
नरेन्द्र भल्ला
पिछले 11 सालों में देश में जितने भी चुनाव हुए हैं,उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर बार कोई ऐसा नया प्रयोग किया है जिसकी काट विपक्षी दल भी खोज नहीं पाये हैं कि उन्हें फेल कैसे किया जाये। हर चुनाव को एक बड़े उत्सव में बदलने की कला में तो मोदी माहिर हैं ही लेकिन वे यह भी बखूबी जानते हैं कि कोई नया शिगूफा छेड़कर अपनी पार्टी को अधिकतम जनता के साथ कैसे कनेक्ट करना है।
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी के निर्देश पर ही बीजेपी ने एक नया शब्द दिया था–“मोदी मित्र।” इसका मकसद था,उन युवाओं को पार्टी के साथ जोड़ना जो सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा एक्टिव रहते हैं। मोदी सरकार की विकास योजनाओं और उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने के लिए इसे “डिजिटल योद्धा अभियान” का नाम दिया गया था।
वही अभियान अब बिहार चुनाव में भी दोहराया जा रहा है और कुछ दिन पहले ही इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। इस बार हर विधानसभा क्षेत्र से 10 हजार डिजिटल स्वयंसेवकों को तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि बिहार के युवाओं को इस अभियान से जोड़ने के लिये पार्टी के आईटी सेल को खासी मशक्कत भी करनी पड़ रही है। वह इसलिये कि युवाओं ने ये उम्मीद पाल रखी है कि “मोदी मित्र” बनने से कम से कम चुनाव खत्म होने तक तो उनकी जेब गरम रहेगी। लेकिन वे तब निराश हो जाते हैं,जब उन्हें बताया जाता है कि बीजेपी के इस अभियान में शामिल होने वाले मोदी मित्र को कोई आर्थिक लाभ या वेतन नहीं मिलता है। यह अभियान केवल जन-जागरण और सरकार की उपलब्धियों को घर-घर पहुंचाने तक है।
बीजेपी के आईटी सेल के राष्ट्रीय संयोजक अमित मालवीय के अनुसार यह अभियान सामाजिक और राजनीतिक जुड़ाव का माध्यम है। मोदी मित्र बनने वाले स्वयंसेवक भाजपा कैडर का हिस्सा नहीं होंगे लेकिन डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से सरकार के मिशन का प्रचार करेंगे। हालांकि पार्टी बेशक दावा करती रहे कि इस अभियान में शामिल लोगों को कोई पैसा नहीं मिलेगा लेकिन सच तो ये है कि मौजूदा वक्त में कोई भी युवा बगैर किसी आर्थिक लाभ के किसी पार्टी के लिए क्यों अपना दिमाग खपायेगा। जाहिर है कि इस अभियान पर भी बेतहाशा खर्च होगा लेकिन उसे चुनावी-खर्च में नहीं दिखाया जायेगा। इसलिये कि ये सभी मोदी-मित्र स्वेच्छा से इस अभियान से जुड़ रहे हैं।
भाजपा ने अभियान से जुड़ने के लिए एक खास नंबर जारी किया है। अभियान से जुड़ने वाले लोग इस नंबर पर मिस्ड कॉल देकर मोदी मित्र बन सकते हैं। मिस्ड कॉल देने वाले लोगों को व्हाट्सएप के माध्यम से मोदी मित्र बनाया जाएगा। इस अभियान के तहत हर विधानसभा क्षेत्र से 10 हजार मोदी मित्र और पूरे बिहार में 25 लाख स्वयंसेवक तैयार करने की योजना है।
बीजेपी के अनुसार मोदी मित्र अभियान केवल चुनावी रणनीति नहीं है। यह जनता के साथ पार्टी के संबंध को मजबूत करने और सरकार के विकास एजेंट को गांव- गांव तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम है। मोदी मित्र अभियान बिहार में एनडीए सरकार की सड़क, बिजली, पानी और डिजिटल कनेक्टिविटी की उपलब्धियां डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से आम जनता तक पहुंचाएगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)



