
संवाददाता
नई दिल्ली । आवारा कुत्तों की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कड़ा रुख अपनाया. अदालत ने सोमवार यानि 3 नवंबर को दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को भी रिपोर्ट पेश कर कोर्ट को वास्तविकता से अवगत कराने को कहा है. पिछली सुनवाई जोकि 27 अक्टूबर को हुई थी, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल को छोड़ अन्य किसी भी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ने अपना पक्ष नहीं रखा था, जिस पर कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार करते अन्य राज्यों की तरह दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को पेश होने का निर्देश दिया है.
दिल्ली में स्ट्रीट डॉग के आतंक को लेकर पहले से कोर्ट में में मामला विचाराधीन है, इधर सुप्रीम कोर्ट आवारा कुत्तों के आतंक और पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 के कार्यान्वयन से संबंधित एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रहा है.
स्ट्रीट डॉग्स पर हालिया कोई रिपोर्ट नहीं
दिल्ली में कुत्तों की स्थिति को लेकर मुख्य सचिव राजीव वर्मा जिन्होंने कुछ दिन पहले ही कार्यभार संभाला है, उन्होंने एमसीडी कमिश्नर अश्विनी कुमार से रिपोर्ट मांगी है. एमसीडी के पास स्ट्रीट डॉग की संख्या को लेकर कोई भी नई रिपोर्ट नहीं है. साल 2009 में हुई पिछली गणना में दिल्ली में लगभग 5.6 लाख आवारा कुत्ते पाए गए थे. विभिन्न अनुमानों और हालिया सर्वेक्षणों के अनुसार, वर्तमान में यह संख्या लगभग 8 लाख से 10 लाख तक हो सकती है.

वर्ष 2016 में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (अब एकीकृत एमसीडी का हिस्सा) द्वारा चार ज़ोन में किए गए एक सर्वेक्षण में 1,89,285 कुत्तों की गणना की गई थी. इसकी पुष्टि एमसीडी कमिश्नर भी करते हैं, इसके बाद कुत्तों की गणना नहीं हुई. दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव ने एमसीडी को स्ट्रीट डॉग की गणना और इसके आतंक से आमलोगों को बचाने के संबंध में एमसीडी को कार्रवाई शुरू करने को कहा है. साथ ही दिल्ली की अन्य स्थानीय निकाय एनडीएमसी और दिल्ली कैंट की स्ट्रीट डॉग को लेकर क्या योजना है, इस संबंध में जानकारी मांगी है.
दिल्ली में स्ट्रीट डॉग की वर्तमान स्थिति
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के पास कई सालों से आवारा कुत्तों की कोई आधिकारिक गणना नहीं है. पिछली गणना के बाद, अनुमानित संख्या में काफी वृद्धि हुई है.
साल 2009 में दिल्ली में 5.6 लाख आवारा कुत्ते पाए गए
वर्ष 2009 में हुई पिछली गणना में दिल्ली में लगभग 5.6 लाख आवारा कुत्ते पाए गए थे. विभिन्न अनुमानों और हालिया सर्वेक्षणों के अनुसार, वर्तमान में यह संख्या लगभग 8 लाख से 10 लाख तक हो सकती है.

स्ट्रीट डॉग्स पर हालिया कोई रिपोर्ट नहीं
दिल्ली में करीब 8 लाख कुत्ते
स्ट्रीट डॉग को लेकर काम कर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल भी कोर्ट में बता चुके हैं कि दिल्ली में कम से कम 8 लाख से अधिक स्ट्रीट डॉग होंगे. कुत्तों के काटने की घटनाओं में वृद्धि के कारण, यह मुद्दा सार्वजनिक चिंता का विषय बन गया है, और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं.
स्ट्रीट डॉग को लेकर एमसीडी की मुख्य योजनाएं
एमसीडी मुख्य रूप से पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित करती है, जिसके तहत कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण किया जाता है. बीते अगस्त माह में कोर्ट के निर्देशों के बाद, एमसीडी 20 से अधिक एनिमल बर्थ कंट्रोल केंद्रों के माध्यम से कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण का काम कर रही है. यह कार्य विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से किया जाता है. एमसीडी का लक्ष्य है कि कुत्तों के प्रजनन चक्र को तोड़ने के लिए 70-80 फीसद कुत्तों की नसबंदी करने की है. एमसीडी की रिपोर्ट में अब तक 54 हज़ार कुत्तों की नसबंदी करने की बात कही गयी है.
शेल्टर और फीडिंग प्लेस निर्धारित करना
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, एमसीडी ने आवारा कुत्तों को रखने के लिए शेल्टर बनाने की योजना शुरू की है, लेकिन कहां और कितने बनाए जाएंगे यह तय नहीं हो सका है.
- पहले चरण में, मौजूदा एनिमल बर्थ कंट्रोल केंद्रों के एक हिस्से को शेल्टर में बदला जा रहा है.
- आगे के चरण में, 1000-1500 कुत्तों को समायोजित करने की क्षमता वाले बड़े आश्रय स्थल विकसित करने की योजना है, जिसके लिए बाहरी दिल्ली में जमीन भी चिन्हित की गई है.
- आवारा कुत्तों को भोजन कराने के लिए चिन्हित फीडिंग पॉइंट्स बनाए गए हैं
- विभिन्न स्थानों पर बोर्ड भी लगाए गए हैं, ताकि कुत्तों को एक ही जगह पर खाना मिल सके और सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी न हो. लेकिन इसकी संख्या भी नाकाफी है.
- इधर दिल्ली सरकार के दिल्ली पशु कल्याण बोर्ड ने अगले दो वर्षों में लगभग 10 लाख कुत्तों को माइक्रोचिप लगाने की योजना बनाई है. माइक्रोचिपिंग से कुत्तों की पहचान और निगरानी में मदद मिलेगी.
बता दें कि दिल्ली में स्ट्रीट डॉग की स्थिति को लेकर मुख्य सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है, जिसने इस मुद्दे का संज्ञान लिया है. वर्तमान स्थिति यह है कि कोर्ट आवारा कुत्तों के आतंक और पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 के कार्यान्वयन से संबंधित एक स्वत: संज्ञान (Suo Motu) मामले की सुनवाई कर रहा है.

दिल्ली सचिवालय
इससे पहले 22 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के संदर्भ में महत्वपूर्ण आदेश दिया था. बाद में कोर्ट ने पहले के एक आदेश को संशोधित किया, जिसमें सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखने का निर्देश दिया गया था, जिसे “बहुत कड़ा” माना गया. संशोधित आदेश में कहा गया कि आवारा कुत्तों को नसबंदी, डी-वर्मिंग और टीकाकरण के बाद उसी इलाके में वापस छोड़ना होगा जहाँ से उन्हें पकड़ा गया था, बशर्ते वे आक्रामक या रैबीज से ग्रसित न हों.
उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के दायरे को बढ़ाते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में पक्षकार बनाया. सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को नियमों के अनुपालन पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया था. लेकिन पिछली सुनवाई 27 अक्टूबर को कोर्ट ने पाया कि अधिकांश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने (केवल पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और को छोड़कर) हलफनामे जमा नहीं किए हैं. दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को भी अदालत में उपस्थित होने को कहा गया है, क्योंकि दिल्ली सरकार ने भी अपना जवाब दाखिल नहीं किया था.



