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दिल्ली ब्लास्ट आतंकी पनाहगार के अवैध निर्माण पर हथौड़ा, महू में अल-फलाह के चेयरमैन का घर तोड़ने की तैयारी

संवाददाता

इंदौर। इंदौर के महू में दिल्ली ब्लास्ट में शामिल आतंकियों को पनाह देने के आरोपों में घिरे अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयमैन मोहम्मद जवाद अहमद सिद्दीकी का पुश्तैनी मकान अवैध निर्माण पाया गया है. छावनी परिषद ने मकान पर अनाधिकृत निर्माण हटाने का नोटिस चस्पा किया है. नोटिस के अनुसार, यदि तीन दिन के भीतर निर्माण नहीं हटाया गया, तो परिषद तोड़फोड़ की कार्रवाई करेगी. प्रशासन का कहना है कि पहले भी तीन बार नोटिस जारी किया जा चुका है.

29 साल पहले भी जारी हो चुके हैं नोटिस

यह मकान महू के मुकेरी मोहल्ला स्थित मकान नंबर 1371 है, जो जवाद के पिता मोहम्मद हम्माद सिद्दीकी के नाम पर दर्ज है. छावनी परिषद महू के सीईओ विकास कुमार के अनुसार मकान पर बिना अनुमति निर्माण किया गया था. इसको लेकर परिषद 1996 और 1997 में तीन नोटिस पहले भी जारी कर चुकी है. पहला नोटिस 23 दिसंबर 1996 को, यानी 29 साल पहले दिया गया था. इसके बाद 2 नवंबर 1996 को छावनी अधिनियम 1924 की धारा 185 और 27 मार्च 1997 को इसी अधिनियम की धारा 256 के तहत नोटिस जारी किए गए थे.

पिता थे शहर काजी, भाई जा चुका है जेल

जवाद सिद्दीकी का परिवार महू के कायस्थ मोहल्ले में करीब 25 साल पहले तक रहता था. पिता हम्माद सिद्दीकी, महू के शहर काजी रह चुके थे. वहीं जवाद का सौतेला भाई अफाम, हत्या के मामले में जेल जा चुका है. जवाद और उसके दोनों भाई महू में ही पढ़े-लिखे हैं. जवाद ने पहले महू के क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल में पढ़ाई की और बाद में GSITS इंदौर से बीटेक किया. उसने सिविल सेवा परीक्षा में तीन बार इंटरव्यू दिया लेकिन उसका चयन नहीं हो पाया.

मौलाना की बिल्डिंग नाम से मशहूर

जवाद का यह पुश्तैनी मकान चार मंजिला है, जिसमें 25 से ज्यादा खिड़कियां और एक बड़ा तलघर है. स्थानीय लोग इसे मौलाना की बिल्डिंग के नाम से जानते हैं. यहा मकान पूरी तरह जवाद के पिता हम्माद के नाम पर रजिस्टर्ड है, जिनकी 1995 में मृत्यु हो चुकी है.

चिटफंड घोटाले को दिया था अंजाम

महू थाना प्रभारी टीआई कमल सिंह गेहलोद के अनुसाप, साल 2000 में जवाद और उसका भाई हमूद ने मिलकर एक चिटफंड कंपनी खोली थी. लोनों को रुपया दोगुना करने का लालच देकर उसमें निवेश कराया. इसमें उन्होंने सेना के रिटायर्ड कर्मचारी और MES के कर्मचारियों को भी फंसाया. इसके बाद पूरा परिवार महू से भाग निकला. निवेशकों ने पुलिस में केस दर्ज कराया था. बाद में पुलिस ने हमूद को हैदराबाद से पकड़ा, जहां वो रिचकॉम प्राइवेट लिमिटेड के नाम से शेयर मार्केट इन्वेस्टमेंट फर्म चला रहा था.

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