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डासना जेल में कैदियों को आत्महत्या से रोकने के लिए कैदी ही दे रहे है स्पेशल ट्रेनिंग

गाजियाबाद के डासना जेल में तनाव को दूर करने के लिए कैदियों को दी जा रही ट्रेनिंग

संवाददाता

गाजियाबाद। आत्महत्या रोकथाम दिवस एक जागरूकता दिवस है, जो हर साल 10 सितंबर को मनाया जाता है. आत्महत्या की रोकथाम को लेकर सरकारी और सामाजिक संस्थाएं लगातार कदम उठा रही है. लेकिन, फिर भी आत्महत्या जैसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. जिला कारागार गाजियाबाद में तकरीबन चार हजार बंदी हैं. जेल में मौजूद बंदी कई तरह की मानसिक समस्याओं से ग्रसित होते हैं. ऐसे में ख़ुद को चोट पहुंचाना या आत्महत्या करने की संभावना काफी बढ़ जाती है. जेल प्रशासन द्वारा बंदियों में सकारात्मक मानसिकता विकसित की जाती है, जैसे बंदी जेल में कोई भी गलत कदम न उठाएँ.

जेल अधीक्षक सीता राम शर्मा ने बताया कि जेल परिसर में लगातार बंदियों की काउंसलिंग की जाती है. विभिन्न तरह की एक्टिविटीज में व्यस्त रखा जाता है, ताकि नकारात्म की तरफ बंदी न जा सकें. बंदी के जेल में दाख़िल होते ही जेल प्रशासन उनकी मॉनिटरिंग शुरू कर देता है. जेल में दाख़िल होने वाले सभी प्रकार के बंदियों की आपराधिक पृष्ठभूमि और अपराध करने के कारण का पता लगाया जाता है. स्वयं को चोट पहुंचाने या आत्महत्या करने की चार तरह के बंदियों की प्रबल आशंका होती है.

पारिवारिक विवाद में जेल में आने वाले बंदी: ऐसे बंदियां जो अपनी किसी परिवारिक सदस्यों को आघात या चोट पहुंचाने के अपराध में जेल में आए हैं. अपराध बोध होने की स्थिति में अब आत्मग्लानि (किसी अपराध या गलती के लिए मन में उत्पन्न होने वाली गहरी पश्चाताप की भावना) होने पर खुद को चोट पहुंचाने की संभावना बढ़ जाती है.

प्रेम-प्रसंग में जेल में आने वाले बंदी

ऐसे बंदी जो कि प्रेम-प्रसंग में अपेक्षा अनुरूप प्रतिक्रिया न मिलने के कारण अपराध करने में आरोपित हो. ऐसे बंदियों की जेल में आकर आत्महत्या करने की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है.

मनोरोगी बंदी: जेल में दाखिल होने वाले ऐसे बंदे जो कि पहले से किसी मानसिक समस्या से पीड़ित हैं और मानसिक रूप से कमज़ोर हैं, उनके जेल में ख़ुद को चोट पहुंचाने की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है.

नशे के आदी बंदी

जेल में बंद बंदियों में बड़ी संख्या में ऐसे बंदी होते हैं जो जेल परिसर में नशा उपलब्ध न होने के चलते आप अवसाद का शिकार हो जाते हैं. ऐसे बंदियों की भी जेल में आकर आत्महत्या करने की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है.

जेल में बंदियों को आत्महत्या कार्य करने और स्वयं को नुकसान पहुंचाने के लिए आवश्यक संवेदनशील वस्तुओं को बंदियों की पहुंच से दूर रखा जाता है. जेल प्रशासन द्वारा सुनिश्चित किया जाता है कि जेल में विभिन्न कार्यों में प्रयोग की जाने वाली नुकीली वस्तुएं, रस्सी, सीढ़ी, सरिया, जहरीले रसायन, लोहे की छड़ आदि बंदियों की पहुंच से दूर हो. बंदियों के मनोभाव को सशक्त करने और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हुए मनोबल को मजबूत करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों से कारागार में आत्महत्या जैसे अपराध को रोकने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.

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