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आखिर भारत ने क्यों नहीं ली मोहसिन नकवी के हाथों एशिया कप ट्रॉफी ?

नरेन्द्र भल्ला

नई दिल्ली । जंग से लेकर क्रिकेट के मैदान तक पाकिस्तान को धूल चटाने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम की जितनी प्रशंसा हो रही है,उससे ज्यादा चर्चा और तारीफ इस फैसले की है कि हमारे खिलाड़ियों ने मंच पर जाकर एशिया कप ट्रॉफ़ी लेने से इनकार कर दिया। इस इनकार के पीछे की एकमात्र वजह थे,एशियन क्रिकेट काउंसिल (एसीसी) के अध्यक्ष मोहसिन नक़वी। आखिर कौन हैं यह नकवी जिनके हाथों ट्रॉफी न लेने का फैसला बीसीसीआई को लेने पर मजबूर होना पड़ा। हालांकि,यह मसला महज खेल का नहीं बल्कि दो मुल्कों के बीच जारी तल्ख रिश्तों का था। लिहाजा बीसीसीआई के जरिये हमारी सरकार ने खेल-मैदान पर भी अपनी कूटनीति को तवज़्ज़ो देते हुए दुनिया के समक्ष पाकिस्तान को शर्मसार किया है।

दरअसल,मोहसिन नकवी अगर सिर्फ एसीसी के ही अध्यक्ष होते तो शायद ये नौबत नहीं आती। लेकिन वे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष होने के साथ ही वहां के गृह मंत्री भी हैं। फ़ाइनल मैच से एक दिन पहले ही नक़वी ने अपने एक बयान में कहा था कि वो एक शानदार फ़ाइनल देखने के लिए उत्साहित हैं और विजेता टीम को ट्रॉफ़ी सौंपने का इंतज़ार कर रहे हैं। उन्हें शायद ये अंदाजा नहीं था कि भारत इतना बड़ा फैसला लेकर सिर्फ उनकी ही नहीं बल्कि पूरे पाकिस्तान को बेइज़्ज़त करने का सबक सिखाएगा।

उर्दू मीडिया के मुताबिक़ सैयद मोहसिन नक़वी का जन्म 1978 में लाहौर में हुआ था। हालांकि उनके परिवार की पृष्ठभूमि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के झंग शहर से हैं। उनकी प्राथमिक शिक्षा यहीं के क्रिसेंट मॉडल स्कूल से हुई और फिर उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज (जीसी) लाहौर में दाख़िला लिया। वहां से ग्रेजुएशन करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए नक़वी अमेरिका के ओहायो यूनिवर्सिटी चले गए।

उन्होंने अमेरिका से पत्रकारिता की डिग्री हासिल की, जिसके बाद अमेरिकी समाचार चैनल सीएनएन में उन्होंने इंटर्नशिप पूरी की। कुछ अरसे बाद ही सीएनएन ने नक़वी को एक प्रोड्यूसर के रूप में पाकिस्तान में न्यूज़ कवरेज के लिए भेजा। कम उम्र में ही उन्होंने प्रमोशन हासिल किया और चैनल के ‘रीजनल हेड-साउथ एशिया’ बन गए।

यह 9/11 के हमलों के बाद का दौर था और अमेरिका के नेतृत्व में विदेशी सेनाओं ने अफ़ग़ानिस्तान का रुख़ किया हुआ था। उन दिनों मोहसिन नक़वी सीएनएन के लिए रिपोर्टिंग कर रहे थे और इसी दौरान उन्होंने अहम हस्तियों के साथ अपने अच्छे रिश्ते भी बना लिये।

उनके लिंक्डइन प्रोफ़ाइल के मुताबिक़, वह साल 2009 तक सीएनएन से जुड़े रहे। फिर इसी साल उन्होंने सिटी न्यूज़ नेटवर्क की स्थापना की और पत्रकारिता के पेशे में अपनी एक स्वतंत्र पहचान बनाई।तब वो महज़ 31 साल के थे। एक निजी चैनल के मालिक होने के साथ साथ नक़वी ने देश की राजनीति के नामी गिरामी लोगों से .पारिवारिक ताल्लुक़ात बना लिये।उन्हें पीपुल्स पार्टी के नेता और पाकिस्तान के मौजूदा राष्ट्रपति आसिफ़ अली जरदारी का काफ़ी क़रीबी माना जाता है।

जंग से लेकर क्रिकेट के मैदान तक पाकिस्तान को धूल चटाने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम की जितनी प्रशंसा हो रही है,उससे ज्यादा चर्चा और तारीफ इस फैसले की है कि हमारे खिलाड़ियों ने मंच पर जाकर एशिया कप ट्रॉफ़ी लेने से इनकार कर दिया।

India refused to accept the Asia Cup Trophy from PCB chairman Mohsin Naqvi after defeating Pakistan.

साल 2023 में जब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के तत्कालीन मुख्यमंत्री और पाकिस्तान तहरीक़-ए-इंसाफ़ के नेता परवेज़ इलाही ने विधानसभा भंग कर दी, तब नई सरकार के चुने जाने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री की नियुक्ति की जानी थी। ऐसे में, पाकिस्तान के तत्कालीन विपक्षी नेता और शहबाज़ शरीफ़ के बेटे हमज़ा शहबाज़ ने अपनी तरफ़ से कार्यवाहक मुख्यमंत्री पद के लिए दो नाम सुझाए थे, जिनमें एक नाम मोहसिन नक़वी का था।

लेकिन जब सरकार और विपक्ष के बीच एक नाम को लेकर सहमति नहीं बनी तो मामला पाकिस्तान के चुनाव आयोग के पास गया और फिर आयोग ने नक़वी के नाम पर मुहर लगा दी। नक़वी 22 जनवरी 2023 से 26 फरवरी 2024 तक पंजाब के कार्यवाहक मुख्यमंत्री रहे।

साल 2024 के आम चुनाव के बाद जब देश में शहबाज़ शरीफ़ की अगुवाई वाली गठबंधन की सरकार बनी, तब नक़वी को देश के गृह और नार्कोटिक्स कंट्रोल मंत्रालय की ज़िम्मेदारी दी गई। उसी साल फ़रवरी, 2024 में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के 37वें प्रमुख के तौर पर भी मोहसिन नक़वी निर्विरोध रूप से चुने गए। पीसीबी के चेयरमैन के तौर पर उनका कार्यकाल तीन साल का है। इसी साल अप्रैल के महीने में वह एशियन क्रिकेट काउंसिल के भी अध्यक्ष चुने गए।

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड का चेयरमैन बनने के बाद नक़वी की काबलियत पर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। सवाल उठाने वालों में वहां के नेता और पूर्व क्रिकेटर शामिल हैं। मुख्य विपक्षी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ के नेता बैरिस्टर सैयद अली ज़ाफ़र ने उनके इस्तीफ़े की मांग करते हुए कहा था, ”दूसरे खेलों की तरह ही क्रिकेट भी बर्बादी की कगार पर है। और इस बर्बादी का कारण है एक ऐसे शख़्स की पीसीबी के चीफ़ के रूप में नियुक्ति जो बिल्कुल भी इस पद के क़ाबिल नहीं है।”

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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