
विशेष संवाददाता
गाजियाबाद । समाजवादी पार्टी लगातार विपक्षी तेवरों के साथ है। वो सियासत में अपनी योजनाओं के साथ आ रहे हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ये ऐलान कर दिया है कि समाजवादी पार्टी अपने टिकटों को चुनाव के समय घोषित नहीं करेगी। वो चुनाव से छह महीने पहले अपने टिकट घोषित कर देगी। पार्टी की रणनीति ये है कि इससे उम्मीदवारों को क्षेत्र में जाने का समय मिलेगा। अपनी नीति और रणनीति दोनों पर काम करने का समय मिलेगा। भाजपा पहले से 2027 की चुनावी तैयारियों को लेकर अभी से चल रही है। समाजवादी पार्टी भी अब अपने चुनावी तेवरों के साथ आ रही है। उसके राष्ट्रीय मुखिया ने कमान संभाली है, लेकिन गाजियाबाद की बात करें तो यहां समाजवादी पार्टी के दावेदार दिखाई भी नहीं दे रहे हैं। मुरादनगर की बात करें तो यहां से कौन नेता चुनाव लड़ना चाहता है, कोई चेहरा स्पष्ट नहीं है। मुरादनगर विधानसभा में समाजवादी पार्टी का कोई ऐसा दावेदार अपनी सक्रिय गतिविधियों को लेकर दिखाई नहीं दे रहा है। मुरादनगर में कई नेता रहते हैं, लेकिन चुनावी तेवरों के साथ कोई समाजवादी नहीं है। अगर लोनी विधानसभा की बात करें तो लोनी से कौन समाजवादी पार्टी का दावेदार है ये पता ही नहीं चल रहा। विपक्ष वाले तेवरों के साथ कोई समाजवादी दिखाई नहीं दे रहा।
अगर बात साहिबाबाद की करें तो ये देश की सबसे बड़ी विधानसभा है और यहां समाजवादी उम्मीदवारी की दावेदारी वाली कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है। यहां से फिलहाल कोई नेता चुनावी मोड में नहीं है। यहां महानगर अध्यक्ष विरेंद्र यादव रहते हैं, लेकिन वो संगठन वाले अंदाज में तो हैं लेकिन उम्मीदवार वाले अंदाज में नहीं हैं। इसी तरह धौलाना विधानसभा की बात करें तो यहां असलम चौधरी राजनीति वाले अंदाज में हैं और उनके अलावा कोई चेहरा यहां समाजवादी दावेदारी में नहीं हैं। यही हाल मोदीनगर का भी है और वहां भी फिलहाल कोई समाजवादी दावेदारी नहीं है। कोई नेता इन विधानसभाओं में नहीं हैं जो चुनावी तैयारियों को लेकर समाजवादी छाप छोड़ रहा हो।
शहर में अभिषेक गर्ग-सिंहराज और विशाल वर्मा की चर्चा
समाजवादी पार्टी के शहर वाले सीन की तरफ रुख करें तो यहां तीन चेहरे विपक्षी अंदाज में हैं। मुद्दों पर बोलते हैं, जनता के बीच आते हैं। यहां इन चेहरों में समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव अभिषेक गर्ग का नाम आता है। अभिषेक गर्ग मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं। सरकार को उसके फैसलों पर घेरते हैं। नीतियों की भी आलोचना करते हैं और वो जनता के बीच भी रहते हैं। अपनी गतिविधियों से विपक्ष के जिंदा होने का एहसास कराते हैं। शहर सीट की बात करें तो यहां विधानसभा चुनाव लड़ चुके विशाल वर्मा और सिंहराज जाटव भी दावेदारी वाली राजनीति का फेस माने जा सकते हैं। ये दोनों ही चेहरे पूर्व में विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। अपने-अपने स्तर पर सक्रिय हैं और मुद्दों को लेकर एक्टिव रहते हैं।



