिन बिहार चुनाव के रिजल्ट के बाद फिलहाल दिल के अरमा दिल में ही रह गये। नाम ना छापने की शर्त पर कुछ नेता कहते हैं कि अभी तो खामोश रहना ही ज्यादा अच्छा है, जहां पड़े हैं वहीं ठीक हैं क्योंकि अपने भी कुछ काम-धंधे चल रहे हैं। वहीं बसपा की ओर से जो रैली की गई थी उसमें जो भीड़ उमड़ी थी उसके बाद बसपा के प्रति भी कई नेताओं की चाहत बढ़ी थी। समाजवादी पार्टी एवं कांगे्रस के साथ भी कुछ लोगों ने सम्पर्क स्थापित किया था लेकिन बिहार के चुनाव ने सबका उत्साह ठंडा कर दिया। गाजियाबाद के भी कुछ लोग चुनाव लडऩे के इच्छुक है। उन्हें लगता है कि भाजपा से तो शायद टिकट मिलना आसान नहीं इसलिए अन्य दलों की तलाश में लग गये थे। लेकिन फिलहाल अब ब्रेक सा लग गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गैरभाजपाई दलों के बड़े नेताओं के साथ जो मीटिंंगें हुई थी अब वो मीटिंगे भी फिलहाल के लिए स्थगित हो गई है। किसी ने सही कहा है कि राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ नहीं पता।

अब संभावित उम्मीदवार तेल और तेल की धार देख रहे हैं। वहीं उन्हें इस बात की उम्मीद है कि बिहार चुनाव में भले ही भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला हो लेकिन उत्तर प्रदेश में इस बार मौजूदा विधायकों के जरूर टिकट कटेंगे। पिछली बार तो सपा में जिस तरह ज्याइंनिंग हो रही थी उससे घबराकर भाजपा ने सभी टिकट रिपीट कर दिये थे। इस बार भाजपा एक मजबूत स्थिति में है इसलिए पुराने मोहरों पर शायद ही वो चाल चले इसलिए हो सकता है उनका नंबर आ जाए। बहरहाल सबकुछ कयास है फिलहाल जिस तरह दूसरे दलों से सम्पर्क हो रहा था उसमें जरूर ब्रेक लग गया।

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