
संवाददाता
नई दिल्ली। केंद्र सरकार दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में दस दिनों के अंदर आवास उपलब्ध कराएगा. इस बात की सूचना आज केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच को दी. सुनवाई के दौरान मेहता ने इस बात पर कटाक्ष किया था कि आम आदमी बंगला के लिए नहीं लड़ा करते हैं. हाईकोर्ट ने 18 सितंबर को कहा था कि केजरीवाल को दिल्ली में आवास उपलब्ध कराने का फैसला प्रशासन की मनमर्जी से नहीं हो सकता है.
कोर्ट ने केंद्रीय आवास और शहरी मंत्रालय के संपदा निदेशक को तलब किया था. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने 35, लोदी इस्टेट का टाइप 8 बंगला केजरीवाल के आवास के लिए आवंटित करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन 24 जुलाई को इस बंगले को वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी को आवंटित कर दिया गया. 16 सितंबर को कोर्ट ने आवास की मांग पर फैसला करने में देरी करने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी.
सरकारी आवास के आवंटन का प्रावधान
कोर्ट ने कहा था कि ऐसा लगता है कि सरकार ये तय नहीं कर पा रही है कि किसे आवास दिया जाए और किसे नहीं. याचिका आम आदमी पार्टी ने दायर किया था. सुनवाई के दौरान आम आदमी पार्टी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कहा था कि राजनीतिक दलों के लिए आवास आवंटन को लेकर जारी दिशानिर्देश के तहत किसी भी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के मुखिया को अगर कोई आवास नहीं है या उसे किसी दूसरे प्रावधान के तहत आवास उपलब्ध नहीं कराया गया है तो दिल्ली में एक सरकारी आवास के आवंटन का प्रावधान है.
आम आदमी पार्टी की याचिका
याचिका में कहा गया था कि आम आदमी पार्टी एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल है और अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं. याचिका में कहा गया था कि केजरीवाल दिल्ली में सरकारी आवास पाने की सभी अहर्ताएं पूरी करते हैं. याचिका में मांग की गई थी कि अरविंद केजरीवाल को केंद्रीय दिल्ली में आवास उपलब्ध कराने का आदेश जारी किया जाए.
याचिका में कहा गया था कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद 4 अक्टूबर 2024 को आवंटित सरकारी आवास छोड़ दिया था. याचिका में कहा गया था कि आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में सरकारी आवास उपलब्ध कराने के लिए 20 सितंबर 2024 को प्रशासन को पत्र लिखा था. उसके बाद भी पत्र लिखे गए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. याचिका में कहा गया था कि इसके पहले हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी को दफ्तर आवंटित करने का आदेश दिया था.



