
संवाददाता
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में नवगठित भाजपा की सरकार बने हुए पांच महीने पूरे हो चुके हैं. इस दौरान जिस तरह तमाम मंत्रियों से लेकर विधायक सत्ता परिवर्तन होने के बाद अपने-अपने क्षेत्र में कामकाज की समीक्षा के लिए लगातार दौरा कर रहे हैं, उसमें जिले के डीएम, एडीएम, एसडीएम तक को तुरंत हाजिर होने का फरमान दे देते थे.
सरकार के नए आदेश के बाद अब वे ऐसा नहीं कर पाएंगे. इसके लिए उन्हें बाकायदा मुख्य सचिव को लिखित रूप से बताना होगा. वहां से इजाजत मिलने के बाद ही मंत्रियों व विधायक के दौरे में आला अधिकारी शामिल हो पाएंगे.
डिविजनल कमिश्नर नीरज सेमवाल ने इस संबंध में सभी जिलों के डीएम, एडीएम और अन्य आला अधिकारियों को आदेश जारी किए हैं. जिसमें कहा गया कि इस तरह की चर्चा से पहले मुख्य सचिव की पूर्व सहमति आवश्यक है. इस आदेश में राजस्व मंत्री की स्वीकृति यानी मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के आदेशानुसार ही यह कदम उठाने का जिक्र शामिल है. डिविजनल कमिश्नर द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि ऐसा विभागीय कामकाज को सुचारू बनाने के लिए किया जा रहा है.
बिना पूर्व सूचना के जिस तरह डीएम व अन्य अधिकारी दौरे पर अभी तक जाते रहे हैं, इससे वे अपने जिले की जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा पा रहे हैं. इसमें न्यायिक कार्य, क्षेत्रीय निरीक्षण, शिकायत निवारण, विभागीय योजनाओं का क्रियान्वयन और पर्यवेक्षण, कानून और व्यवस्था संबंधी कार्य, तथा जिला स्तरीय विकास और राजस्व मामलों की निगरानी आदि शामिल है.
डीएम के पास होती है महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
अन्य राज्यों की तरह दिल्ली में भी डीएम के पास प्रशासनिक व्यवस्था की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है. नई बीजेपी सरकार ने कई प्रमुख परियोजनाओं में जिलाधिकारियों को शामिल किया है. दिल्ली में 11 जिले हैं, जिनमें से प्रत्येक में एक जिलाधिकारी (डीएम), एक अतिरिक्त जिलाधिकारी ( एडीएम) और उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) हैं. दिल्ली में तमाम डीएम कार्यालय दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में स्थित हैं और उन्हें विभिन्न बैठकों या निरीक्षणों के लिए बुलाने से उनके कार्यालयों के कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

अत्यंत आवश्यक बैठकों में होंगे शामिल
मुख्य सचिव की पूर्व सहमति लेने से प्राथमिकता और उचित समय प्रबंधन का हवाला देते हुए जहाँ भी संभव हो, डीएम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से, विशेष रूप से नियमित समीक्षा या ब्रीफिंग बैठकों में, भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए. केवल उन्हीं बैठकों के लिए समय निकालें जो अत्यंत आवश्यक हों. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी यह स्पष्ट किया है कि यह निर्णय अधिकारियों के कार्यभार को संतुलित रखने और आमजन से जुड़ी सेवाओं को बेहतर बनाने के इरादे से लिया गया है.
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने मंत्रियों के आधिकारों पर पाबंदी लगा दी है.अगर कोई मंत्री किसी ज़िलाधिकारी को अपनी मीटिंग में बुलाना चाहे तो इसके लिए उसे चीफ़ सेक्रेटरी से लिखित इजाज़त लेनी पड़ेगी.लोकतंत्र का तमाशा बना दिया है भाजपा वालों ने. -मनीष सिसोदिया, पूर्व उपमुख्यमंत्री दिल्ली
मुख्यमंत्री रेखा के मुताबिक, सभी विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस सर्कुलर का सख्ती से पालन करें, ताकि प्रशासनिक प्रणाली और जनहित दोनों प्रभावित न हों. विभाग ने एक स्पष्ट व्यवस्था दी है कि अब यदि किसी विभाग को डीएम या एडीएम स्तर के अधिकारी को बैठक में बुलाना है तो उन्हें पहले दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से अनुमति लेनी होगी. उनका मानना है कि इसके पीछे उद्देश्य यह है कि केवल उन्हीं बैठकों के लिए समय निकाला जाए जो अत्यंत आवश्यक हों और जिनमें संबंधित अधिकारी की उपस्थिति वाकई जरूरी हो.



