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मनमोहन सिंह का निधन, 7 दिन का राजकीय शोक, कल हाेगा अंतिम संस्कार

देश में शोक की लहर, पीएम माेदी ने बताया भारत के सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक थे

विशेष संवाददाता

नई दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार देर एम्स में रात निधन हो गया. सरकार ने 7 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है. उनके निधन के चलते केंद्र सरकार ने सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं. पूर्व प्रधानमंत्री का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. वहीं, मोदी सरकार की कैबिनेट की बैठक में शोक प्रस्ताव पास किया गया है.

मोदी सरकार की कैबिनेट बैठक में मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रस्ताव पास किया गया. उसके बाद पूरी कैबिनेट ने उनको श्रद्धांजलि अर्पित की.

बता दें, मनमोहन सिंह को बेहोशी के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद उनका निधन हो गया. वे काफी समय से स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे. पहले भी उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

कर्नाटक में कांग्रेस का अधिवेशन समेत सारे कार्यक्रम रद्द

कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बाद देश में शोक की लहर है. कांग्रेस ने शोक जाहिर करते हुए पार्टी के सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं. बता दें, कर्नाटक में कांग्रेस की स्थापना दिवस समारोह चल रहा था, जिसे भी तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है. जैसे ही उनके निधन की खबर मिली वैसे ही राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे कार्यक्रम को छोड़कर दिल्ली निकल गए. शोक के चलते तिरंगा और कांग्रेस पार्टी का झंडा आधा झुका रहेगा. वहीं, सारे कार्यक्रम 3 जनवरी 2025 को फिर से शुरू किए जाएंगे. मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर पहले उनके आवास पहुंचा जहां पीएम माेदी ने उनको श्रद्धांजलि दी. उसके बाद उनके शरीर को पार्टी कार्यालय लाया गया.

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पीएम मोदी ने व्यक्त किया शोक

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा कि भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन पर शोक मना रहा है. साधारण पृष्ठभूमि से उठकर वे एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री बने. उन्होंने वित्त मंत्री सहित विभिन्न सरकारी पदों पर कार्य किया और वर्षों तक हमारी आर्थिक नीति पर अपनी गहरी छाप छोड़ी. संसद में उनके हस्तक्षेप भी बहुत ही व्यावहारिक थे. हमारे प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए.

उन्होंने आगे लिखा कि डॉ. मनमोहन सिंह जी और मैं उस समय नियमित रूप से बातचीत करते थे जब वे प्रधानमंत्री थे और मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था. हम शासन से संबंधित विभिन्न विषयों पर गहन विचार-विमर्श करते थे. उनकी बुद्धिमत्ता और विनम्रता हमेशा देखने को मिलती थी. दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं डॉ. मनमोहन सिंह जी के परिवार, उनके मित्रों और असंख्य प्रशंसकों के साथ हैं. ओम शांति.

राहुल गांधी ने कहा-खो दिया गुरु

वहीं, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा कि

मनमोहन सिंह जी ने बहुत ही बुद्धिमत्ता और ईमानदारी के साथ भारत का नेतृत्व किया. उनकी विनम्रता और अर्थशास्त्र की गहरी समझ ने पूरे देश को प्रेरित किया. श्रीमती कौर और उनके परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं. मैंने एक गुरु और मार्गदर्शक खो दिया है. हममें से लाखों लोग जो उनके प्रशंसक थे, उन्हें अत्यंत गर्व के साथ याद करेंगे.

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मनमोहन सिंह के निधन से शोक में डूबा परिवार, रिश्तेदारों ने कहा- ‘बहुत डाउन टू अर्थ’ थे

डॉ. मनमोहन सिंह बहुत डाउन टू अर्थ व्यक्ति थे, जिसके कारण पूरी दुनिया उन्हें याद करती है. इससे पहले करीब डेढ़-दो साल पहले उनसे मुलाकात हुई थी. वे काफी समय से बीमार थे, जिसके चलते वह किसी से बोल नहीं पाते थे.

डॉ. मनमोहन सिंह की पहचान महज राजनीतिज्ञ के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक कुशल अर्थशास्त्री की भी थी. बहुत कम लोग जानते होंगे की वह सन् 1969 से लेकर सन् 1971 तक दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली स्कूल आफ इकोनॉमिक्स में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के प्रोफेसर रहे थे. सन् 1987 में उन्हें पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया गया था. उनकी आर्थिक नीतियों और दूरदर्शिता की ही देन है कि भारत को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान मिली.

डॉ. मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री और करीब 33 वर्ष तक राज्यसभा के सांसद रहे. 1991 में वह पहली बार राज्यसभा के सदस्य बने थे और 1991 से 1996 तक तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री भी रहे थे.

डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन का पहले लोकसभा चुनाव देश की राजधानी दिल्ली से ही लड़ा था. हालांकि, वह चुनाव में सफल नहीं हो सके थे. उन्हें बीजेपी प्रत्याशी प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. दरअसल, दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट वर्ष 1966 में चौथी लोकसभा के चुनाव के समय अस्तित्व में आई थी.

साल 1999 के लोकसभा चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने भी इस सीट से चुनाव लड़ा था. लेकिन, बीजेपी के उस समय के कद्दावर नेता प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा ने उन्हें 30 हजार वोटों से हराया था. बता दें कि डॉ मनमोहन सिंह वर्ष 1991 से लेकर लगातार पांच बार राज्यसभा के सांसद रहे. वहीं छठी बार वह 3 वर्ष के लिए राज्यसभा सांसद बने थे. कुल मिलाकर राज्यसभा में उनका 33 वर्ष का कार्यकाल रहा.

साल 2024 में पूरा हुआ राज्यसभा का कार्यकाल

इसी वर्ष अप्रैल में राज्यसभा में कार्यकाल पूरा होने के बाद वह रिटायर हुए थे. करीब एक साल से भी ज्यादा समय से वह चलने फिरने में असमर्थ थे और व्हीलचेयर के सहारे ही मूवमेंट करते थे. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद डॉक्टर मनमोहन सिंह अपने परिवार के साथ तीन मोतीलाल नेहरू मार्ग स्थित सरकारी आवास में रह रहे थे.

बता दें डॉ मनमोहन सिंह हार्ट के मरीज थे. उनके हार्ट की सात बार बाईपास सर्जरी भी हो चुकी थी. शुरू से ही उनका एम्स में इलाज चलता था. करीब 2 वर्ष पहले भी ज्यादा तबीयत बिगड़ने पर उन्हें दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था. करीब 15 दिन तक भर्ती रहने के बाद उन्हें एम्स से छुट्टी मिली थी.

 

 

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