
संवाददाता
नई दिल्ली। अक्सर सुना जाता है कि ” आपके जान मॉल की हिफाजत के लिए, दिल्ली पुलिस सदैव आपके साथ है।
आपने कई जगह ये लिखा भी देखा होगा। लेकिन सवाल उठता है क्या ये सच है ? एक घटना से जानते हैं दिल्ली पुलिस सदैव आपके साथ है या नहीं।
क्योंकि दिल्ली पुलिस अपने ही नागरिक की संपति हड़पने के लिए उसके प्लॉट पर अवैध कब्जा किए हुए बैठी है। दिलचस्प बात यह है कि पुलिस स्वयं इस बात को लिखित में स्वीकार भी करती है कि ये प्लॉट राजस्व विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार है तो के पी गुप्ता का।
रेवेन्यू रिकॉर्ड में मालिक भी गुप्ता जी दर्ज हैं, हमारे पास कोई लिखित अनुबंध भी नहीं है, हम किरायेदार भी नहीं हैं, हम कब्जेदार हैं।
वो भी आजादी के समय से, ऐसा पुलिस अपनी रिपोर्ट में कहती है।

यह मामला नॉर्थ जिला पुलिस के सराय रोहिल्ला थाना क्षेत्र में आता है जहां पर शहजादा बाग में एक प्लॉट का मामला है। पहले यहां ऑटो थेफ्ट सेल था, अब कुछ समय से बढ़ की चौकी बनाई गई है।
पीड़ित गुप्ता जी और उनके परिवार के लोग अनेकों वर्षों से दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। वहां से सिर्फ मौखिक आश्वासन के अलावा कुछ समाधान नहीं मिला,अफसरशाही सत्य को जानते हुए भी पीड़ित को उसका प्लॉट वापिस नहीं लौटा रही है। जबरदस्ती सच सभी जानते हुए भी मामले को न्यायिक विवाद में परिवर्तित करने पर तुली हुई है।
सभी प्रयासों से हारकर अब गुप्ता जी ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। जिस पर माननीय उच्च न्यायालय ने संज्ञान लिया है।
एक तरफ तो माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार बार कह रहे हैं कि गवर्नमेंट के विभाग अनावश्यक विवाद न बढ़ाएं, न्यायालयों पर अनावश्यक लिटिगेशन का बोझ ना बनाएं वहीं पर पानी की तरह साफ केस में भी दिल्ली पुलिस खुद गुप्ता जी को जबरदस्ती न्यायालय जाने को बाध्य कर रही है।
हालांकि अब माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले पर गुप्ता जी की अपील स्वीकार कर ली है और गृह मंत्रालय को नोटिस भी भेजा है। लेकिन ऐसा लगता है कि दिल्ली पुलिस पर प्रधानमंत्री की लिटिगेशन ना बढ़ाने की अपील का भी कोई असर नहीं हो रहा है।



