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राजस्थान में शराब के शौकीन भी कर रहे हैं “पवित्र गाय” की मदद !

राजस्थान इकलौता ऐसा राज्य है,जहां 8 साल से शराब या बीयर पीने वालों को गाय की सेवा के लिये भी टैक्स चुकाना पड़ता है

नरेन्द्र भल्ला

कहावत है कि देश में शराब के शौकीन लोगों की ही इकलौती ऐसी जमात है,जो सबसे ज्यादा टैक्स देकर सरकारों के खजाने भरती है। लेकिन जानकर हैरानी होगी कि राजस्थान इकलौता ऐसा राज्य है,जहां शराब या बीयर पीने वालों को गाय की सेवा के लिये भी टैक्स चुकाना पड़ता है। वहां के सभी बार के अलावा शराब-बियर परोसने वाले रेस्टोरेंट के लिये भी यह अनिवार्य कानून है,जो पिछले 8 साल से लागू है। मजे की बात ये है कि इस दौरान राज्य में पांच साल तक कांग्रेस की सरकार रही लेकिन उसने भी इस कानून को बदस्तूर जारी रखा।

साल 2018 में वसुंधरा राजे सरकार द्वारा बनाया गया यह कानून अचानक से सुर्खियों में तब आया,जब हाल ही में जोधपुर के एक बार का बिल सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने लगा। जाहिर है कि इससे शराब पीने वालों का हैरान होना स्वाभाविक था क्योंकि लोगों ने बिल चुकाते वक़्त इस टैक्स पर कभी गौर ही नहीं किया होगा। इस बिल में शराब पर GST और VAT के अलावा 20% अतिरिक्त गौ-टैक्स (Cow Cess) वसूला गया है। अब यह टैक्स सोशल मीडिया पर बहस का विषय बन गया है।

एक न्यूज चैनल ने इस पूरे मामले को कवर करते हुए बताया है कि मामला 30 सितंबर का है। जोधपुर के एक मशहूर होटल के बार में एक ग्राहक ने कुछ अमेरिकन कॉर्न फ्रिटर्स और 6 बीयर ऑर्डर की। कुल बिल 2650 रुपये का बना लेकिन ग्राहक ने 3262 रुपये चुकाए। इतना बड़ा फर्क GST, VAT और सबसे चौंकाने वाली बात 20% गौ-टैक्स के कारण आया। यानी, बीयर पीने वाले ग्राहक को गाय की रक्षा और संरक्षण के लिए भी अपनी जेब ढीली करनी पड़ी। होटल के मैनेजर ने भी चैनल से बातचीत में इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि यह कोई नई बात नहीं है, बल्कि यह कानूनन अनिवार्य है।

उनके मुताबिक यह सरकारी नोटिफिकेशन साल 2018 से लागू है। लेकिन यह गौ-टैक्स सिर्फ बीयर और शराब की बिक्री पर लिया जाता है, खाने पर नहीं। मैनेजर के अनुसार, “हम इस पैसे को ऑनलाइन सरकारी पोर्टल पर ‘गौ संरक्षण और संवर्धन उपकर’ के रूप में जमा कराते हैं। कई होटल इसे सिर्फ ‘सरचार्ज’ लिखकर छोड़ देते हैं, लेकिन हमने इसे बिल में ‘गौ-सेस’ के रूप में स्पष्ट रूप से लिखा।”

दरअसल,गौ-सेस की शुरुआत पहली बार 2017 में वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में हुई थी, जब स्टाम्प ड्यूटी पर 10% सरचार्ज लगाकर गौ-टैक्स शुरू किया गया था। 22 जून 2018 को, वसुंधरा राजे सरकार ने ही विदेशी शराब, भारतीय निर्मित विदेशी शराब (IMFL) और देशी शराब पर 20% सरचार्ज लगाने का नोटिफिकेशन जारी किया था। इसका उद्देश्य गौशालाओं को समर्थन देना और राज्य में गाय संरक्षण को बढ़ावा देना था, जो बीजेपी के लिए एक राजनीतिक प्रतीक भी है। दिलचस्प बात यह है कि इसके बाद राजस्थान में आई कांग्रेस सरकारों ने भी इस ‘गौ-टैक्स’ को जारी रखा।

अनुमान के मुताबिक राज्य सरकार हर साल गौ-संरक्षण पर 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करती है, जिसमें से 600 करोड़ सिर्फ गौशालाओं के अनुदान के लिए है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

 

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