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सोनम वांगचुक NSA के तहत गिरफ्तार, लेह में इंटरनेट सेवा बंद; हिंसा में गई थी चार की जान

संवाददाता

नई दिल्ली। लद्दाख में राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को पुलिस ने शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत गिरफ्तार कर लिया है। यह कार्रवाई उस घटना के एक दिन बाद हुई, जब लेह में बंद और विरोध प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई भीषण झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई थी। वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद लेह में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। बताया जा रहा है कि पुलिस टीम उन्हें लेकर उनके घर जा रही है।

स्थानीय संगठनों और वांगचुक समर्थकों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष संरक्षण की मांग लंबे समय से उठाई जा रही है। आंदोलन के तेज़ होने के साथ ही प्रशासन ने एहतियातन कई इलाकों में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी है।

उमर अब्दुल्ला ने सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को दुर्भागपूर्ण बताया। केंद्र द्वारा किए गए वादों पर उठाए सवाल।

सूत्रों के अनुसार, सोनम वांगचुक को शाम 2:30 बजे लद्दाख पुलिस प्रमुख एस.डी. सिंह जम्वाल के नेतृत्व में गिरफ्तार किया गया। हालांकि, उन पर लगाए गए आरोपों की आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हो पाई है।

गृह मंत्रालय ने इस हिंसा के लिए सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है। वांगचुक, जो लेह एपेक्स बॉडी के प्रमुख सदस्यों में से एक हैं, कर्गिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ मिलकर राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर पिछले पांच वर्षों से आंदोलन चला रहे हैं।

हालांकि, सोनम वांगचुक ने इन आरोपों से इनकार किया है और हिंसा की निंदा करते हुए अपना 15 दिन से जारी अनशन बुधवार को समाप्त कर दिया था।

मुझे दोषी ठहराना ‘बलि का बकरा’ बनाने की रणनीति: सोनम वांगचुक

सोनम वांगचुक ने सरकार के आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने लद्दाख में हाल ही में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के लिए गृह मंत्रालय द्वारा उन्हें जिम्मेदार ठहराए जाने को ‘बलि का बकरा’ बनाने की रणनीति बताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि इसका उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र की मूल समस्याओं से निपटने से बचना है। उन्होंने बताया, “ये कहना कि यह (हिंसा) मेरे या कांग्रेस द्वारा भड़काई गई थी, समस्या के मूल से निपटने के बजाय बलि का बकरा ढूंढ़ने जैसा है, और इससे कोई हल नहीं निकलेगा।”

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