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क्या इसलिये हो रहा है इंतज़ार “ऑपेरशन सिंदूर” 2.0 का ?

नरेन्द्र भल्ला

नई दिल्ली। पुरानी कहावत है कि “कुत्ते की पूंछ को अगर आप 12 साल बाद भी भोंगली से निकालेंगे, तो वह टेढ़ी की टेढ़ी ही रहेगी।” कुछ यही हाल हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का भी है। देश-दुनिया में जो लोग ये सोच रहे थे कि “ऑपरेशन सिन्दूर ” में अपने आतंकी कैम्पों की तबाही देखकर अमेरिका के आगे युद्ध-विराम करवाने की फरियाद करने वाला पाकिस्तान अब तो सुधर जायेगा। जी नहीं,यह सिर्फ गलतफहमी थी और पाकिस्तान ने अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने की तैयारी फिर से शुरु कर दी है।

हमारी खुफिया एजेंसियों को ठोस सुराग मिले हैं कि पीओके और पाकिस्तानी पंजाब में ट्रेनिंग कैम्प नेस्तनाबूद होने के बाद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन अब अफगानिस्तान सीमा के पास खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में अपने नए ट्रेनिंग कैम्प स्थापित कर रहे हैं। साथ ही पुराने कैंपों का विस्तार भी कर रहे हैं,ताकि भारत के खिलाफ ज्यादा आतंकी तैयार किये जा सकें। सीमापार से जो पुख्ता सूचनाएं मिल रही हैं,उसके मुताबिक आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा भी ऑपरेशन सिंदूर में ध्वस्त हुए अपने ट्रेनिंग सेंटरों की भरपाई करने के लिए खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में नया ट्रेनिंग सेंटर बना रहा है।

आतंक को पालने-पोसने और भारत के खिलाफ प्रायोजित करने वाली पाकिस्तान की आईएसआई और वहां की सरकार चाहे जितनी चालाकी कर ले कि कोई उसकी हरकत देख न पाये लेकिन हकीकत ये है कि हमारी सुरक्षा-खुफिया एजेंसियां,उससे कई गुना आगे हैं। ये दौर अत्याधुनिक तकनीक का है,जहां सेटेलाइट के जरिये अपने पड़ोसी मुल्क की हर नापाक हरकत का आसानी से पता लगाया जा सकता है। हमारी एजेंसियों के कुछ विशेषज्ञों को इसमें महारत भी हासिल है।

सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों की मानें,तो फिलहाल जो तस्वीरें सामने आई हैं,उसके मुताबिक लश्कर ए तैयबा अफगानिस्तान सीमा से महज 47 किलोमीटर दूर खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के लोवर डिर जिले के कुम्बन मैदान इलाके में आतंकियों की ट्रेनिंग और रहने के लिए एक नया सेंटर बना रहा है.इसका नाम रखा गया है- मरकज जिहाद-ए अक्सा।

बताया गया है कि लश्कर-ए-तैयबा ने इस नए ट्रेनिंग सेंटर को बनाने की शुरुआत ऑपरेशन सिंदूर के दो महीने बाद यानी जुलाई से की थी। सेंटर की पहली मंजिल का ढांचा खड़ा हो गया है और फिलहाल उस पर आरसीसी छत बनाने का काम चल रहा है। इस नए आतंकी सेंटर का निर्माण लश्कर-ए-तैयबा नवनिर्मित मस्जिद जामिया अहले सुन्नाह के ठीक बगल में खाली पड़ी जमीन पर कर रहा है,जहां पहले से ही उसका एक कैम्प है। खुफिया सूचनाओं के अलावा सैटेलाइट तस्वीरों से पुष्टि होने के बाद ही हमारी एजेंसियों ने यह दावा किया है।
वैसे भी देखा जाये, तो लश्कर ए तैयबा का मस्जिद की आड़ में आतंक के ट्रेनिंग कैम्प चलाने का इतिहास काफी पुराना है। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए उसने पहले से मौजूद मस्जिद जामिया अहले सुन्नत को नया रंग-रुप दिया है और उससे सटकर ही ट्रेनिंग कैम्प बना रहा है, ताकि मस्जिद की आड़ में उसके आतंक का कारोबार चलता रहे।

अब तक जो सूचनाएं मिली हैं,उसके अनुसार इस इस ट्रेनिंग कैम्प में लश्कर ए तैयबा अपने दो प्रमुख ट्रेनिंग प्रोग्राम चलायेगा, जिसके नाम होंगे– दौरा-ए-खास और दौरा-ए-लश्कर । ट्रेनिंग सेंटर के संचालन की जिम्मेदारी आतंकी संगठन ने अपने प्रमुख कमांडरों में से एक नसर जावेद को दी है, जो भारत में 2006 में हैदराबाद में हुए ब्लास्ट का संयुक्त मास्टरमाइंड रहा है।

पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर भारत के खिलाफ तैयार हो रही इस आतंकी साजिश को ध्यान में रखते हुए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत हमारे तीनों सेनाध्यक्ष यह दोहरा रहे हैं हैं कि ऑपेरशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है। यानी ऑपेरशन 2.0 की तैयारी पूरी है। इंतजार है तो सिर्फ दुश्मन की एक हरकत करने का।

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