
संवाददाता
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को उस समय एक नाटकीय दृश्य देखने को मिला जब एक वकील ने कथित तौर पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई पर हमला करने की कोशिश की और उनकी ओर जूता फेंका. यह घटना उस समय हुई , जब कोर्ट में कार्यवाही चल रही थी.
यह घटना मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामलों के उल्लेख के दौरान हुई. वकील जैसे ही मंच के पास पहुंचा सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और उसे कोर्ट रूम से बाहर ले गए. घटना से परिचित लोगों के अनुसार वकील की पहचान राकेश किशोर के रूप में हुई है.
‘सनातन का अपमान नहीं सहेंगे’
जब उस वकील को सुरक्षाकर्मी ले जा रहे थे, तब उन्हें यह चिल्लाते हुए सुना गया, ‘सनातन का अपमान नहीं सहेंगे.’ कोर्ट रूम में कुछ देर तक हंगामा भी हुआ. हालांकि, मुख्य न्यायाधीश कोर्ट रूम में हुए इस संक्षिप्त हंगामे से शांत और अविचलित दिखाई दिए, उन्होंने कोर्ट रूम में वकीलों से दिन की कार्यवाही जारी रखने का आग्रह किया.
‘ये बातें मुझे प्रभावित नहीं करतीं’
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “इस सब से विचलित न हों. हम विचलित नहीं हैं. ये बातें मुझे प्रभावित नहीं करतीं.” बता दें कि 18 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश ने भगवान विष्णु की मूर्ति के पुनर्निर्माण से संबंधित एक मामले में अपनी टिप्पणियों के संबंध में ऑनलाइन आलोचनाओं की पृष्ठभूमि में कहा था कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं.
भगवान विष्णु की मूर्ति के पुनर्निर्माण को लेकर याचिका खारिज
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली पीठ ने सितंबर में मध्य प्रदेश में यूनेस्को विश्व धरोहर खजुराहो मंदिर परिसर के अंतर्गत आने वाले जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची मूर्ति के पुनर्निर्माण और पुनः स्थापना के निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी. यह याचिका राकेश दलाल नामक व्यक्ति ने दायर की थी.
दलाल ने मध्य प्रदेश के खजुराहो स्मारक समूह के अंतर्गत आने वाले जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची सिर कटी मूर्ति को पुनर्स्थापित करने के निर्देश देने की मांग की थी. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि मुगल आक्रमणों के दौरान मूर्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था और बार-बार अनुरोध के बावजूद अधिकारी इसे पुनर्स्थापित करने में विफल रहे हैं.
‘हर एक्शन का समान रीएक्शन होता है’
18 सितंबर को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह पिछले 10 साल से मुख्य न्यायाधीश को जानते हैं. मेहता ने कहा, “यह गंभीर भी है हम न्यूटन के नियम को जानते थे कि हर एक्शन की समान रीएक्शन होता है… अब हर एक्शन की सोशल मीडिया पर असमान रिएक्शन होता है.” मेहता ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश सभी धार्मिक स्थलों का दौरा कर चुके हैं.
कोर्ट रूम में मौजूद वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा, “हम हर दिन कष्ट झेलते हैं. यह एक बेलगाम घोड़ा है, इसे काबू में करने का कोई तरीका नहीं है.”
इससे पहले 16 सितंबर को याचिकाकर्ता के वकील ने मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दलील दी कि मूर्ति का सिर जर्जर हो चुका है और उन्होंने अदालत से हस्तक्षेप कर उसके पुनर्निर्माण की अनुमति देने का निर्देश देने का अनुरोध किया. पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील को स्पष्ट कर दिया कि वह उनकी याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है, क्योंकि यह मामला पूरी तरह से विवादास्पद है.



