
पाकिस्तानी हैंडलर्स के संपर्क में थे ‘आतंक के डॉक्टर’ तुर्की में हैंडलर से मुलाकात के बाद रची दिल दहलाने वाली साजिश
संवाददाता
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए भीषण विस्फोट के पीछे जैश-ए-मोहम्मद के एक नए व्हाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल की परतें अब धीरे -धीरे खुलकर सामने आ रही हैं । इस मॉड्यूल में डॉक्टर, प्रोफेसर और महिला सदस्य शामिल थीं। ये सभी आतंकी अपने पाकिस्तानी आकाओं के सीधे संपर्क में थे। सूत्रों ने बताया कि दिल्ली ब्लास्ट के लिए 37 दिन पहले एक शादी में आतंकियों का यह ग्रुप तैयार हुआ। दिल्ली में लाल किले के पास हुए शक्तिशाली विस्फोट में 12 लोगों की मौत हो गई। जबकि कम से कम 20 अन्य घायल हैं। अब तक की जाँच में ये भी खुलासा हुआ है कि लगभग आठ संदिग्धों ने चार जगहों पर सिलसिलेवार विस्फोट करने की योजना बनाई थी। उनकी योजना दो-दो के ग्रुप में चार शहरों में जाने की थी। हर समूह अपने साथ कई IED ले जाने वाला था। गौरतलब है कि इससे पहले भी जानकारी सामने आई थी कि आतंकियो ने दीवाली और गणतंत्र दिवस पर धमाके की योजना बनाई थी।
सोमवार शाम करीब छह बजकर 50 मिनट पर हुआ यह विस्फोट एक लाल गुब्बारे के फटने जैसा दिखाई दी। इसके तुरंत बाद अफरातफरी और दहशत फैल गई। लोग छिपने के लिए इधर-उधर भागने लगे। कार को डॉ. उमर नबी चला रहा था। वह हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर था।
एनआईए की दस सदस्यीय विशेष जांच टीम कर रही जांच
लाल किला ब्लास्ट मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के सुपुर्द कर दी गई है। गृमंत्रालय ने इस गंभीर मामले की जांच! एजेंसी ने इस केस की तह तक पहुंचने के लिए 10 सदस्यीय विशेष जांच टीम (SIT) गठित की है। इस टीम का नेतृत्व एडीजी विजय सखारे
करेंगे, जो अपनी ईमानदारी और तेजतर्रार जांच शैली के लिए जाने जाते हैं। एनआईए की दस सदस्यीय विशेष जांच टीम में एक आईजी, दो डीआईजी, तीन एसपी व 4 डीएसपी स्तर के अफसर शामिल हैं। इनके सहयाेग के लिए दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल,यूपी एसटीएफ जम्मू कशमीर पुलिस व हरियाणा पुलिस भी अपने स्तर से जांच कर साक्ष्य विशेष जांच टीम काे साैंपने का काम कर रही है।
हमले में शामिल फिदायीन की डीएनए जांच में क्या आया सामने?
