latest-newsदेश

भ्रष्टाचार के आरोप में ED – CBI की जाँच से पीड़ित विपक्ष के 25 बड़े नेता दस साल में BJP में हुए शामिल

विशेष संवाददाता

नई दिल्ली । राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने बुधवार को बीजेपी पर बड़ा हमला बोला. सिब्बल ने दावा किया कि 2014 से भ्रष्टाचार का आरोप झेल रहे 25 विपक्षी नेता BJP में शामिल हुए हैं. इनमें से 23 को राहत मिल गई है. कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल लगातार ये आरोप लगाते आ रहे हैं कि बीजेपी एक ‘वाशिंग मशीन’ बन गई है, जिसमें भ्रष्ट नेताओं के जाते ही उन पर लगे दाग धुल जाते हैं. विपक्ष का कहना है कि बीजेपी में शामिल होने पर नेताओं पर दर्ज भ्रष्टाचार के केस बंद हो जा रहे हैं.

दरअसल, कपिल सिब्बल की तरफ से इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के जरिए ये दावा किया गया है. हालांकि, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट करते समय सिब्बल ने इस खबर को शेयर नहीं किया है. राज्यसभा सांसद ने कहा, “विपक्ष के खिलाफ बीजेपी का राजनीतिक विमर्श: कथित भ्रष्टाचार फिर भी भ्रष्टाचारियों को गले लगाओ. 2014 के बाद से भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे 25 विपक्षी नेता बीजेपी में शामिल हुए और 23 को राहत मिली!”

बीजेपी में शामिल नेताओं के खिलाफ बंद होते केस

रिपोर्ट में कहा गया है, 2014 के बाद से कथित भ्रष्टाचार के मामलों में केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का सामना करने वाले 25 प्रमुख नेता बीजेपी में शामिल हुए हैं. ये नेता कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी जैसे दलों को छोड़कर आए हैं. इसमें सबसे ज्यादा कांग्रेस के 10 नेता रहे, जिनके ऊपर भ्रष्टाचार के केस थे, लेकिन फिर वो बीजेपी में शामिल हो गए. दूसरे नंबर पर एनसीपी और शिवसेना है, जिसके 4 नेताओं ने बीजेपी का दामन थामा.

तृणमूल कांग्रेस से 3, टीडीपी से 2 और समाजवादी पार्टी एवं वाईएसआरसीपी से एक-एक नेता बीजेपी में शामिल हुए. 25 में से 23 नेताओं को बीजेपी ज्वाइन करने के बाद राहत मिली है. इन 23 नेताओं में से 3 पर दर्ज केस बंद कर दिए गए हैं, जबकि 20 अन्य लोगों पर दर्ज मुकदमे ठंडे बस्ते में चले गए हैं. 25 नेताओं में से 6 नेता लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले ही बीजेपी में शामिल हुए हैं. इन नेताओं पर जांच एजेंसियों की कार्रवाई ठंडी पड़ गई है.

ED-CBI के एक्शन का सामना करने वाले 95 फीसदी नेता विपक्षी

रिपोर्ट में बताया गया था कि 2014 में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की सरकार बनने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई का एक्शन बढ़ गया. ईडी और सीबीआई की कार्रवाई का सामना करने वाले 95 फीसदी नेता विपक्ष से थे. यही वजह है कि विपक्ष बीजेपी को ‘वाशिंग मशीन’ कह रहा है, जिसमें जाने के बाद भ्रष्ट नेताओं के दाग धुल जा रहे हैं. कांग्रेस ने कहा है कि बीजेपी में शामिल होते ही भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ केस बंद हो रहे हैं.

इन नेताओं पर अब नहीं हो रही जांच

यह पहली बार नहीं है जब विपक्ष पर जांच एजेंसी ताबड़तोड़ एक्शन ले रही हो. 2009 में जब कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए की सरकार था तब सीबीआई ने बसपा प्रमुख मायावती और सपा के मुलायम सिंह यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार जांच की थी. हाल के निष्कर्षों से पता चलता है कि 2022 और 2023 की राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान केंद्रीय कार्रवाई का एक बड़ा हिस्सा महाराष्ट्र पर केंद्रित था.

2022 में एकनाथ शिंदे गुट ने शिवसेना से अलग होकर बीजेपी के साथ नई सरकार बना ली. एक साल बाद अजित पवार गुट एनसीपी से अलग हो गया और सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन में शामिल हो गया. रिकॉर्ड बताते हैं कि NCP गुट के दो शीर्ष नेताओं, अजीत पवार और प्रफुल्ल पटेल के सामने आए मामलों को बाद में बंद कर दिया गया था. कुल मिलाकर, महाराष्ट्र के 12 प्रमुख राजनेता 25 की लिस्ट में हैं, जिनमें से 11 2022 या उसके बाद बीजेपी में चले गए, जिनमें एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस के चार-चार शामिल हैं.

अजीत पवार के मामले में, मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने अक्टूबर 2020 में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की, जब वह पिछली एमवीए सरकार का हिस्सा थे. BJP के सत्ता में लौटने पर मामले को फिर से खोलने की मांग की और फाइल बंद कर दी. इस साल मार्च में फिर से एनडीए में शामिल होने के बाद ईओडब्ल्यू की कार्रवाई के आधार पर पवार के खिलाफ ईडी का मामला तब से ठंडे बस्ते में चला गया है.

कई सारे ऐसे मामले भी हैं जो खुले रहते हैं, लेकिन केवल नाम के लिए लेकिन कोई जांच नहीं हो रही है. सीबीआई 2019 से नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष से मंजूरी का इंतजार कर रही है. अधिकारी 2020 में टीएमसी से बीजेपी में चले गए. अब ये मामला ठंडे बस्ते में है.

असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के खिलाफ भी मामले अटके हुए हैं. बिस्वा को 2014 में सारदा चिटफंड घोटाले में सीबीआई की पूछताछ और छापेमारी का सामना करना पड़ा था, लेकिन 2015 में उनके बीजेपी में शामिल होने के बाद से उनके खिलाफ मामला आगे नहीं बढ़ा है. चव्हाण इस साल बीजेपी में शामिल हो गए, जबकि आदर्श हाउसिंग मामले में सीबीआई और ईडी की कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट की रोक लगी हुई है.

केवल दो मामलों में जांच जारी

बता दें कि, 25 मामलों में से केवल दो मामले ऐसे में जिनमें नेताओं को बीजेपी में शामिल होने के बाद भी ईडी की तरफ से मामले में कोई ढील नहीं दी गई है. इनमें पूर्व कांग्रेस सांसद ज्योति मिर्धा और पूर्व टीडीपी सांसद वाईएस चौधरी शामिल हैं, जो अब बीजेपी का हिस्सा हैं.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com