
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली । राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने 1 जुलाई से एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाने जा रही है. दिल्ली के सभी पेट्रोल और डीजल पंपों पर 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल व 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों को ईंधन नहीं दिया जाएगा. इस व्यवस्था को लागू करने के लिए पेट्रोल पंपों पर एआई कैमरे लगाए गए हैं, जो ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के डेटाबेस से कनेक्ट किया गया है. ऐसे में एआई कैमरे पुराने वाहनों को नंबर प्लेट से पहचान लेंगे. आइए जानते हैं कि यह पूरी व्यवस्था कैसे काम करेगी और इसमें क्या तकनीकी खामियां आ सकती हैं.
राजधानी दिल्ली में करीब 60 लाख ऐसे वाहन हैं जो इस नई व्यवस्था के तहत प्रतिबंधित श्रेणी में आते हैं, यानी कि ये वाहन अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं. दिल्ली सरकार की तरफ से ऐसे वाहनों को पेट्रोल न देने की व्यवस्था एक अप्रैल से लागू करनी थी लेकिन पेट्रोल पंपों पर कैमरे नहीं लग पाए थे. ऐसे में इस व्यवस्था को अब 1 जुलाई से लागू किया जा रहा है. दिल्ली में करीब 400 पेट्रोल पंप हैं. इन पेट्रोल पंपों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित नंबर प्लेट रीडर कैमरे लगाए गए हैं. ये कैमरे सीधे दिल्ली परिवहन विभाग के डेटाबेस से जोड़े गए हैं. जैसे ही कोई ओवरएज वाहन ईंधन भरवाने के लिए पंप पर पहुंचेगा. ये एआई कैमरे उसकी नंबर प्लेट को रीड करेंगे. वाहन की उम्र की पुष्टि होगी. अगर वाहन नियम के मुताबिक एक्सपायर यानी उम्र की अवधि पूरी कर चुका है तो पेट्रोल पंप पर लगे स्पीकर पर अलार्म बजेगा. स्पीकर पर वाहन नंबर के साथ बताया जाएगा की वाहन एक्सपायर हो चुका है. तुरंत ही ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को भी सूचना चली जाएगी, जिससे उस वाहन मालिक पर कार्रवाई हो सके.
पेट्रोल पंप पर तैनात रहेंगे कर्मचारी
दिल्ली सरकार ने इस बार पूरी तैयारी के साथ उतरने के लिए 27 जून को एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली के 350 पेट्रोल व डीजल पंपों को चार हिस्सों में बांटा गया है. 1 से 100 नंबर के पंपों पर दिल्ली पुलिस के जवान तैनात किए जाएंगे. 101 से 159 नंबर तक के पंपों पर परिवहन विभाग की टीमें मौजूद रहेंगे. 160 से 250 नंबर तक के पंपों पर दिल्ली पुलिस व परिवहन विभाग की संयुक्त टीमें तैनात होंगी. इसमें 91 अधिकारी दिल्ली पुलिस के होंगे जिनके पास चालान काटने की भी शक्ति होगी. 251 से 350 नंबर तक के पंपों पर नगर निगम की टीमों की ड्यूटी रहेगी. इन टीमों की ड्यूटी इसलिए लगाई जा रही है कि कोई भी वाहन मालिक ईंधन देने से मना करने पर स्थिति से निपट सके और वाहनों को जब्त करने की उचित कार्रवाई की जा सके.
नहीं हुआ है ट्रायल, हो सकती है समस्या
दिल्ली सरकार की इस योजना पर सवाल भी उठ रहे हैं. दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष निश्चल सिंघानिया का कहना है कि सरकार ने इस व्यवस्था का कोई ट्रायल रन नहीं किया है. ऐसे में 1 जुलाई से जब व्यवस्था लागू होगी तो कई तरह की समस्याएं आ सकती हैं. उन्होंने कहा कि हम लोग बिजनेसमैन हैं. किसी को भी पेट्रोल या डीजल देने से मना करना स्वाभाविक रूप से मुश्किल होगा. अगर कोई ग्राहक बहस करता है या विवाद की स्थिति पैदा करता है तो इससे कौन निपटेगा. इस समस्या को सरकार के समक्ष रखा गया था तो सरकार ने पुलिस और ट्रांसपोर्ट विभाग के कर्मचारियों को तैनात करने का निर्देश दिया है, लेकिन ये कर्मचारी कब तक पेट्रोल व डीजल पंपों पर रहेंगे? 24 घंटे तो रह नहीं सकते है. यदि कैमरा नंबर प्लेट ठीक से न पढ़ पाए, डेटाबेस अपडेट न हो या सिस्टम फेल हो जाए तो विवाद खड़े हो सकते हैं, जबकि दिल्ली सरकार ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर किसी भी पेट्रोल पंप पर नियमों के उल्लंघन में एक्सपायर वाहन को ईंधन दिया जाता है तो पंप संचालक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
एक कैमरे से व्यवस्था लागू करना कैसे संभव
दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष निश्चल सिंघानिया का कहना है कि दिल्ली में करीब 400 पेट्रोल पंप हैं. एक पेट्रोल पंप को पूरा कवर करने के लिए संचालक द्वारा 13 से 15 कैमरे लगवाने पड़ते हैं. दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग की तरफ से सिर्फ एक कैमरा लगाया गया है. इससे कैसे संभव है कि सभी वाहनों की नंबर प्लेट को रीड किया जा सकता है. दूसरी समस्या ये भी है कि कई पेट्रोल पंपों के जिस लोकेशन पर ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की ओर से कैमरे लगाए गए हैं. वह सिर्फ ईधन लेकर निकलने के बाद ही वाहन की नंबर प्लेट को रीड कर पाएंगे. ऐसे में व्यवस्था फेल हो सकती है. ऐसे में कार्रवाई पेट्रोल पंप के संचालन पर हो सकती है. इस व्यवस्था को पूरी तरह लागू करने के लिए काफी सुधार की जरूर है. यदि किसी को दिल्ली में पेट्रोल नहीं मिल रहा है तो वह नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद व दिल्ली से सटे अन्य राज्य के पेट्रोल पंप पर भी पेट्रोल डलवा सकता है.



