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दिल्ली में सिसोदिया के खिलाफ कांग्रेस के सूरी, आतिशी के खिलाफ अलका लांबा ने क्यों पीछे खींचे कदम ?

विशेष संवाददाता

नई दिल्ली । दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी के बाद कांग्रेस ने भी अपने सिपहसलारों को उतारना शुरू कर दिया है. कांग्रेस ने 21 सीट के बाद अब मंगलवार शाम 26 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी है. कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ संदीप दीक्षित को रणभूमि में उतार रखा है तो अब मनीष सिसोदिया के खिलाफ फरहाद सूरी जैसे मजबूत चेहरे पर दांव खेला है. इतना ही नहीं आम आदमी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आए पूर्व विधायक देवेंद्र सहरावत और आसिम खान को प्रत्याशी बनाया गया है.

मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ कांग्रेस महिला कमेटी की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा को उतारे जाने की चर्चा मंगलवार पूरे दिन चली. देर शाम कांग्रेस ने अपने 26 उम्मीदवारों की सूची जारी की तो उसमें न ही अलका लांबा का नाम था और न ही कालकाजी सीट का. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आतिशी को लेकर कांग्रेस ऊहापोह की स्थिति में है या फिर अलका लांबा ने ही अपने कदम पीछे खींच लिए हैं?

सिसोदिया के खिलाफ फरहाद सूरी

कांग्रेस ने जंगपुरा विधानसभा सीट से मनीष सिसोदिया के खिलाफ फरहाद सूरी को प्रत्याशी बनाया है. फरहाद सूरी दिल्ली नगर निगम के मेयर रह चुके हैं और उन्हें सियासत अपनी मां से विरासत में मिली है. फरहाद सूरी जंगपुरा विधानसभा सीट के निजामुद्दीन वार्ड से लगातार पार्षद का चुनाव जीत रहे हैं. इतना ही नहीं उनकी मां ताजदार बाबर दिल्ली कांग्रेस की दिग्गज नेता रही हैं और मिंटो रोड सीट से दो बार विधायक भी रह चुकी हैं.

फरहाद सूरी दूसरी बार विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने के लिए उतरे हैं. पहली बार ओखला के उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट पर लड़े थे और अब जंगपुरा सीट से मनीष सिसोदिया के खिलाफ किस्मत आजमाएंगे. निजामुद्दीन और दरियागंज जैसा मुस्लिम इलाका जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र में आता है. फरहाद सूरी पंजाबी मुस्लिम है. इस इलाके में पंजाबी वोटर बड़ी संख्या में है. मुस्लिम और पंजाबी वोटों के सहारे ही फरहाद सूरी लंबे समय से पार्षद चुने जाते रहे हैं.

राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो आम आदमी पार्टी ने जिस सियासी मकसद के तहत मनीष सिसोदिया को पटपड़गंज सीट के बजाय जंगपुरा जैसी सेफ सीट माने जाने वाली से उतारा था, कांग्रेस के फरहाद सूरी के उतरने से अब खेल खराब हो सकता है. इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि मुस्लिम और पंजाबी के साथ जंगापुर के पॉश इलाके में भी फरहाद सूरी की मजबूत पकड़ मानी जाती है. सूरी अगर इन वोटों को अपने साथ जोड़ने में कामयाब रह जाते हैं तो सिसोदिया के लिए जंगापुर सीट जीतना आसान नहीं होगा?

आतिशी के खिलाफ सस्पेंस

जंगपुरा से पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ फरहाद सूरी को जरूर चुनावी मैदान में उतारा गया है. ऐसे में सभी की निगाहें सीएम आतिशी के खिलाफ कांग्रेस के कैंडिडेट पर है. मंगलवार को पूरे दिन यह चर्चा चलती रही कि कालकाजी सीट पर आतिशी के खिलाफ कांग्रेस अलका लांबा के नाम का ऐलान कर सकती है. कांग्रेस उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी करने से पहले पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक में खूब माथापच्ची की गई, लेकिन 26 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया गया तो न ही अलका लांबा का नाम था और न कालकाजी सीट का. इस तरह मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ कैंडिडेट कौन होगा, कांग्रेस ने इस पर सस्पेंस बनाकर रख दिया.

