
विशेष संवाददाता
गाजियाबाद। हाल ही में शासन की ओर से आईपीएस अधिकारियों के तबादले किए गए हैं, जिसमें जे. रविंदर गोड को गाजियाबाद का नया पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया है। उन्होंने गुरुवार को अपना पदभार ग्रहण कर लिया। वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विश्वासपात्र अधिकारियों में से एक हैं और पहले गोरखपुर में डीआईजी और आईजी के पद पर कार्य कर चुके हैं।
15 अप्रैल की रात को शासन ने 11 आईपीएस अधिकारियों का तबादला किया, जिसमें गाजियाबाद के पूर्व पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटाकर आगरा के पुलिस कमिश्नर जे. रविंदर गोड को गाजियाबाद की जिम्मेदारी सौंपी गई।
जेपी. रविंदर गोड 2005 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और गाजियाबाद के दूसरे पुलिस कमिश्नर हैं। उन्हें कार्य के प्रति उनकी सख्ती और अनुशासन के लिए जाना जाता है। अपने चार्ज संभालने के तुरंत बाद उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि जनसुनवाई में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। शिकायतों की संख्या के आधार पर थाना प्रभारियों की जवाबदेही तय की जाएगी और भ्रष्टाचार की शिकायतों पर सीधे निलंबन की कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस कमिश्नर ने यह भी कहा कि डीसीपी, एडिशनल डीसीपी और सभी एसीपी सुबह 10 बजे तक अपने कार्यालयों में उपस्थित रहेंगे, और थानों में नाइट अफसरों की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाएगी। वे भी हर दिन सुबह 10 बजे से कार्यालय में जनसुनवाई करेंगे।
जे. रविंदर गोड ने यह आश्वासन दिया कि वे जनप्रतिनिधियों के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करेंगे और लोगों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता के आधार पर करेंगे। आगरा में रहते हुए, उन्होंने थानों से जुड़े जनप्रतिनिधियों की जानकारी थाना प्रभारियों से प्राप्त की थी, ताकि पुलिसकर्मियों को उनकी जिम्मेदारियों का अनुभव हो सके।
उन्होंने कहा कि गौकशी, भूमाफिया और स्नेचिंग जैसी घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अगर स्नेचिंग की घटनाएं होती हैं, तो बीट कांस्टेबल से लेकर चौकी इंचार्ज और थाना प्रभारी तक को जिम्मेदार माना जाएगा। साथ ही, यातायात व्यवस्था को भी और बेहतर बनाया जाएगा।
पूर्वांचल से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक का लंबा प्रशासनिक अनुभव रखने वाले जे. रविंदर गोड मेरठ, मुरादाबाद, अलीगढ़ और लखनऊ जैसे बड़े शहरों में एसएसपी रह चुके हैं। गाजियाबाद जैसे संवेदनशील जिले में उनकी नियुक्ति शासन की ओर से एक मजबूत संदेश देने की पहल मानी जा रही है।
गौरतलब है कि गाजियाबाद में महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद और भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर लंबे समय से सुनवाई न होने की वजह से शासन में शिकायतें कर रहे थे। अब यह देखना होगा कि नए कमिश्नर के आते ही जिले की कानून व्यवस्था में कितना सुधार हो पाता है।



