
संवाददाता
नई दिल्ली । बिहार चुनाव से ठीक पहले इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के मुखिया सैम पित्रोदा ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान उन्हें घर जैसा लगता है. राहुल गांधी के खास सैम पित्रोदा ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की वकालत की है. उन्होंने केंद्र सरकार से अपनी विदेश नीति का ध्यान सबसे पहले अपने पड़ोस पर केंद्रित करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जाकर उन्हें घर जैसा महसूस हुआ. पित्रोदा के बयान पर अब भाजपा ने कांग्रेस को घेरा है.
दरअसल, कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने कहा, ‘मेरे अनुसार हमारी विदेश नीति को सबसे पहले अपने पड़ोस पर केंद्रित होना चाहिए. क्या हम वाकई अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों में काफी सुधार कर सकते हैं?… मैं पाकिस्तान गया हूं, और आपको बता दूं कि मुझे वहां घर जैसा महसूस हुआ. मैं बांग्लादेश गया हूं, मैं नेपाल गया हूं, और मुझे घर जैसा महसूस हुआ. मुझे ऐसा नहीं लगता कि मैं किसी विदेशी देश में हूं.’
भाजपा ने कैसे घेरा?
इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चीफ सैम पित्रोदा के पाकिस्तान वाले बयान पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा, ‘राहुल गांधी के चहेते और कांग्रेस के विदेश प्रमुख सैम पित्रोदा कहते हैं कि उन्हें पाकिस्तान में ‘घर जैसा महसूस हुआ’. कोई आश्चर्य नहीं कि यूपीए ने 26/11 के बाद भी पाकिस्तान के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की. पाकिस्तान का चहेता, कांग्रेस का चुना हुआ.’
बिहार चुनाव से पहले भाजपा को मौका?
दरअसल, सैम पित्रोदा ने ऐसे वक्त में यह बयान दिया है, जब कांग्रेस के सामने बिहार चुनाव है. बिहार चुनाव में भाजपा सैम पित्रोदा के इस बयान को बड़ा मुद्दा बना सकती है. इसके संकेत प्रदीप भंडारी की प्रतिक्रिया में दिख गई है. भाजपा इसे अपना सियासी हथियार बना सकती है, जैसा कि पहले भी कई चुनावों में कांग्रेस नेताओं के बयानों को बना चुकी है.
गांधी फैमिली के भरोसेमंद
सैम पित्रोदा को राहुल गांधी का खास और करीबी माना जाता है. वह 1980 के दशक में राजीव गांधी के करीबी टेक्नोक्रेट के रूप में उभरे थे. वह लंबे समय से गांधी परिवार के भरोसेमंद सलाहकार रहे हैं. इससे पहले फरवरी में जब चीन के साथ संबंध अभी भी तनावपूर्ण थे, उन्होंने यह कहकर हंगामा खड़ा कर दिया था कि भारत चीन से खतरे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है.
चीन पर क्या बयान दिया था?
समाचार एजेंसी आईएएनएस को दिए एक इंटरव्यू में सैम पित्रोदा ने यह तर्क दिया था कि नई दिल्ली को बीजिंग को दुश्मन मानना बंद कर देना चाहिए और इसके बजाय सहयोगात्मक रुख अपनाना चाहिए. सैम पित्रोदा ने कहा था, ‘मैं चीन से खतरे को समझ नहीं पा रहा हूं. मुझे लगता है कि इस मुद्दे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है क्योंकि अमेरिका की दुश्मन को परिभाषित करने की प्रवृत्ति है. मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि सभी देश आपस में सहयोग करें, न कि टकराव करें. हमारा दृष्टिकोण शुरू से ही टकराव वाला रहा है, और यही रवैया दुश्मन पैदा करता है, जिससे देश के भीतर समर्थन बढ़ता है. हमें इस मानसिकता को बदलना होगा और यह मानना बंद करना होगा कि चीन पहले दिन से ही दुश्मन है.’