अलका लांबा ने क्यों खींचे कदम

सूत्रों की माने तो कालकाजी विधानसभा सीट पर कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में चर्चा अलका लांबा के नाम पर हुई. सभी इस पर सहमत दिख रहे थे कि जैसे अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली सीट से संदीप दीक्षित को उतारा गया है, उसी तरह से सीएम आतिशी के खिलाफ अलका लांबा को प्रत्याशी बनाया जाए. इस तरह अलका लांबा का नाम मीडिया में भी कालकाजी सीट से लड़ने के लिए चलने लगा. लिस्ट जारी होने से पहले तक सबको यकीन था कि आतिशी के सामने कांग्रेस की ओर से अलका लांबा ही उम्मीदवार होंगी. इतना ही नहीं कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भी चाहता था कि आतिशी के खिलाफ अलका लांबा चुनाव लड़े, लेकिन इसके लिए वो तैयार नहीं हुईं. अलका लांबा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने से ही इनकार कर दिया.

सवाल यही है कि सीएम आतिशि की कालका जी सीट से अलका लांबा चुनाव नहीं लड़ना चाहती या फिर इस बार किस्मत आजमाने के ही मूड में नहीं है. अलका लांबा चांदनी चौक से 2015 में विधायक रह चुकी है, उस समय वो आम आदमी पार्टी से चुनी गई थी. उसके बाद उन्होंने पार्टी छोड़कर कांग्रेस में घर वापसी की, क्योंकि कांग्रेस से ही आम आदमी पार्टी गई थी. अलका लांबा शुरू में कालका जी सीट से चुनाव लड़ने के मूड में नहीं थीं, वो चांदनी चौक सीट से ही किस्मत आजमाना चाहती थी.

अलका लांबा दिल्ली की सियासत में कांग्रेस का बड़ा नाम है, तेज तर्रार नेता मानी जाती है. पंजाबी समुदाय से आती है. कालकाजी सीट पंजाबी बहुल मानी जाती है, लेकिन चांदनी चौक जैसे सियासी समीकरण नहीं है. कांग्रेस ने चांदनी चौक से पहले ही जेपी अग्रवाल के बेटे को उम्मीदवार बना रखा है. ऐसे में अलका लांबा ने विधानसभा चुनाव लड़ने से ही अपने कदम पीछे खींच लिए हैं, क्योंकि कालकाजी सीट पर उन्हें अपनी जीत के समीकरण नजर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में आतिशी के खिलाफ चुनाव लड़कर अपनी बची कुची सियासत को भी अलका लांबा खत्म नहीं करना चाहती है. इसीलिए चुनाव लड़ने से ही पीछे हट गई हैं.

कांग्रेस अब किस पर खेलेगी दांव

अलका लांबा के कदम पीछे खींचने के बाद कांग्रेस सोच-विचार कर कालकाजी सीट पर अपना प्रत्याशी उतारना चाहती है. कांग्रेस को आतिशी से हारने का डर है? इसे लेकर तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता, जब तक कालकाजी से कांग्रेस के कैंडिडेट का ऐलान नहीं हो जाता. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस यह देखना चाह रही है कि आखिर कालका जी सीट पर आतिशी को कौन हरा पाएगा. कालका जी सीट पर आतिशी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस को नए चेहरे की तलाश करनी होगी.

ओखला सीट पर कांग्रेस का सस्पेंस

दिल्ली की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक सीट ओखला विधानसभा सीट भी है, जहां पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में है. आम आदमी पार्टी के अमानतुल्लाह खान दोबारा से विधायक हैं और पार्टी ने उन्हें तीसरी बार चुनावी मैदान में उतारा है. अमानतुल्लाह के खिलाफ कांग्रेस मजबूत और आक्रमक मुस्लिम चेहरे को उतारने की कवायद में है. मंगलवार को कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में ओखला सीट पर तीन नामों पर चर्चा हुई, जिसमें एक नाम इसरत जहां, दूसरा आरफा खान और तीसरी नाम अरीबा का था.

सूत्रों की माने तो मिनाक्षी नटराजन, आरफा खान को ओखला से चुनाव लड़ाना चाहती है जबकि राहुल गांधी इसरत जंहा के पक्ष में थे. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव अरीबा खान को प्रत्याशी बनवाना चाहते थे. आरफा खान के नाम को अलका लांबा ने बढ़ाया था और मीनाक्षी नटराजन की मंशा यही थी. इसरत जंहा सीएए-एनआरसी आंदोलन से चर्चा में आईं है और ओखला से तीन बार विधायक रह चुके परवेज हाशमी की बहु हैं. अरीबा खान अबुलफजल सीट से पार्षद हैं और पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद खान की बेटी हैं. बिहार के राज्यपाल बने आरिफ मोहम्मद खान की भतीजी हैं. ओखला सीट पर तीनों मजबूत दावेदारी होने के चलते दूसरी लिस्ट में उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया गया है.

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