
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली । दिल्ली की आठवीं विधानसभा के बजट सत्र के बाद दूसरे सत्र का आयोजन मंगलवार से शुरू होने वाला था, लेकिन अपरिहार्य कारणों के चलते रद्द कर दिया गया है.विधानसभा के उप सचिव मुकेश सी शर्मा ने यह जानकारी दी. विधानसभा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सत्र की शुरुआत दोपहर दो बजे से होनी थी. दिल्ली सरकार द्वारा इस सत्र में निजी स्कूलों की मनमाने तरीके से बढ़ाई जा रही फीस को कंट्रोल करने के लिए बिल लाने की तैयारी थी.
अवैध रूप से फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने की तैयारी
बता दें कि प्राइवेट स्कूलों द्वारा बिना शिक्षा निदेशालय की मंजूरी के मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने की शिकायतें लगातार दिल्ली सरकार को मिल रही थीं. कई अभिभावकों ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से मिलकर अवैध रूप से फीस बढ़ोतरी की शिकायत की थी. इसके बाद सरकार ने इस दिशा में बिल लाने की कवायद शुरू की थी.

सीएम रेखा ने 10 दिन पहले बिल के बारे में दी थी विस्तृत जानकारी
करीब 10 दिन पहले ही सीएम रेखा गुप्ता ने दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री आशीष सूद के साथ प्रेस वार्ता कर बिल के बारे में विस्तृत जानकारी दी थी. साथ ही बिल का ड्राफ्ट भी बताया था. उन्होंने कहा था कि जल्द ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर के हम इस बिल को विधानसभा से पारित करेंगे और उसे कानून बनाकर लागू करेंगे. इस बिल का नाम दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन बिल-2025 रखा गया है.
बिल का रेगुलेशन होगा ट्रांसपेरेंट
यह बिल तय करेगा कि स्कूल की फीस बढ़ेगी या नहीं बढ़ेगी. इसका रेगुलेशन ट्रांसपेरेंट होगा. शिक्षा मंत्री ने कहा था कि हमने मुख्यमंत्री के निर्देश पर जनता को नया शासन गुड गवर्नेंस के नए आयाम खड़े करने का प्रयास किया है. दिल्ली की जनता को उन 1677 स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को राहत मिलेगी और अभिभावकों को राहत मिलेगी. पिछले एक्ट में कोई यह नियम नहीं था कि कैसे फीस बढ़ेगी. लेकिन यह नया बिल तीन स्तरीय समिति बनाकर लागू किया जाएगा.
इस तरह लागू होगा बिल
पहले स्कूल लेवल फीस रेगुलेशन कमेटी बनेगी. कमेटी में पैरेंट्स, स्कूल की प्रिंसिपल और तीन टीचर होगी. स्कूल का डायरेक्टर उनका ऑब्जर्वर होगा. स्कूल अपनी मनमानी नहीं कर पाएगा. जितने पेरेंट्स हैं ड्रॉ के माध्यम से पेरेंट्स को चुना जाएगा. यह कमेटी 3 साल के लिए फीस बढ़ाने का निर्णय लेगी. स्कूल फीस रेगुलेशन कमेटी 18 बिंदुओं के आधार पर स्कूल कौन सा ग्रेड देता है, कौन सी पे कमीशन टीचर्स को देता है, लैब कितनी है, लाइब्रेरी कितनी है. लाइब्रेरी डिजिटल है या नहीं ऐसे 18 नियमों के आधार पर स्कूल यह निर्णय करेगा.
कमेटी तय करेगी कि फीस बढ़नी चाहिए या नहीं
कमेटी तय करेगी कि फीस बढ़नी चाहिए या नहीं बढ़नी चाहिए. यह कमेटी 31 जुलाई तक फॉर्म हो जाएगी. अगले अकादमिक ईयर के लिए लागू होने वाली फीस की चर्चा करने के लिए 30 दिन के अंदर रिपोर्ट देनी होगी. अगर यह कमेटी 30 दिन के अंदर रिपोर्ट नहीं दे पाएगी तो डिस्ट्रिक्ट लेवल कमिटी के पास मामला चला जाएगा.

कमेटी में होंगे इतने पद और इतने सदस्य
इस कमेटी में डायरेक्टरेट ऑफ एजुकेशन का चेयरपर्सन डिप्टी डायरेक्टर होंगे, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट होगा, दो टीचर ड्रा ऑफ लॉट्स से चुने जाएंगे और दो पेरेंट्स डिस्ट्रिक्ट लेवल अपील को सुनेंगे. यह कमेटी 30 से 45 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट देगी. अगर यहां पर भी सहमति नहीं होगी तो स्टेट लेवल की कमेटी जिसका चेयरपर्सन मंत्रालय तय करेगा.
सात लोगों की कमेटी बिल को करेगी रिव्यू
उसके साथ एजुकेशनिस्ट, चार्टर्ड अकाउंटेंट, प्राइवेट स्कूल के प्रतिनिधि, पेरेंट्स के प्रतिनिधि, एडिशनल डायरेक्टर एजुकेशन के प्रतिनिधि ऐसे सात लोगों की कमेटी रिव्यू करेगी और अपना निर्णय देगी. बिल में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर स्कूल बिना अनुमति के फीस बढ़ाता है तो उस पर एक लाख रूपये से 10 लाख रूपये तक का जुर्माना लगेगा.



