
संवाददाता
नई दिल्ली। बिहार चुनाव में जहां प्रमुख राजनीतिक दलों ने Gez G पीढ़ी के कई युवाओं को मैदान में उतार कर भरोसा जताया है तो वहीं उन्होंने अनुभव को भी खासी अहमियत दी है. चुनाव में 30 से कम उम्र के करीब 10 युवा मैदान में अपनी चुनौती पेश कर रहे हैं तो 70-75 की दहलीज पार कर चुके राजनीति के ढेरों धुरंधर अपनी राजनीतिक पारी को जीत के साथ विराम देने की योजना में लगे हैं. पहले चरण के चुनाव के लिए दोनों प्रमुख गठबंधनों ने पुराने चेहरों को खूब टिकट दिए हैं.
पहले चरण के तहत बिहार के 18 जिलों की 121 सीटों पर वोट डाले जाने हैं, इसमें प्रमुख राजनीतिक दलों जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू), राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) ने राजनीति के खेल में अनुभव को खासी वरियता दी है. इस चरण के चुनाव में कम से कम 10 ऐसे नेता हैं जिनकी उम्र 71 के पार है और इसमें 4 नेता ऐसे भी हैं जिनकी उम्र 75 साल के पार है. सबसे बुजुर्ग नेता की उम्र 78 साल है. बुजुर्ग नेताओं में हरिनारायण सिंह और अवध बिहारी चौधरी शामिल हैं.
हरिनारायण सिंह जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के टिकट पर नालंदा जिले की हरनौत विधानसभा सीट से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. वह 13वीं बार चुनाव मैदान में हैं और अब तक 8 बार चुनाव में जीत हासिल कर चुके हैं, अब उनकी नजर रिकॉर्ड नौवीं जीत पर लगी हुई है. इसी तरह से चुनाव के लिए दाखिल अपने हलफनामे में खुद को 78 साल का बताने वाले आरजेडी के अवध बिहारी सिंह सीवान जिले की सीवान सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
75 के पार बुजुर्ग प्रत्याशियों में बेलदौर से जेडीयू के प्रत्याशी पन्नालाल पटेल (1 बार चौथम और 3 बार बेलदौर से विधायक) भी शामिल हैं और वह अभी 76 साल के हैं, इसी तरह तेघड़ा में सीपीआई के बुजुर्ग प्रत्याशी रामरतन सिंह 75 साल की उम्र में चुनाव लड़ रहे हैं.
70 के पार कई नेता ठोक रहे दावा
इनके अलावा 71 पार के प्रत्याशियों में से आलमनगर से जेडीयू प्रत्याशी नरेंद्र नारायण यादव (74 साल, 7 बार विधायक), हिलसा से जेडीयू के प्रत्याशी कृष्ण मुरारी शरण (74), बड़हरा से बीजेपी प्रत्याशी राघवेंद्र प्रताप (72), महिषी सीट से जेडीयू के गुंजेश्वर साह (72), फुलवारी से जेडीयू के श्याम रजक (71) और बछवाड़ा से सीपीआई के अवधेश कुमार राय (71) शामिल हैं.
अगर बिहार चुनाव में दोनों प्रमुख गठबंधनों को देखें तो दोनों ओर से बुजुर्ग प्रत्याशियों की औसत उम्र 78 साल ही है, जबकि एनडीए में बीजेपी ने 25 साल की मैथिली ठाकुर के रूप में सबसे युवा प्रत्याशी उतारा है तो महागठबंधन में 28 साल के युवा को मौका दिया गया है. राष्ट्रीय जनता दल ने बाहुबली मुन्ना शुक्ला की 28 साल की बेटी शिवानी को वैशाली जिले की लालगंज सीट से टिकट दिया है.
प्रत्याशियों की औसत उम्र कितनी
इसी तरह चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामे के अनुसार, पहले चरण में उम्र के आधार पर देखें तो एनडीए प्रत्याशियों की औसत उम्र 52 साल के करीब है, जबकि महागठबंधन में प्रत्याशियों की औसत उम्र 50 साल है. एनडीए में 15 प्रत्याशियों की उम्र 65 साल या उससे अधिक है जबकि महागठबंधन में यह संख्या महज 9 है.
अगर इसे पार्टी के आधार पर अलग करें तो इस मामले में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) सबसे आगे है. जनता दल यूनाइटेड की ओर से मैदान में उतरे 11 प्रत्याशियों की उम्र 65 के पार है, इसी तरह आरजेडी ने 5, बीजेपी ने 4, सीपीआई ने 3 और एक कांग्रेस में बुजुर्ग उम्मीदवार हैं.
बुजुर्ग नहीं Gez G से भी बड़ी आस
बुजुर्ग नेताओं की तरह राजनीतिक दलों ने Gez G (1997 से 2012 के बीच जन्मे युवा) पीढ़ी के कई नेताओं को टिकट दिया है. इसमें सबसे अहम चेहरा है मैथिली ठाकुर का. भोजपुरी गायिका मैथिली ने जुलाई में 25 साल की उम्र पार की और इसके 3 महीने बाद बीजेपी में शामिल हो गईं और पार्टी ने उन्हें अलीनगर सीट से टिकट भी दे दिया. मैथिली के अलावा समस्तीपुर जिले की विभूतिनगर सीट से 27 साल की रवीना कुशवाहा (जेडीयू), वैशाली जिले की लालगंज सीट से 28 साल की शिवानी शुक्ला (आरजेडी) और भोजपुर जिले की संदेश विधानसभा सीट से 28 साल के दीपू सिंह (आरजेडी) Gez G से दावेदार हैं. इनके अलावा 6 अन्य प्रत्याशियों की उम्र 30 साल से कम की है.
पहले चरण में 121 सीटों पर 6 नवंबर को वोटिंग होनी है. इसके बाद शेष 122 सीटों पर 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. अब देखना होगा कि बिहार के वोटर्स चुनाव में Gez G की युवा और डिजिटल नेटिव्स वाली पीढ़ी और 70 के पार हो चले बुजुर्ग नेताओं के प्रति कैसा रवैया अपनाते हैं. और ये वर्ग बिहार की राजनीति में कितना कारगर साबित होते हैं.



