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चौधरी बीरेंद्र सिंह ने सोमवार को BJP छोड़ी , आज कांग्रेस में हुए शामिल, इस्तीफे से किसे होगा नफा नुकसान

संवाददाता

चंडीगढ़। नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे चौधरी बीरेंद्र सिंह ने सोमवार को बीजेपी छोड़ने का ऐलान कर दिया। वह मंगलवार को कांग्रेस में शामिल होंगे। इससे करीब एक महीने पहले उनके बेटे बृजेन्द्र सिंह बीजेपी छोड़कर विपक्षी दल कांग्रेस में शामिल हो गए थे। बीरेंद्र सिंह की पत्नी और हरियाणा से बीजेपी की पूर्व विधायक प्रेमलता ने भी बीजेपी छोड़ दी है। प्रेमलता 2014-2019 तक विधायक रही थीं। दोनों नेता कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं। उधर बीरेंद्र सिंह के इस ऐलान से हरियाणा बीजेपी को बड़ा झटका लगा है।

बीरेंद्र सिंह ने की भूपेंद्र हुड्डा से मुलाकात

दिल्ली में बीरेंद्र सिंह ने पत्रकारों से कहा कि मैंने बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है और त्यागपत्र पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा को भेज दिया है। मेरी पत्नी प्रेमलता ने भी पार्टी छोड़ दी है। मंगलवार को हम कांग्रेस में शामिल होंगे। बीजेपी छोड़ने के बाद बीरेंद्र सिंह ने दिल्ली में कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी मुलाकात की।

कांग्रेस से 4 दशक का साथ छोड़ बीजेपी में हुए थे शामिल

दरअसल चौधरी बीरेंद्र सिंह कांग्रेस के साथ चार दशक से अधिक समय पुराने रिश्ते को तोड़कर लगभग 10 साल पहले बीजेपी में शामिल हुए थे। कांग्रेस छोड़ने के पीछे की वजह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ उनके मतभेद रहे। अब हुड्डा और बीरेंद्र सिंह फिर से एक-दूसरे के काफी करीब बताए जा रहे हैं।

बीरेंद्र सिंह ने किसानों को दिया था समर्थन

बीरेंद्र सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली पहली सरकार में केंद्रीय इस्पात मंत्री थे। उन्होंने ग्रामीण विकास, पंचायती राज और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री का भी कार्यभार संभाला था। निरस्त किए जा चुके कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान चौधरी बीरेंद्र सिंह ने किसानों को अपना समर्थन दिया था।

बीरेंद्र सिंह ने बीजेपी क्यों छोड़ी?

हरियाणा में हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में भी मंत्री रहे बीरेंद्र सिंह किसानों के मसीहा कहे जाने वाले सर छोटूराम के पौत्र हैं। यह पूछे जाने पर कि उन्होंने बीजेपी क्यों छोड़ी, बीरेंद्र सिंह ने कहा कि वह 42 साल तक कांग्रेस के साथ रहे लेकिन 2014 में कुछ कारणों से बीजेपी में शामिल हो गए। उन्होंने कहा कि जब मैं बीजेपी में शामिल हुआ, तो मुझे पता था कि इस पार्टी की विचारधारा अलग होगी और दोनों दलों की विचारधाराओं के बीच कुछ मतभेद होंगे। बाद में मुझे अनुभव हुआ कि एक बड़ा अंतर था।

बीजेपी ने नहीं दी वो मान्यता

सिंह ने कहा कि अपने राजनीतिक जीवन के दौरान मैं ऐसे लोगों से जुड़ा जो समर्पित समर्थक रहे। उन्होंने संकेत दिया कि बीजेपी ने इसे उस तरह से मान्यता नहीं दी, जिस तरह से दी जानी चाहिए थी। किसानों के आंदोलन पर बीरेंद्र सिंह ने कहा कि उन्होंने पार्टी मंच पर इस मुद्दे को उठाया था और आग्रह किया था कि उनकी शिकायतों का समाधान किया जाए। उन्होंने कहा कि मुझे लगा कि जब मैं सुझाव दे रहा था तो उन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा था।

जजपा से गठबंधन तोड़ने पर पहले ही बोला

सिंह ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि मैंने कहा है कि मैं भले ही चुनावी राजनीति में नहीं रहूं लेकिन जब तक संभव होगा मैं राजनीतिक रूप से सक्रिय रहूंगा। उन्होंने कहा कि उन्हें यह भी लगता है कि बीजेपी को कई महीने पहले जननायक जनता पार्टी (जजपा) के साथ संबंध तोड़ने के उनके सुझाव पर ध्यान देना चाहिए था और इस निर्णय में देरी नहीं की जानी चाहिए थी।

क्या सोचकर बीजेपी में आए थे चौधरी बीरेंद्र

सिंह ने कहा कि मैंने कहा था कि अगर बीजेपी ने जजपा के साथ गठबंधन जारी रखा तो बीरेंद्र सिंह बीजेपी के साथ नहीं रहेगा। उनकी पत्नी प्रेमलता ने कहा कि उनके पति की छवि साफ-सुथरी रही है और उन्हें बहुत प्यार और सम्मान मिला है। उन्होंने कहा कि जब बीरेंद्र सिंह बीजेपी में शामिल हुए, तो यह विचार था कि वह जीवन भर पार्टी में रहेंगे।

किसानों के मुद्दों का आज भी समाधान नहीं

प्रेमलता ने कहा कि हालांकि किसान आंदोलन जैसे कुछ घटनाक्रम हुए जिसके दौरान बीरेंद्र सिंह किसानों के पक्ष में खड़े हुए। उन्होंने कहा कि उनके पति को लगता है कि किसानों के मुद्दों का आज भी पूरी तरह समाधान नहीं हुआ है।

बीरेंद्र सिंह के जाने से बीजेपी पर क्या असर?

जींद की उचाना सीट से पांच बार विधायक, दो बार राज्यसभा सदस्य और एक बार लोकसभा सांसद रह चुके बीरेंद्र सिंह 43 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद साल 2014 में लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी का दामन थामा था। अब चूंकि वो एक बार फिर अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस में जा रहे हैं। इसको लेकर जहां कांग्रेसी खुश हैं वहीं बीजेपी को भी थोड़ी टेंशन है। दरअसल बीरेंद्र सिंह का अपना वोट बैंक है। पार्टी की पहचान के इतर जनता के बीच उन्होंने खुद की पहचान बनाई है। किसान आंदोलन के बीच हरियाणा बीजेपी के वो अकेले नेता रहे जिन्होंने सरकार के फैसले के उलट किसानों का समर्थन किया।

बीरेंद्र सिंह के आने से कांग्रेस को क्या फायदा?

लोकसभा चुनाव के बीच दिल्ली से सटे हरियाणा में हो रहे सियासी उथल-पुथल के मायके अलग हैं। दरअसल हरियाणा में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने गठबंधन किया है। कांग्रेस और आप गठबंधन लगातार बीजेपी पर हमला बोल रहे हैं। वहीं हरियाणा की सत्ता में दो बार से काबिज बीजेपी पर एंटी इनकंबेंसी का असर भी देखा जा रहा है। इसके अलावा लगातार बड़े नेताओं का पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आना भी जनता के बीच बीजेपी को लेकर गलत संदेश दे रहा है। वहीं कांग्रेस इसमें अपना फायदा देख रही है।

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