
विशेष संवाददाता
गाजियाबाद। वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप तलवार नहीं रहे। उन्होंने शुक्रवार को गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके बेटे रजत तलवार ने बताया कि पांच दिन पहले घर में फिसलकर गिरने के बाद उन्हें नेहरु नगर स्थित यशोदा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कुलदीप तलवार भारत – पाक संबंधों पर लिखने के चलते खासे चर्चा में रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक तमाम बड़े अखबारों के लिए उनकी बेबाक लेखनी चलती रही। कुलदीप तलवार का अंतिम संस्कार दोपहर बाद हिंडन मोक्ष स्थली पर किया जाएगा।
भारत विभाजन के समय भारत आए थे
कुलदीप तलवार का परिवार 1947 में भारत विभाजन के बाद गाजियाबाद आकर बस गया था। उन्होंने भारतीय खाद्य निगम ( एफसीआई) बतौर महाप्रबंधक अपनी सेवाएं दीं। देश के तमाम बड़े अखबारों में उनके कॉलम प्रकाशित होते रहे। खासकर भारत – पाक संबंधों पर तो उन्होंने खूब लिखा। इसके साथ ही अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पीओके को लेकर भी उनकी टिप्पणी बड़े मायने रखती थी।
पाकिस्तान के खुशआब में हुआ था जन्म
कुलदीप तलवार को जन्म पाकिस्तान के सरगोधा जिले की खुशआब तहसील में हुआ था। मां हिंदी का कायदा पढ़ी थीं, उन्ही से हिंदी में दखल शुरू हुआ और फिर हिन्दी और उर्दू पर बरामद की पकड़ कायम कर ली। भारत विभाजन के समय वह महज 13 वर्ष के थे और अपने माता- पिता के साथ बड़ी मुश्किल से भारत आने वाले ट्रेन में सवार होकर पहुंचे थे। रास्ते में कई जगह ट्रेन पर हमले हुए, लेकिन बचते बचाते उनका परिवार गाजियाबाद पहुंचकर ट्रेन से उतरा। रेलवे स्टेशन से निकलते ही बजरिया में उन्हें रहने की जगह मिल गई और काफी दिन वहीं रहे। बाद में उन्होंने अशोक नगर में रहना शुरू किया।
पत्रकारिता के व्यवसायीकरण पर दुखी थे
वरिष्ठ पत्रकार अपने जीवन के आखिरी पड़ाव में पत्रकारिता के व्यवसायीकरण से आहत रहते थे। उनका कहना था कि पहले जब पत्रकारिता मिशन हुआ करती थी तो पत्रकार की कलम में इतनी ताकत होती थी कि अच्छी- अच्छी सरकारें भी घुटने टेकने को मजबूर हो जाती थीं। पत्रकारिता का व्यवसायीकरण होने के बाद इस ताकत का क्षरण हुआ है। उन्होंने 2018 में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि इस सबके बावजूद भी अखबार और स्वच्छ पत्रकारिता जिंदा है और आगे भी रहेगी।



