
संवाददाता
नई दिल्ली। आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई हुई. इस सुनवाई के दौरान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेश के अनुपालन में उसके समक्ष उपस्थित हुए. इस दौरान उन्होंने आवारा कुत्तों के काटने की समस्या के मुद्दे पर अनुपालन हलफनामा दाखिल न करने के लिए बिना शर्त माफ़ी मांगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह कुत्तों के काटने के पीड़ितों की भी सुनवाई करेगा और मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर को तय की है.
27 अक्टूबर को पिछली सुनवाई के दौरान तेलंगाना और पश्चिम बंगाल को छोड़ अन्य किसी भी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ने अपना पक्ष नहीं रखा था, जिस पर कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया और अन्य राज्यों की तरह दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को पेश होने का निर्देश दिया है.
दिल्ली में स्ट्रीट डॉग के आतंक को लेकर पहले से कोर्ट में में मामला विचाराधीन है, इधर सुप्रीम कोर्ट आवारा कुत्तों के आतंक और पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 के कार्यान्वयन से संबंधित एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रहा है.
इससे पहले 22 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के संदर्भ में महत्वपूर्ण आदेश दिया था. बाद में कोर्ट ने पहले के एक आदेश को संशोधित किया, जिसमें सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखने का निर्देश दिया गया था, जिसे “बहुत कड़ा” माना गया. संशोधित आदेश में कहा गया कि आवारा कुत्तों को नसबंदी, डी-वर्मिंग और टीकाकरण के बाद उसी इलाके में वापस छोड़ना होगा जहां से उन्हें पकड़ा गया था, बशर्ते वे आक्रामक या रैबीज से ग्रसित न हों.
दिल्ली में स्ट्रीट डॉग की वर्तमान स्थिति
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के पास कई सालों से आवारा कुत्तों की कोई आधिकारिक गणना नहीं है. पिछली गणना के बाद, अनुमानित संख्या में काफी वृद्धि हुई है.
साल 2009 में दिल्ली में 5.6 लाख आवारा कुत्ते पाए गए
वर्ष 2009 में हुई पिछली गणना में दिल्ली में लगभग 5.6 लाख आवारा कुत्ते पाए गए थे. विभिन्न अनुमानों और हालिया सर्वेक्षणों के अनुसार, वर्तमान में यह संख्या लगभग 8 लाख से 10 लाख तक हो सकती है.
दिल्ली में करीब 8 लाख कुत्ते
स्ट्रीट डॉग को लेकर काम कर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल भी कोर्ट में बता चुके हैं कि दिल्ली में कम से कम 8 लाख से अधिक स्ट्रीट डॉग होंगे. कुत्तों के काटने की घटनाओं में वृद्धि के कारण, यह मुद्दा सार्वजनिक चिंता का विषय बन गया है, और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं.



