
संवाददाता
नई दिल्ली। महादेव ऑनलाइट बैटिंग ऐप मामले में रवि उप्पल दुबई से फरार हो गया है. दिसंबर 2023 में इंटरपोल रेड नोटिस पर गिरफ्तार उप्पल को भारत प्रत्यर्पित करने की प्रक्रिया रुकी हुई थी, लेकिन अब वे अनट्रेसेबल हैं. ED और सीबीआई ने UAE अधिकारियों के साथ संपर्क बढ़ाया है, लेकिन उप्पल की लोकेशन मिल रही है.
महादेव ऑनलाइन बेटिंग ऐप मामले में जो अनुमानित 6,000 करोड़ रुपये का घोटाला है. ईडी, सीबीआई और राज्य पुलिस की जांच में यह सामने आया है कि यह ऐप दुबई से चल रही थी. इसमें मनी लॉन्ड्रिंग, शेल कंपनियों और हवाला के जरिए अरबों रुपये के ट्रांजेक्शन किये गए. इस घोटाले में नेता, कारोबारी, पुलिस और अधिकारियों के नाम आए हैं.
जांच एजेंसियों ने अब तक दर्जनों नाम सामने किए हैं. इनमें आरोपी दुबई-आधारित संचालक, राजनेता, व्यवसायी और पूर्व अधिकारी शामिल हैं. ईडी ने 2023 से अब तक 32 से अधिक व्यक्तियों के खिलाफ एक्शन लिया है. मुंबई पुलिस और छत्तीसगढ़ की एजेंसियों ने एफआईआर दर्ज की हैं.
महादेव ऐप के मुख्य प्रमोटर और को-फाउंडर सौरभ चंद्राकर हैं. छत्तीसगढ़ के रहने वाला सौरभ दुबई से नेटवर्क चलाता था. ED ने उनकी संपत्ति जब्त की और इंटरपोल रेड नोटिस जारी किया. वह अभी भी फरार हैं. इस ऐप का कॉ-फाउंडर और इस मामले में मुख्य आरोपी रवि उप्पल है. दिसंबर 2023 में दुबई में गिरफ्तार हुआ था, लेकिन हाल ही में फरार हो गया है. ED और सीबीआई की जांच में 6,000 करोड़ के घोटाले का केंद्र बिंदु पर है.
2025 ईडी ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर महादेव ऐप से अवैध फंडिंग का आरोप लगाया था. उनके बेटे चैतन्य बघेल को जुलाई 2025 में गिरफ्तार किया गया.
इसी मामले में ईज माइ ट्रिप के CEO निशांत पिट्टी को ED ने मई 2025 में जांच के दायरे में लिया. दावा किया है कि कंपनी ने स्काई एक्सचेंज से जुड़ी शेल फर्मों को पेमेंट किए. इसके बाद नवंबर 2023 में मुंबई पुलिस ने दबूर ग्रुप चेयरमैन और डायरेक्टर को 15,000 करोड़ के जुआ और साइबर फ्रॉड में नामित किया. RAW के पूर्व अधिकारी विकाश यादव काअगस्त 2025 में दिल्ली पुलिस ने महादेव ऐप आरोपी से लिंक बताया. इस मामले में अब तक 29 स्थानों पर छापे मारे गए हैं 32 लोगों को मामले में नामजद किया जा चुका है. इसके आलावा ED ने अप्रैल 2025 में 573 करोड़ की सिक्योरिटीज जब्त कीं है.
कैसे करते थे धांधली
महादेव ऐप पर आरोप है कि उसने एक ऑनलाइन बुक बेटिंग एप्लिकेशन का इस्तेमाल करके नए यूज़र्स को जोड़ने, आईडी बनाने और बेनामी बैंक खातों के जाल के ज़रिए मनी लॉन्ड्रिंग करने का काम किया. सामने आये दस्तावेजों के अनुसार, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की जांच में सामने आया है कि महादेव ऑनलाइन बुक ऐप का संचालन संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के हेड ऑफिस से होता है. इसे फ्रेंचाइज़ी मॉडल पर “पैनल/ब्रांच” के रूप में उनके सहयोगियों को 80-20 प्रतिशत के मुनाफे के अनुपात में दिया गया था. ये ब्रांच कॉल सेंटर चलाती थीं और बड़ी संख्या में युवाओं को नौकरी पर रखती थीं, जिनका इस्तेमाल शेल (फर्जी) अकाउंट्स के KYC के लिए भी किया जाता था.
ब्रांडिंग पर होता था खूब खर्च
दस्तावेज़ों में यह भी बताया गया है कि भारत में नए यूज़र्स और फ्रेंचाइज़ी (पैनल) लेने वालों को आकर्षित करने के लिए कैश में भारी खर्च विज्ञापन पर किया गया.
ईडी के अनुसार, महादेव बेटिंग ऐप खिलाड़ियों को पोकर और कार्ड गेम्स खेलने के लिए इनवाइट करता था. ऐसे गेम जिनका नतीजा किस्मत और संभावना पर निर्भर होता है. साथ ही क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस जैसे खेलों पर दांव लगाने का मौका भी देता था. जांच एजेंसी का दावा है कि ये गेम इस तरह से डिजाइन किए गए थे कि फायदा केवल फ्रेंचाइज़ी मालिकों को हो, जबकि शुरुआत में खिलाड़ियों को थोड़े लाभ के बाद भारी नुकसान झेलना पड़ता था.
एक दस्तावेज़ के अनुसार, “महादेव बुक कई वेबसाइट्स और चैट ऐप्स पर बंद ग्रुप्स के माध्यम से काम करता है. ये वेबसाइट्स पर एक कॉन्टैक्ट नंबर देते हैं, जिसे केवल व्हाट्सएप के जरिए संपर्क किया जा सकता है. जब कोई यूज़र इस नंबर पर संपर्क करता है, तो उसे दो अलग-अलग नंबर दिए जाते, एक नंबर पैसे जमा करने और बेटिंग आईडी में पॉइंट्स लेने के लिए और दूसरा नंबर पॉइंट्स को नकद में बदलवाने के लिए होता था.”
बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ के रहने वाले सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल दुबई से हवाला के ज़रिए पैसे भेजते थे. वहीं, सुनील दमानी और उनके भाई अनिल दमानी इन पैसों को भारत में राजनेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को रिश्वत के तौर पर पहुंचाने की व्यवस्था करते थे. छत्तीसगढ़ पुलिस के एएसआई चंद्रभूषण वर्मा कथित तौर पर इन पैसों की अंतिम डिलीवरी नेताओं और अधिकारियों तक पहुंचाने का काम संभालते थे.
भारतीय शेयर बाजारों पर डालते थे असर
ED के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि यह घोटाला न केवल जुआ है, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग का बड़ा नेटवर्क है. यह स्टॉक मार्केट को भी प्रभावित कर रहा. इडी ने दावा किया है कि सट्टेबाज़ी से कमाए गए धन को मॉरीशस और दुबई में स्थित विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) के माध्यम से भारतीय शेयर बाजार में लगाया गया.
इन फंड्स का इस्तेमाल कथित तौर पर कुछ छोटे और मझोले उद्यमों (SMEs) के शेयरों की कीमतों को आर्टिफिशियली बढ़ाने के लिए किया जा रहा था. इससे छोटे निवेशकों को गुमराह किया गया और कंपनियों के वेल्यू को ऊंचा दिखाया गया.



