
विशेष संवाददाता
गाजियाबाद। गाजियाबाद के लोगों के लिए राहत की बड़ी खबर सामने आई है। नगर निगम द्वारा हाल ही में लागू किया गया बढ़ा हुआ हाउस टैक्स अब वापस ले लिया गया है। 30 जून 2025 को महापौर सुनीता दयाल की अध्यक्षता में बुलाई गई आपात बोर्ड बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। बैठक में साहिबाबाद विधायक और प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा, सांसद अतुल गर्ग, विधायक अजीत पाल त्यागी, विधायक संजीव शर्मा सहित कई जनप्रतिनिधि और नगर निगम के पार्षद शामिल हुए। यह फैसला जनता में बढ़ते आक्रोश और शहरभर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच लिया गया है, जो पिछले कई हफ्तों से शहर का माहौल गरमाए हुए थे।
पिछले कुछ समय में नगर निगम द्वारा हाउस टैक्स में चार गुना तक की वृद्धि की घोषणा ने शहरवासियों, व्यापारियों और पार्षदों के बीच तीखा विरोध पैदा कर दिया था। कई पार्षदों ने इसे जनविरोधी और तानाशाही फैसला बताते हुए निगम सदन से लेकर सड़कों तक विरोध किया। विपक्षी नेताओं, जिसमें कांग्रेस के पूर्व पार्षद जाकिर सैफी और नसीम खान भी शामिल थे, ने निगम मुख्यालय के बाहर धरना देकर “हाउस टैक्स वापस लो” के नारे लगाए। आम जनता और व्यापारिक संगठनों ने चेतावनी दी थी कि इस टैक्स वृद्धि से गाजियाबाद में आर्थिक दबाव बढ़ जाएगा और विकास कार्यों में असंतोष बढ़ेगा। इस बढ़ते दबाव को देखते हुए महापौर ने आपात बैठक बुलाई, जहां लंबी और हंगामेदार चर्चा के बाद सर्वसम्मति से टैक्स वृद्धि को रद्द करने का फैसला किया गया।

बैठक के दौरान कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा ने कहा कि टैक्स की दरें स्पष्ट और तर्कसंगत होनी चाहिए ताकि जनता पर अनावश्यक बोझ न पड़े। उन्होंने निगम प्रशासन को सुझाव दिया कि अपनी आय बढ़ाने के लिए व्यावसायिक संपत्तियों से टैक्स वसूली को प्रभावी बनाया जाए। सांसद अतुल गर्ग ने भी टैक्स निर्धारण में पारदर्शिता और ईमानदारी की आवश्यकता पर जोर दिया। पार्षद राजीव शर्मा ने टैक्स निर्धारण में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और उदाहरण देते हुए बताया कि कुछ मामलों में जानबूझकर अधिक टैक्स लगाया गया और फिर सेटिंग के जरिए कम कर दिया गया। महापौर सुनीता दयाल ने इस पर कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसी गड़बड़ियां बर्दाश्त नहीं की जाएंगी और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नगर निगम अब अपने उपलब्ध फंड के मुताबिक ही शहर के विकास कार्य करेगा, लेकिन जनता पर अतिरिक्त बोझ नहीं डालेगा।
बता दें कि गाजियाबाद नगर निगम की स्पेशल बोर्ड बैठक आज सोमवार को महापौर सुनीता दयाल की अध्यक्षता और नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक के नेतृत्व में शुरू हुई। वंदे मातरम् के साथ आरंभ हुई बैठक में संपत्ति कर वृद्धि का मुद्दा छाया रहा जिसपर जमकर बहस हुई।
बैठक के दौरान कई निगम पार्षदों ने बढ़े हुए संपत्ति कर को लेकर कड़ी आपत्ति जताई और इस निर्णय को वापस लेने की मांग की। सदन में माहौल तब गरमा गया जब विपक्षी पार्षदों ने निगम प्रशासन पर जनविरोधी नीति अपनाने का आरोप लगाया। महापौर सुनीता दयाल ने सभी पार्षदों से इस मुद्दे पर राय मांगी। अब तक 16 पार्षद अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं, जबकि अन्य पार्षदों की राय पर चर्चा जारी है। महापौर और नगर आयुक्त ने बैठक के दौरान पार्षदों को निर्णय की पृष्ठभूमि समझाने की कोशिश की, लेकिन विरोध थमता नजर नहीं आया।
सिर्फ सदन के भीतर ही नहीं, बल्कि नगर निगम परिसर के बाहर भी शहर के व्यापारियों ने प्रदर्शन कर बढ़े हुए टैक्स का विरोध किया। व्यापारियों ने निगम अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा और टैक्स वृद्धि वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि महंगाई के दौर में यह निर्णय व्यापारियों और आमजन के हित में नहीं है।



