
संवाददाता
मेरठ। इसे लापरवाही तो नहीं कहा जा सकता है। यह एक अपराध है। मेरठ में खेलते वक्त ढाई साल के बच्चे को आंख के पास चोट लग गई। परिजन उसे प्राइवेट अस्पताल लेकर पहुंचे। स्टाफ ने 5 रुपए की फेवीक्विक से स्किन चिपका दी। बच्चा पूरी रात दर्द से कराहता रहा। परिजन अगले दिन दूसरे अस्पताल गए। फेवीक्विज के ग्लू को हटाने में चार घंटे लग गए। बच्चा तब तक दर्द से तडपता रहा। बाद में बच्चे को चार टांके लगाने पडें। परिजनों ने सीएमओ से शिकायत की है। स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच के लिए कमेटी बना दी है।
मेरठ में ढाई साल के बच्चे की चोट के इलाज का हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां एक डॉक्टर ने टांके लगाने के बजाय घाव पर फेविक्विक लगा दी। दर्द बढ़ने पर परिजन बच्चे को दूसरे अस्पताल ले गए, जहां तीन घंटे की मशक्कत के बाद फेविक्विक हटाकर टांके लगाए गए।
मामला मेरठ के जागृति विहार एक्सटेंशन स्थित मेपल्स हाइट का है। यहां रहने वाले फाइनेंसर सरदार जसपिंदर सिंह का ढाई साल का बेटा मनराज शाम को घर में खेलते समय टेबल के कोने से टकरा गया। चोट आंख के बिलकुल पास थी, खून निकलने लगा। बच्चे को रोता देख परिजन घबरा गए और इलाज के लिए शहर के एक प्राइवेट अस्पताल में लेकर पहुंचे। परिजनों का आरोप है कि यहां मौजूद डॉक्टर ने न तो घाव का ठीक से देखा और न ही प्राथमिक उपचार की प्रक्रिया अपनाई। टांके लगाने की बात तो दूर, उसने माता-पिता से कहा कि बाहर से पांच रुपये वाली फेविक्विक ले आइए। परिजन डॉक्टर पर भरोसा करते हुए ले आए। डॉक्टर ने घाव को साफ करने के बजाय घाव के कटे हिस्से को फेविक्विक से चिपका दिया।
जसपिंदर सिंह ने कहा कि बच्चा लगातार दर्द से तड़प रहा था। डॉक्टर बार-बार आश्वस्त करता रहा कि बच्चा घबराया हुआ है, थोड़ी देर में दर्द कम हो जाएगा। लेकिन दर्द कम होने की बजाय पूरी रात बढ़ता ही रहा।
मेरठ के सीएमओ डॉ. अशोक कटारिया ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा हमें बच्चे के परिजनों की शिकायत मिली है। यह अत्यंत संवेदनशील और चिंता पैदा करने वाला मामला है। इस पर एक जांच समिति गठित कर दी गई है, जो पूरे घटनाक्रम की जांच कर रही है. रिपोर्ट आने के बाद जो भी जिम्मेदार पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।



