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एमआरआई – सीटी स्कैन के लिए एम्स में नहीं करना होगा वेट, प्राइवेट सेंटर में भी सस्ते में होंगे टेस्ट

संवाददाता

नई दिल्ली। दिल्ली एम्स में आने वाले मरीजों को एमआरआई और सीटी- स्कैन जैसे टेस्ट कराने के लिए लंबी वेटिंग करनी पड़ती है. इस समस्या के अब जल्द ही दूर होने की उम्मीद है. अब जल्द ही मरीज प्राइवेट लैब में भी काफी सस्ती दर में अपने टेस्ट करा सकेंगे. इसके लिए एम्स के आसपास के 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाली लैब को शामिल किया जाएगा. पीपीपी मॉडल के तहत यह किया जा रहा है. खास बात यह है कि मरीजों को प्राइवेट लैब में पैसे नहीं देने होंगे. एम्स की ओर से जो फीस तय की जाएगी वह एम्स में ही जमा होगी.फिलहाल ओपीडी में आने वाले मरीजों के लिए यह सुविधा शुरू करने की तैयारी है.

एम्स प्रशासन के मुताबिक, जिन लैब को एम्स अपने पैनल में शामिल करेगा वह सभी नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स) यानी एनएबीएच से मान्यता प्राप्त होंगी. प्राइवेट लैब से फिलहाल दो साल का कॉन्ट्रेक्ट होगा. जिसको बाद में बढ़ाया जाएगा. जिन लैब में मरीजों के टेस्ट होंगे उन सभी में टेस्टिंग के उन्हीं प्रोटोकॉल और नियमों का पालन किया जाएगा जो एम्स दिल्ली की लैब में किया जाता है. एम्स की ओपीडी में आने वाले जिन मरीजों को एमआरआई और सीटी- स्कैन की जरूरत होगी उनकी लिस्ट बनाकर लैब में भेज दिया जाएगा. फिर मरीज अपने नंबर के हिसाब से वहां जाकर टेस्ट करा सकेंगे.

वेटिंग कम करना है मकसद

दिल्ली एम्स में रोजाना करीब 14 से 15 हजार मरीज अलग- अलग विभागों की ओपीडी में आते है. इनमें कई मरीजों को एमआरआई और सीटी स्कैन की जरूरत होती है. लेकिन मरीजों की अधिक संख्या के कारण एम्स में वेटिंग लंबी रहती है. इसको दूर करने के लिए साल 2022 में एम्स में 24 घंटे लैब चलाने का काम शुरू किया गया था. लेकिन उसके बाद भी वेटिंग कम करने में कोई खास सफलता नहीं मिली है. ऐसे में एम्स प्रशासन ने अब प्राइवेट लैब में सस्ती कीमतों पर जांच कराने का फैसला लिया है. यह सुविधा जल्दी ही शुरू होने की उम्मीद है. इससे वेटिंग के समय को काफी कम करने में बड़ी मदद मिलेगी.

6 महीने से लेकर सालभर तक की रहती है वेटिंग

एम्स दिल्ली में 10 एमआरआई और 10 सीटी स्कैन मशीनें हैं. लेकिन जांच कराने वाले मरीजों की संख्या हजारों में ह. इस कारण एमआरआई कराने में सालभर और सीटी स्कैन में 6 महीने तक की वेटिंग भी हो जाती है, हालांकि बीते कुछ सालों में अधिकतर मामलों में वेटिंग कम भी हुई है, लेकिन इसको और कम करने की दिशा में एम्स प्रशासन लगातार काम कर रहा है

 

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