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दिल्ली को जानलेवा प्रदूषण से राहत देने के लिए कृत्रिम वर्षा के विमान ने भरी उड़ान

संवाददाता

नई दिल्ली। घातक प्रदूषण की मार झेल रही दिल्ली को राहत दिलाने के लिए कृत्रिम वर्षा से राहत देने का प्रयास जारी है। आईआईटी कानपुर ने इस ओर बड़ी सफलता हासिल की है। आइआइटी कानपुर के विज्ञानियों की टीम ने दिल्ली में डेरा डाला है।

23 अक्टूबर को आईआईटी के विशेष विमान सेसना ने दिल्ली तक परीक्षण उड़ान भी भरी थी। लेकिन बादलों में नमी अधिक होने की वजह से यह प्रयास पूरा नहीं हो सका। अब 28 अक्टूबर यानी मंगलवार को आज आईआईटी कानपुर के विमान ने फिर से दिल्ली के लिए सफल उड़ान भरी है।

दिल्ली में कृत्रिम वर्षा करने के लिए आईआईटी कानपुर के लिए विमान ने मंगलवार दोपहर में उड़ान भरी है । दिल्ली का मौसम अनुकूल रहने पर कृत्रिम वर्षा का प्रयास आज सफल हो सकता है । दिल्ली में कृत्रिम वर्षा करने के लिए आईआईटी कानपुर की टीम आज सुबह से ही पूरी तरह से तैयार थी ।

दोपहर में मौसम का अनुकूल संकेत मिलते ही लगभग 12:15 बजे आइआइटी की हवाई पट्टी से कृत्रिम वर्षा कराने वाला सेसना विमान दिल्ली के लिए उड़ान भर गया।

आईआईटी निदेशक प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली के मौसम पर आज के अभियान की सफलता निर्भर करेगी । विमान के लौट कर आने के बाद अगला अपडेट मिल सकेगा । कृत्रिम वर्षा कराने के लिए हमारी तैयारी पूरी है। मौसम भी अनुकूल दिखाई दे रहा है।

बादलों में नमी कम होने से नहीं हुई थी कृत्रिम वर्षा

दिल्ली में कृत्रिम वर्षा कराने की तैयारी में लगी आइआइटी विज्ञानियों की टीम ने अपने उपकरणों का सफल परीक्षण पूरा कर लिया था। निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने बताया कि 23 अक्टूबर को लगभग चार घंटे की उड़ान के दौरान आइआइटी के सेसना विमान ने बुराड़ी के ऊपर बादलों में केमिकल का छिड़काव किया। बादलों में नमी की मौजूदगी कम होने की वजह से वर्षा नहीं हो सकी थी। इसलिए अब अब नमी वाले बादलों के आने का इंतजार था।

जानें क्या थी पायलट की रिपोर्ट

पायलट की रिपोर्ट और विंडी प्रोफेशनल सिस्टम के डेटा के अनुसार, गुरुवार को दिल्ली के आसमान में अधिक बादल नहीं थे। केवल बुराड़ी के पास दो छोटे बादल के क्षेत्र परीक्षण के लिए पहचाने गए। इन क्षेत्रों में फ्लेयर्स सफलतापूर्वक फायर किए गए, जिससे विमान और सीडिंग उपकरण की संचालन क्षमता की पुष्टि हुई।

कैसे होती है आर्टिफिशयल रेन

उड़ान पाइरो विधि के जरिये संचालित की गई, जिसमें विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए फ्लेयर्स जिनमें सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड यौगिक होते हैं, विमान से छोड़े गए और वातावरण में उत्सर्जित किए गए। यह तकनीक पर्याप्त नमी होने पर बादल निर्माण को बढ़ावा देती है। दिल्ली के लगभग 100 किमी दायरे में वर्षा कराई जा सकती है। इससे वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकेगा। आइआइटी कानपुर के विशेष सेसना विमान के पंखों में विशेष मिश्रण भर दिया गया है। बादलों के बीच में विमान जब पहुंचता है तब नियंत्रित फायरिंग के जरिए मिश्रण का छिड़काव बादलों में किया जाता है। इससे बादलों में संघनन की प्रक्रिया तेज होती है और वर्षा शुरू हो जाती है।

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