
संवाददाता
नई दिल्ली। फरीदबाद से बडी मात्रा में विस्फोटक बरामद होने के चिकित्सा के पेशे से जुड़े लाेगाें की गिरफ्तारी कर डॉक्टराें के व्हाइट कॉलर मॉड्यूल का खुलासा किसी खुफिया एजेंसी की सूचना से मिली उपलब्धि नहीं थी बल्कि कश्मीर के श्रीनगर में तैनात एक आईपीएस की सूझ बूझ का कमाल है। हांलाकि लाल किले के पास हुए धमाके के बाद इसमें हताहत लाेगाें का अपना दर्द है। लेकिन इस टेरर मॉड्यूल का खुलासा हाेंने से आने वाले दिनों में देश कई हिस्सों में होने वाली तबाही से बचा लिया गया । अब तक की जांच से साफ हाे रहा हैं कि गिरफ्तार किए गए आतंकी डॉक्टर किसी बड़ी साजिश का हिस्सा थे और उसे नाकाम करने में कश्मीर के इसी पुलिस अफसर का बड़ा रोल रहा है।
लालकिला पर ब्लास्ट व फरीदबाद से बडी मात्रा में विस्फोटकाें की बरामदगी के साथ कुछ डाक्टराें की गिरफ्तारी से पहले 17 अक्टूबर को जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले के नौगाम की सड़कों पर उर्दू में पोस्टर लगाए गए थे। इन पर जैश-ए-मोहम्मद के सदस्य कमांडर हंजला भाई के हस्ताक्षर थे। पहली नजर में ये पोस्टर सामान्य लग रहे थे, लेकिन श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) डॉ. जीवी संदीप चक्रवर्ती ने तुरंत ही पोस्टर में छिपे खतरे को भांप लिया।
कश्मीर इलाके में डॉ जीवी संदीप को आतंकियों के लिए काल कहा जाता है। वह कई टेरर मॉड्यूल से वाकिफ रहे हैं। उन्होंने ऑपरेशन महादेव में जम्मू-कश्मीर पुलिस का नेतृत्व किया था। जीवी संदीप ने जैश के पोस्टर्स को लेकर जांच शुरू की। सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए। उनमें से तीन ऐसे व्यक्तियों का पता चला, जिन्होंने पहले भी कश्मीर की सड़कों पर पत्थर बरसाए थे। एक ऑप्रेशन चलाकर इन सभी को पकड़ लिया गया। उनसे पूछताछ हुई तो जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक फैले आतंक के इस नेटवर्क का खुलासा हुआ।
जांच एजेंसियां जैसे-जैसे मामले की कड़ियों को जोड़ रही हैं और खुलासे हो रहे हैं कि उससे साफ है कि आईपीएस अधिकारी जीवी संदीप की सूझबूझ ने कई जानें बचाईं। फरीदाबाद में पकड़ा गए डॉक्टर व बरामद विस्फोटक कश्मीर में पोस्टर कांड से जुड़े लाेगाें की गिरफ्तारी में हुई पूछताछ का ही हिस्सा थी। मूलरूप से आंध्र प्रदेश के कुरनूल में जन्में और शिक्षित हुए डॉ. जीवी संदीप चक्रवर्ती के माता पिता डॉक्टरी के पेशे से जुड़े थे इसलिए उन्होंने भी मेडिकल कॉलेज से चिकित्सा की पढ़ाई की। 2010 में उन्होंने स्नातक की उपाधि प्राप्त की लेकिन 2014 में वह सिविल सेवा की परीक्षा पास कर भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हो गए। डॉ. संदीप ने जम्मू-कश्मीर केडर को चुना। आतंकवाद विरोधी अभियानों और पुलिस प्रशासन में अपनी विशेषज्ञता के बाद 21 अप्रैल 2025 को उन्हें इम्तियाज हुसैन मीर के स्थान पर श्रीनगर एसएसपी के पद पर तैनाती मिली। किसी भी पुलिस अधिकारी के लिए कश्मीर की ये सबसे महत्वपूर्ण पोस्टिंग होती है। इससे पहले अनंतनाग, कुपवाड़ा और कुलगाम के विभिन्न क्षेत्रों में उनके नेतृत्व ने आतंकवादी खतरों को बेअसर किया गया।
डॉ जीवी संदीप की थ्योरी हैं कि छोटी सी धमकी में भी बड़ा मैसेज छिपा होता है। उन्होंने नौगॉव में लगे पोस्टर से छोटी से छोटी धमकी की भी जांच करने की ठान ली। जैश के पोस्टर के बाद मौलवी इरफ़ान अहमद को पकड़ा गया था। पूछताछ के दौरान मौलवी ने जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकी नेटवर्क का खुलासा किया। डॉ संदीप के नेतृत्व में कश्मीर पुलिस ने फरीदाबाद पुलिस के सहयोग से 2921 किलो विस्फोटक, बम बनाने का सामान और दो एके सीरीज की राइफलें ज़ब्त कीं उसके बाद इस आतंकी नेटवर्क से जुड़े डॉक्टरों को गिरफ्तार करने का सिलसिला शुरू हुआ।
डॉ जीवी संदीप को आतंकवाद रोधी अभियानों में साहस दिखाने के लिए उन्हें छह बार राष्ट्रपति पुलिस वीरता पदक (पीएमजी) से सम्मानित किए जाने के साथ चार बार जम्मू-कश्मीर पुलिस वीरता पदक जीता है।



