
संवाददाता
बेंगलुरु। कर्नाटक में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच चल रही जुबानी जंग के बीच प्रियांक खड़गे ने राष्ट्रीय स्वंय सेवक (RSS) पर बैन लगाने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र में कांग्रेस सरकार बनती है तो आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा.
खड़गे ने एक्स पर कहा, “अगर हमारी सरकार केंद्र में सत्ता में आई तो हम आरएसएस पर प्रतिबंध लगा देंगे.” उनके इस बयान ने तीखी बहस छेड़ दी है. उन्होंने कहा, ” अन्ना जब भी आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया गया, आप माफी मांगते हुए वापस आए, कानून का पालन करने का वादा किया. सावरकर ने अंग्रेजों से भीख मांगी. आरएसएस ने सरदार पटेल से माफी मांगी और फिर इंदिरा गांधी से भी माफी मांगी. यह शॉर्ट मेमोरी है या एमनेसिया?”
‘युवाओं को कट्टरपंथी बनाता है’
कांग्रेस नेता ने आगे कहा, “मेरा विश्वास करो, जिस दिन लोग मुझे पर्याप्त शक्ति मिलेगी. मैं आरएसएस की जहरीली, राष्ट्र-विरोधी मशीनरी को नष्ट करने के लिए हर संवैधानिक टूल का उपयोग करूंगा. आरएसएस में कभी भी लोगों का सीधे सामना करने का साहस नहीं रहा. यह पर्दे के पीछे छिपकर काम करता है, संस्थानों को संक्रमित करता है, युवाओं को कट्टरपंथी बनाता है और नफरत को आउटसोर्स करता है. यह छाया में पनपता है, कभी जवाबदेह नहीं होता.”
‘राष्ट्र-विरोधी ताकत’
उन्होंने आगे कहा कि यह हमेशा एक कायर, राष्ट्र-विरोधी ताकत थी, है और हमेशा रहेगी, एक परजीवी जो उसी गणतंत्र को खा रहा है जिसकी सेवा करने का यह दावा करता है. मुझे पता है कि आप परेशान होंगे कि मैंने आरएसएस को राष्ट्र-विरोधी कहा. कृपया खुद ही फैसला करें. बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा था कि हिंदू धर्म फासीवादी और/या नाजी विचारधारा के समान ही एक राजनीतिक विचारधारा है और पूरी तरह से लोकतंत्र विरोधी है.”
आरएसएस और देश के प्रति उनके योगदान पर कभी भी, कहीं भी बहस करने के लिए तैयार हैं. चूंकि आप दृढ़ विश्वास की बात कर रहे हैं, तो इसे साबित क्यों नहीं करते? अपने सभी शीर्ष भाजपा नेताओं के बच्चों की शाखाओं में गर्व से आरएसएस की वर्दी पहने हुए तस्वीरें पोस्ट करें. देश को भाजपा नेताओं का आरएसएस के प्रति दृढ़ विश्वास देखने दें. चुनौती स्वीकार है?
बीजेपी नेता आर अशोक का पलटवार
वहीं, प्रियांक खड़गे के बयान पर बीजेपी नेता आर अशोक ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि आरएसएस के खिलाफ आपका तीखा हमला, माफी मांगने और वापस आने की घिसी-पिटी बयानबाजी को दोहराता है, जो आपकी अपनी पार्टी के आश्चर्यजनक पाखंड को उजागर करता है. आप साहस और जवाबदेही की कमी के रूप में जो कुछ भी समझते हैं, उसके खिलाफ बोलते हैं, फिर भी अपने ही नेता श्राहुल गांधी की लगातार माफी के बारे में गहन और चुनिंदा भूलने की बीमारी से पीड़ित लगते हैं.
उन्होंने कहा कि चलिए वापस आने के बारे में बात करते हैं. वास्तव में कौन बार-बार इस देश की सर्वोच्च अदालतों के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए माफी मांगने के लिए मजबूर हुआ है? क्या यह राहुल गांधी नहीं हैं जिन्होंने ‘चौकीदार चोर है’ को गलत तरीके से अदालत के नाम से जोड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट में ‘बिना शर्त माफी’ प्रस्तुत की? उन्होंने सिर्फ़ माफी नहीं मांगी; उन्हें उसी संस्था ने चेतावनी दी थी जिसे वे बदनाम करने की कोशिश कर रहे थे.



