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500 करोड़ की कुर्सी! सिद्धू परिवार के बयान से कांग्रेस की राजनीति पर बड़ा सवाल

क्या पंजाब में पार्टी की हार का ये भी एक कारण

संवाददाता

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता नवजोत कौर सिद्धू के बयान ने देश की राजनीति में जबरदस्त खलबली मचा दी है। शनिवार, 6 दिसंबर को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने यह कहकर सनसनी फैला दी कि “मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए 500 करोड़ रुपये की जरूरत होती है।” उनका कहना है कि कांग्रेस में वही सीएम बन पाता है जिसके पास इतने पैसे हों। इस बयान ने कांग्रेस की विश्वसनीयता और अंदरूनी राजनीति की नीयत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

नवजोत कौर ने कहा कि उनके पति नवजोत सिंह सिद्धू तभी राजनीति में वापसी करेंगे जब कांग्रेस उन्हें आधिकारिक तौर पर सीएम उम्मीदवार घोषित करेगी। इसके साथ ही उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “हम हमेशा पंजाब और पंजाबियत की बात करते हैं… लेकिन हमारे पास मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के लिए देने के लिए 500 करोड़ रुपये नहीं हैं।” उन्होंने सीधे-सीधे आरोप लगाया कि “जिसने 500 करोड़ रुपये का सूटकेस दिया, वही मुख्यमंत्री बन जाता है।” इस बयान ने यह साफ कर दिया कि सिद्धू परिवार का मानना है कि कांग्रेस में शीर्ष पद ‘खरीदा’ जाता है, न कि योग्यता या जनाधार के आधार पर दिया जाता है।

बीजेपी का हमला: कांग्रेस सत्ता नहीं, कुर्सियां बेचती है

भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि नवजोत कौर का बयान कांग्रेस की असलियत उजागर करता है। यह बयान साबित करता है कि कांग्रेस में शीर्ष नेतृत्व से लेकर कर्मियों तक भ्रष्टाचार फैला हुआ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस लोकतंत्र नहीं, धनतंत्र चला रही है, जहां टिकट और कुर्सियां नीलामी की तरह बिकती हैं। त्रिवेदी ने यह भी याद दिलाया कि कांग्रेस पर टिकट बेचने और पैसे लेकर उम्मीदवार बनाने के आरोप पहले भी सामने आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि नवजोत कौर का बयान इस बात का सबूत है कि कांग्रेस में “पैसा ही सबसे बड़ी ताकत” है।

AAP का हमला: कांग्रेस में पंजाब का हित पैसों के सौदे में दब जाता है

पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की राज्य इकाई के महासचिव बलतेज पन्नू ने कहा कि नवजोत कौर ने कांग्रेस की राजनीति का “घिनौना सच” सामने रख दिया है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर सिद्धू दावा करते हैं कि उनके पास 500 करोड़ रुपये नहीं हैं, तो यह रकम कौन देता है? यह पैसा कहां जाता है? प्रदेश इकाई अध्यक्ष को? आलाकमान को? राहुल गांधी को या (मल्लिकार्जुन) खरगे को? पंजाब के लोग जवाब के हकदार हैं।”

पॉपुलर नहीं, पैसेवाले चलाते हैं पार्टी

नवजोत कौर का बयान कांग्रेस की उस पुरानी बीमारी को सामने लाता है जिसे ‘हाई कमांड कल्चर’ कहा जाता है। कांग्रेस में फैसले अक्सर जनता की पसंद या स्थानीय नेताओं की राय से नहीं, बल्कि दिल्ली के कमरों में, चुनिंदा नेताओं द्वारा और कभी-कभी पैसों के प्रभाव से लिए जाते हैं। पार्टी के अंदर यह धारणा लगातार बढ़ती जा रही है कि कांग्रेस में जनाधार से ज्यादा जेब का साइज मायने रखता है। कई राज्यों में टिकट बांटने से लेकर मुख्यमंत्री के चयन तक यही आरोप लगते आए हैं। यही वजह है कि कांग्रेस के कई अनुभवी नेता पार्टी से अलग हो चुके हैं और जनता का विश्वास लगातार कमजोर हो रहा है। कांग्रेस के लगातार चुनाव हारने की एक बड़ी वजह यह भी है और राहुल गांधी के राजनीति में आने के बाद ये और तेज हो गई है। कांग्रेस पिछले 21 साल की अवधि में लोकसभा और विधानसभाओं के 96 चुनाव हार चुकी है।

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