गौरतलब है कि i20 कार ब्लास्ट में शामिल शख्स के डीएनए से आखिरकार इस बात की पुष्टि हो गई है कि 10 नवंबर की शाम लाल किले के पास हुए विस्फोट में डॉ. उमर मोहम्मद शामिल था। घटनास्थल से बरामद मानव अंगों का मिलान उमर के परिवार के सदस्यों के डीएनए से हुआ। बाद में आई जांच रिपोर्ट में पूरे मामले का खुलासा हुआ।
दिल्ली पुलिस ने बयान में कहा कि डीएनए टेस्ट से पुष्टि हुई है कि लाल किले के पास विस्फोट करने वाला व्यक्ति डॉ. उमर उन नबी था। विस्फोट के बाद, उसका पैर स्टीयरिंग व्हील और एक्सीलेटर के बीच फंस गया था। उसका डीएनए सैंपल उसकी मां से मेल खाता है।
उमर मोहम्मद लाल किला मेट्रो पार्किंग ब्लास्ट में फिदायीन था। उमर ही वह शख्स था जो सोमवार को फरीदाबाद में जम्मू-कश्मीर पलिस की छापामारी से भाग निकला था। इसके कई साथियों का कनेक्शन भी दिल्ली ब्लास्ट है।

सहारनपुर में थी शादी
जांच से पता चला है कि यह व्हाइट कॉलर टेरर नेटवर्क हरियाणा के फरीदाबाद, जम्मू-कश्मीर के पुलवामा और उत्तर प्रदेश के सहारनपुर सहित कई इलाकों से जुड़ा था। इसकी शुरुआत दिल्ली विस्फोट से 37 दिन पहले 4 अक्टूबर को सहारनपुर में एक शादी से हुई थी। इसके बाद, नेटवर्क ने सैनिकों, हथियारों, विस्फोटकों और फंडिंग नेटवर्क को धमकाने वाले पोस्टर तैयार करना शुरू कर दिया।
पोस्टर से शुरू हुई जांच
दिल्ली ब्लास्ट के तार श्रीनगर के नौगाम इलाके में लगे आपत्तिजनक पोस्टरों से जुड़े हैं, जिसके लिए 19 अक्टूबर को एक FIR दर्ज की गई थी। 19 अक्टूबर को कश्मीर में जैश के पोस्टर देखे जाने के बाद सुरक्षा एजेंसियों को इस मॉड्यूल के एक्टिव होने का सुराग मिला। जांच से पता चला कि नेटवर्क की सबसे महत्वपूर्ण महिला सदस्य डॉ. शाहीन सईद थी। वह जैश प्रमुख मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर से जुड़ी थी। सुरक्षा बलों ने इस आतंकी साजिश से जुड़े अंतर-राज्यीय जैश-ए-मोहम्मद मॉड्यूल को खत्म करने के लिए कड़ी कार्रवाई की।
सूत्रों ने कहा कि इस मामले की जांच के दौरान, 20 से 27 अक्टूबर के बीच शोपियां और गांदरबल से दो गिरफ्तारियां की गईं और 5 नवंबर को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से एक मेडिकल प्रैक्टिशनर डॉ. आदिल को पकड़ा गया। पता चला कि यह मॉड्यूल 4 अक्टूबर को सक्रिय हुआ था। डॉ. आदिल ने सहारनपुर में डॉ. रुकैया से शादी की थी। शादी में कुछ खास मेहमान मौजूद थे।
इस शादी में शामिल होने वाले मेहमानों की पहचान अब जांच एजेंसियां कर रही हैं। इस मॉड्यूल ने शादी के अगले दिन ही अपना काम शुरू कर दिया था। इसका मकसद सैनिकों को धमकाने वाले पोस्टर लगाना, हथियार मुहैया कराना और फंड का प्रबंध करना था।
नेटवर्क का प्लान था कि मेडिकल प्रोफेशन की आड़ में आतंक के लिए फंडिंग और ट्रांसपोर्टेशन चैनल बनाए जाएं। 19 अक्टूबर को कश्मीर के नौगाम इलाके में जैश के पोस्टर देखे जाने के बाद जांच शुरू हुई। पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज किया। 27 अक्टूबर को फिर से 25 से अधिक पोस्टर लगाए गए। 50 अधिकारियों की एक टीम ने 60 सीसीटीवी कैमरों की जांच की। फिर 31 अक्टूबर को डॉ. आदिल को फुटेज में उन इलाकों में घूमते हुए देखा गया, जहां पोस्टर लगाए गए थे।
पाकिस्तान के संपर्क में थे आतंकी
फोन सर्विलांस से पता चला कि वह पाकिस्तानी आकाओं के संपर्क में था। जब उसकी लोकेशन सहारनपुर में मिली तो 6 नवंबर को उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसके पास से एक AK-47, ग्रेनेड और विस्फोटक बरामद किए गए। पूछताछ में उसने खुलासा किया कि फरीदाबाद में पढ़ाने वाला डॉ. मुजम्मिल के पास भारी मात्रा में विस्फोटक थे। इसके बाद, 9 नवंबर को जम्मू-कश्मीर पुलिस फरीदाबाद से मुजम्मिल को अरेस्ट कर लिया गया।
