
संवाददाता
नई दिल्ली। भारत मंडपम में चल रहे इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर (IITF-2025) में इस बार रक्षा विभाग उत्पादन का पवेलियन सबसे ज्यादा चर्चा में है. यहां पहुंचते ही ऐसा महसूस हो रहा है, जैसे आप किसी हाईटेक डिफेंस एग्जीबिशन में आए हों. यहां आधुनिक हथियारों से लेकर कामकाजी ड्रोन, मल्टी-मोड ग्रेनेड और बुलेट रेजिस्टेंस जैकेट जैसे अत्याधुनिक उत्पाद एक ही छत के नीचे प्रदर्शित किए गए हैं. पवेलियन न सिर्फ भारतीय सैन्य शक्ति की झलक दिखा रहा है, बल्कि यह भी बता रहा है कि रक्षा क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भरता की ओर किस गति से आगे बढ़ रहा है.
ग्रेनेड की अब ज्यादा रेंज और ज्यादा ताकत: पवेलियन की शुरुआत हथियारों और ग्रेनेड डिस्प्ले से होती है, जहां नए डिजाइन और उन्नत तकनीक देखते ही ध्यान आकर्षित करती है. Munitions India limited के जीएम रमेश शिंदे ने बताया कि यहां वेपन ग्रेनेड प्रदर्शित किया गया हैं, जिनकी रेंज करीब 450 मीटर है. यह ग्रेनेड INSAS और AK-47 जैसे हथियारों के साथ अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (UBGL) में फिट होकर फायर होते हैं.
इसके अलावा, नया मल्टी मोड हैंड ग्रेनेड भी खास आकर्षण है, जिसमें दो मोड ऑफेंसिव और डिफेंसिव दिए गए हैं. ऑफेंसिव मोड दुश्मन को डराने और पीछे हटाने के लिए उपयोग किया जाता है, जबकि डिफेंसिव मोड दुश्मन को मारक क्षति पहुंचाने में सक्षम है. इसमें लगे मेटल चिप्स ब्लास्ट के बाद फ्रैगमेंट बनकर बॉडी को पेनिट्रेट करते हैं. यह नया ग्रेनेड सेना की जरूरत के मुताबिक तैयार किया गया है और पहले उपयोग होने वाले 4 सेकंड डिले ग्रेनेड से ज्यादा सुरक्षित और प्रभावी है.
वहीं, इसका अपग्रेडेड वर्जन 80 किलोमीटर की रेंज, 100 मिनट की एंड्योरेंस और 6 किलो पेलोड कैरी करने की क्षमता के साथ अधिक रणनीतिक ऑपरेशनों में उपयोगी है. इसके अलावा, एक खास कॉप्टर वर्जन ड्रोन भी प्रदर्शित किया गया है, जो 81 एमएम मोटर राउंड यानी लगभग 6.5 किलो वजनी बम को हवा में लेकर दुश्मन बंकरों पर सटीक निशाना साधकर ड्रॉप कर सकता है. यह आधुनिक युद्ध के लिए बेहद कारगर साबित हो रहा है.
मजबूती और तकनीक से लैस सुरक्षा कवच: पवेलियन में सैनिकों की सुरक्षा के लिए बनाए गए बुलेट रेजिस्टेंस जैकेट भी लोगों का ध्यान खींच रहे हैं. ट्रूप कंफर्ट्स लिमिटेड के जेडब्ल्यूएम सचिन मालिक ने बताया कि लगभग 13.5 किलो वजनी यह जैकेट AK-47 और 7.62×54R जैसी हाई-वेलोसिटी बुलेट्स को रोकने में सक्षम है. इसे TDRL लैब में कठोर टेस्टिंग के बाद मंजूरी दी जाती है. जैकेट की सबसे खास बात इसके अंदर लगी हार्ड-अब्लेक्टेड प्लेट्स हैं, जो गोली के प्रभाव को अपने अंदर समेट लेती हैं. उन्होंने बताया कि जैकेट निर्माण में इस्तेमाल होने वाला ‘हार्डकोर मैटेरियल’ गोपनीय है, लेकिन यह कॉम्पोजिट टेक्नोलॉजी पर आधारित है. इसे लगातार हल्का, मजबूत और ज्यादा टिकाऊ बनाया जा रहा है, ताकि जवानों की गतिशीलता पर असर न पड़े.
टेक्नोलॉजी और आत्मनिर्भरता की मिसाल: पूरे पवेलियन का उद्देश्य यह दिखाना है कि भारत अब पारंपरिक हथियारों से आगे बढ़कर स्मार्ट, हाई-टेक और सटीक रक्षा समाधान तैयार कर रहा है. चाहे ड्रोन हों, ग्रेनेड हों या बुलेटप्रूफ जैकेट हर उत्पाद आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढ़ते कदमों का प्रतीक है. भारत मंडपम में यह रक्षा पवेलियन उन सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है जो देश की रक्षा तकनीक, नवाचार और सैन्य शक्ति को करीब से समझना चाहते हैं.



