
संवाददाता
पटना। बिहार में नई सरकार की तस्वीर अब साफ हो गई है. नीतीश कुमार ही बिहार के अगले सीएम बनेंगे, जबकि सम्राट चौधरी को विजय सिन्हा को डिप्टी सीएम का पद मिलेगा. दरअसल जेडीयू विधायक दल की बैठक में जहां नीतीश कुमार को नेता चुन लिया गया है. वहीं सम्राट चौधरी को बीजेपी विधायकों का नेता, जबकि विजय सिन्हा को उप नेता चुना गया है. इसके बाद दोपहर 3 बजे विधानसभा के सेंट्रल हॉल में एनडीए की संयुक्त बैठक होगी. इस बैठक में सभी घटक दलों के विधायक शामिल होंगे और औपचारिक रूप से एनडीए का नेता चुना जाएगा. सूत्र बता रहे हैं कि इस बैठक में नीतीश कुमार को सर्वसम्मति से एनडीए का नेता चुना जाएगा. इसके बाद कल यानी गुरुवार को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में भव्य शपथ ग्रहण समारोह होगा.
इस तरह नीतीश कुमार दसवीं बार बिहार की बागडोर संभालेंगे. वहीं सूत्रों के मुताबिक, बिहार की नई सरकार में मुख्यमंत्री के अलावा दो उपमुख्यमंत्री और लगभग 18 से 20 मंत्री शपथ ले सकते हैं. उपमुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी कोटे से दो नाम लगभग तय माने जा रहे हैं, जबकि जेडीयू और अन्य छोटे सहयोगियों को भी उचित प्रतिनिधित्व मिलने की बात कही जा रही है.
बीजेपी प्रदेश कार्यालय में बुधवार को पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक हुई, जिसमें सर्वसम्मति से सम्राट चौधरी को नेता चुन लिया गया. बैठक के बाद केशव प्रसाद मौर्य ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि बैठक में सर्वसम्मति से सम्राट चौधरी को नेता चुना गया. इसके अलावा, उप नेता के तौर पर विजय कुमार सिन्हा के नाम का भी प्रस्ताव आया जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया.
बिहार में नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के मद्देनजर गांधी मैदान के आसपास के सभी स्कूल कल बंद रहेंगे.
सवाल यह उठता है कि आखिर ईबीसी और राजपूत विधायकों की इतनी बड़ी संख्या में जीतकर आने के बाद भी कुशवाहा जाति से आने वाले सम्राट चौधरी और भूमिहार जाति से आने वाले विजय सिन्हा पर बीजेपी ने क्यों दांव खेला? बीजेपी ने क्यों अपनी पुरानी परंपरा को बिहार चुनाव में जबरदस्त जीत के बाद बदल दिया? इस फैसले के पीछे बीजेपी के किस नेता का दिमाग चला? क्या बीजेपी के चाणक्य औऱ देश देश के गृह मंत्री अमित शाह ने अहम रोल अदा किया या फिर बिहार की जटिल जातिगत समीकरण के चक्कर में ये फैसला लिया गया?
बीजेपी का यह फैसला न केवल पार्टी के आंतरिक संतुलन को दर्शाता है, बल्कि इसके पीछे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक गहरी और दूरगामी रणनीति काम कर रही है, जिसका लक्ष्य 2029 के चुनाव तक बिहार में पार्टी के आधार को मजबूत करना है.
किसका चला दिमाग? अमित शाह की रणनीतिक सोच
सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को बरकरार रखने का निर्णय पूरी तरह से बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व, खासकर अमित शाह की रणनीति का परिणाम माना जा रहा है. इसके पीछे का तर्क यह है कि निरंतरता बनाए रखना: सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने विपक्ष में रहते हुए और फिर एनडीए की सरकार में डिप्टी सीएम के रूप में पार्टी के लिए सफलतापूर्वक काम किया है. उनकी जोड़ी ने सफलतापूर्वक एनडीए को जीत दिलाई है. ऐसे में अमित शाह ने ‘विनिंग कॉम्बिनेशन’ को बदलने का जोखिम नहीं लिया, ताकि संगठन में किसी तरह की अस्थिरता पैदा न हो