आतंकी मॉड्यूल के संबंध में गिरफ्तार किए गए प्रमुख संदिग्धों में से एक डॉ. मुजम्मिल गनई ने इस साल जनवरी में लाल किला क्षेत्र की कई बार टोह ली थी। उसके मोबाइल डेटा का विश्लेषण कर रही पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि उन्हें संदेह है कि यह रेकी 26 जनवरी को ऐतिहासिक स्मारक को निशाना बनाने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि डॉ. मुजम्मिल के मोबाइल फोन से प्राप्त ‘डंप डेटा’ के विश्लेषण से पता चला है कि जनवरी के पहले सप्ताह में लाल किला क्षेत्र में और उसके आसपास उसकी बार-बार उपस्थिति थी।
इधर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बुधवार को फरीदाबाद के एक विश्वविद्यालय से संचालित ‘वाइट कॉलर’ आतंकी मॉड्यूल के सिलसिले में हरियाणा के मेवात से एक मौलवी को हिरासत में लिया। मौलवी इश्तियाक, जिसे श्रीनगर लाया गया है, फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय परिसर में एक किराए के मकान में रह रहा था। वह इस मामले में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाने वाला नौवां व्यक्ति होगा। पुलिस ने बताया कि मौलवी इश्तियाक इस आतंकी मॉड्यूल का एक महत्वपूर्ण सदस्य है और वह फरीदाबाद में रहकर इस नेटवर्क को संचालित कर रहा था। पुलिस ने उसके घर से बरामद विस्फोटक सामग्री को जब्त कर लिया है।

पुलिस के मुताबिक जांच में अब तक एक कट्टरपंथी नेटवर्क की खौफनाक तस्वीर सामने आई है, जिसने कथित तौर पर पूरे भारत में बड़े पैमाने पर हमलों की योजना बनाई थी। बताया कि श्रीनगर और अनंतनाग की दो महिला डॉक्टरों सहित मुख्य सदस्यों को मौलवी इरफान के अंडर प्रशिक्षित किया गया था। ऐसा माना जाता है कि इरफान ने कश्मीर में अपनी अस्पताल की नौकरी के दौरान उन्हें कट्टरपंथी बनाया था। मौलवी इरफान ने ग्रुप को ‘गजवा-ए-हिंद’ की कॉन्सेप्ट सहित चरमपंथी विचारधाराओं से परिचित कराया और हिंदू विरोधी भावनाएं फैलाईं। इसके बाद कट्टरपंथी सदस्यों को पूरे भारत में “ओपन स्लीपर सेल” बनाने, और ज्यादा सहयोगियों की भर्ती करने और अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार करने के लिए प्रेरित किया गया।
तुर्की में हैंडलर से की मुलाकात

इस बीच, खुफिया एजेंसियों ने पुष्टि की है कि दो प्रमुख आरोपी, आदिल और मुजम्मिल, इस साल की शुरुआत में तुर्की गए थे, जहां उनकी मुलाकात कथित तौर पर उनके हैंडलर से हुई थी। एजेंसियों को पता चला है कि हैंडलर ने तुर्की में उनके ठहरने और आने-जाने का इंतजाम किया था, जो एक संगठित अंतरराष्ट्रीय समर्थन ढांचे का संकेत देता है।
डिजिटल फोरेंसिक विश्लेषण ने शक को और पुख्ता कर दिया है। जांचकर्ताओं ने दोनों महिला डॉक्टरों के बीच 400 से ज्यादा एन्क्रिप्टेड चैट एक्सचेंज बरामद किए हैं, जिनमें उन्होंने फंड ट्रांसफर, लॉजिस्टिक्स और संभावित सुरक्षित ठिकानों पर चर्चा की थी। कथित तौर पर, डॉक्टरों में से एक को 2023 और 2024 के बीच इस्तांबुल और दोहा से डिजिटल वॉलेट के जरिए कई विदेशी धन प्राप्त हुए, जिनके बारे में माना जाता है कि वे अपनी गतिविधियों के लिए पैसा जुटा रहे थे।
ढाका मेडिकल कॉलेज से की MBBS
दोनों महिलाओं ने बांग्लादेश के ढाका मेडिकल कॉलेज से MBBS की डिग्री पूरी की थी और श्रीनगर में अपनी इंटर्नशिप के दौरान मौलवी इरफान के संपर्क में आईं। ये एक ऐसा दौर था, जिसे अब जांचकर्ता उनके कट्टरपंथ में “टर्निंग पॉइंट” की तरह मान रहे हैं।



