
विशेष संवाददाता
गाजियाबाद। राष्ट्रीय गुर्जर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी रविंदर सिंह गुर्जर ने 13 अप्रैल 2025 को एक बड़ा आंदोलन आयोजित करने की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर के समर्थन में देशभर से लाखों गुर्जर दिल्ली की ओर कूच करेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर अपनी बातें रखेंगे। यदि मुलाकात नहीं हो पाई, तो यह जनसमूह प्रधानमंत्री आवास के सामने शांतिपूर्ण धरना देगा।
यह विवाद 20 मार्च 2025 को गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र में राम कथा मंगल कलश यात्रा के दौरान पुलिस और विधायक समर्थकों के बीच हुई झड़प से उत्पन्न हुआ। आरोप है कि पुलिस प्रशासन ने कलश यात्रा को रोकने का प्रयास किया, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई। विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने प्रशासन पर हिंदू आस्था के अपमान और उनके समर्थकों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया।
इस घटना के बाद पूरे गुर्जर समाज में आक्रोश फैल गया, और इसे सनातन धर्म पर एक हमले के रूप में देखा जाने लगा। अब यह मामला सांस्कृतिक और राजनीतिक दोनों प्रकार के रूप लेने लगा है।
राष्ट्रीय गुर्जर महासभा के अध्यक्ष चौधरी रविंदर सिंह गुर्जर ने कहा कि “नंदकिशोर गुर्जर हमारे समाज के एक प्रतिष्ठित नेता हैं। उनके साथ हुआ अन्याय केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरे समाज और सनातन धर्म की भावनाओं पर आघात है। हम इसे सहन नहीं करेंगे।”
उन्होंने बताया कि 13 अप्रैल को देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 20 लाख गुर्जर और सनातनी समाज के लोग दिल्ली पहुंचेंगे। यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहेगा, लेकिन सरकार को समाज की एकजुटता और ताकत का संदेश पहुंचाएगा।
इस आंदोलन की तैयारी को लेकर यूपी के कई जिलों – गाजियाबाद, सहारनपुर, बागपत, गौतमबुद्ध नगर, नोएडा आदि में जोरदार गतिविधियाँ की जा रही हैं।
राष्ट्रीय वीर गुर्जर सेना के अध्यक्ष सोनू गुर्जर ने कहा कि सहारनपुर का संपूर्ण गुर्जर समाज नंदकिशोर गुर्जर के साथ खड़ा है। हम अपने हिंदू धर्म और नेताओं के सम्मान के लिए एकजुट हैं।”
बागपत के लीलू प्रमुख और भगोट के काशी प्रधान ने विधायक के समर्थन में बयान देते हुए कहा कि कलश यात्रा एक धार्मिक आयोजन थी, न कि किसी राजनीतिक रैली या प्रदर्शन। इसे रोकने का कोई कारण नहीं था।
लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्य हैं। पार्टी ने उन्हें पहले ही कारण बताओ नोटिस जारी किया है। ऐसे में यह आंदोलन बीजेपी के लिए भी एक राजनीतिक दबाव उत्पन्न कर सकता है, विशेष रूप से जब आंदोलन का उद्देश्य प्रधानमंत्री आवास तक अपनी आवाज पहुंचाना है।



