
संवाददाता
नोएडा । अखलाक मॉब लिंचिंग में केस वापस लेने के मामले में आज सुनवाई हुई। मामले में फास्ट-ट्रैक अदालत (एफटीसी) ने अभियोजन पक्ष की ओर से केस वापसी की अर्जी को महत्वहीन और आधारहीन मानते हुए निरस्त कर दिया।
मामले में अभियोजन की ओर से ओर से लगाई गई अर्जी के लिए मंगलवार की तारीख दी थी। अदालत ने दोनों पक्षों को सुना। साथ ही अदालत ने कहा कि मामले में अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी। साथ ही मामले में अदालत ने प्रतिदिन सुनवाई की बात कही है। इस दौरान अभियोजन को आगे गवाहों के बयान दर्ज करने के निर्देश दिए गए। साथ ही पुलिस आयुक्त और डीसीपी ग्रेटर नोएडा को निर्देशित किया कि अगर गवाहों को सुरक्षा की आवश्यकता है तो उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए।
अखलाक के परिवार के अधिवक्ता युसूफ सैफी और अंदलीब नकवी ने बताया अदालत ने अभियोजन पक्ष की ओर से लगाई गई याचिका को निरस्त कर दिया है। साथी सुनवाई के लिए 6 जनवरी का वक्त दिया है। बता दें , उत्तर प्रदेश सरकार के न्याय विभाग-5 (फौजदारी), लखनऊ ने 26 अगस्त को इस मामले को वापस लेने का आदेश जारी किया था। इसके बाद 12 सितंबर को गौतमबुद्ध नगर के संयुक्त अभियोजन निदेशक ने जिला सरकारी वकील (फौजदारी) को आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए थे। पत्र में उल्लेख किया गया था कि राज्यपाल द्वारा अभियोजन समाप्त करने की मंजूरी दी जा चुकी है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 321 के तहत यह प्रक्रिया पूरी करते हुए 15 अक्टूबर को अदालत में आवेदन दाखिल किया गया था।
क्या है अखलाक मॉब लिंचिंग मामला
यह मामला 28 सितंबर 2015 की रात का है, जब जारचा थाना क्षेत्र के बिसाहड़ा गांव में अफवाहों के बाद भीड़ ने मोहम्मद अखलाक के घर पर हमला कर दिया था। आरोप है कि मंदिर से की गई घोषणा के जरिए यह अफवाह फैलाई गई कि अखलाक के परिवार ने गाय का वध किया है। इसके बाद भीड़ ने अखलाक को घर से बाहर घसीटकर पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी थी। इस हमले में उनके बेटे दानिश गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
इस घटना ने देशभर में भारी आक्रोश पैदा किया था और साम्प्रदायिक तनाव तथा अफवाहों के खतरों पर व्यापक बहस छिड़ गई थी।
अब तक की कानूनी स्थिति
शुरुआती जांच में पुलिस ने 10 नामजद और कई अज्ञात आरोपियों के खिलाफ हत्या समेत आईपीसी की कई धाराओं में केस दर्ज किया था। बाद में आरोपियों की संख्या बढ़कर 18 हो गई, जिनमें तीन नाबालिग भी शामिल थे। दो आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है, जबकि बाकी सभी आरोपी फिलहाल जमानत पर हैं।
दिसंबर 2015 में चार्जशीट दाखिल हुई थी, लेकिन मुकदमे की नियमित सुनवाई फरवरी 2021 में शुरू हो सकी। कोविड-19 महामारी, बार-बार तारीख बढ़ने और प्रशासनिक कारणों से केस लंबा खिंचता चला गया।



