
संवाददाता
लखनऊ । उत्तर प्रदेश देश में सबसे ज्यादा कमाई करने वाला राज्य बन गया है। ₹37,000 करोड़ के रेवेन्यू सरप्लस के साथ इसने देश के सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। ये तब हुआ है, जब यहाँ पेट्रोलियम पर सबसे कम टैक्स लिया जाता है। एक वक्त था जब उत्तर प्रदेश बीमारू राज्यों में गिना जाता था। लेकिन अब देश का सबसे ‘उत्तम प्रदेश’ बन गया है।
सबसे ज्यादा रेवेन्यू सरप्लस वाला राज्य बना उत्तर प्रदेश
नियंत्रक महालेखा परीक्षक यानी सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022-23 के दौरान देश के 16 राज्यों में रेवेन्यू सरप्लस थे, जिसमें उत्तर प्रदेश 37,263 करोड़ रुपए के साथ सबसे ऊपर था, उसके बाद गुजरात और ओडिशा का स्थान आता है।
15वें वित्त आयोग ने राज्यों के लिए राजकोषीय उत्तरदायित्व निर्धारित किए थे। इसमें राज्यों को 2022-23 के दौरान राजस्व घाटा खत्म करने और राजस्व सरप्लस पर जोर दिया गया था उत्तर प्रदेश ने योगी सरकार के दौरान राजस्व संग्रह सिस्टम और प्रबंधन के क्षेत्र में काफी सुधार किए हैं। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है।
सीएजी के मुताबिक, “31 मार्च 2023 तक, कुल 28 राज्यों में से 16 राज्य राजस्व अधिशेष में थे और 12 राजस्व घाटे में थे।”
जिन 16 राज्यों की राजस्व अधिशेष उनके राजस्व व्यय से ज्यादा थे, उनमें उत्तर प्रदेश के बाद गुजरात का नंबर आता है, जहाँ 19,865 करोड़ रुपए के राजस्व अधिशेष रहा। इसके बाद ओडिशा (19,456 करोड़ रुपये), झारखंड (13,564 करोड़ रुपये), कर्नाटक (13,496 करोड़ रुपये), छत्तीसगढ़ (8,592 करोड़ रुपये), तेलंगाना (5,944 करोड़ रुपये), उत्तराखंड (5,310 करोड़ रुपये), मध्य प्रदेश (4,091 करोड़ रुपये) और गोवा (2,399 करोड़ रुपये) का स्थान है। पूर्वोत्तर राज्यों में अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, त्रिपुरा, सिक्किम और मणिपुर भी राजस्व अधिशेष वाले राज्य है।
घाटे वाले 12 राज्यों का संयुक्त राजस्व घाटा 2,22,648 करोड़ रुपए था। 2022-23 में राज्यों के राजस्व घाटे को पाटने के लिए वित्त आयोग ने 86,201 करोड़ रुपए का अनुदान दिया, जो कुल राजस्व घाटे का 39 % था। सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि 12 राज्य ऐसे थे जिनका राजस्व व्यय उन्हें मिलने वाले राजस्व से अधिक था।
राजस्व घाटे वाले राज्य आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, मेघालय, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल थे। बिहार, केरल, मेघालय और महाराष्ट्र में राजस्व की प्राप्ति राजस्व व्यय का 90-100 फीसदी रहा। यानी राजस्व घाटा 0-10 फीसदी तक रहा।
12 राज्यों को अभी भी हो रहा घाटा
असम, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में राजस्व प्राप्तियाँ राजस्व व्यय का 80-90 प्रतिशत थीं। यानी राजस्व घाटा 10-20 फीसदी रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि आंध्र प्रदेश और पंजाब ऐसे राज्य रहे, जहाँ राजस्व की प्राप्ति राजस्व व्यय का 75-80 प्रतिशत थीं। राजस्व घाटा 20-25 फीसदी था
रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 में राजस्व घाटा अनुदान राज्यों को दिए गए कुल वित्त आयोग अनुदान का 50 प्रतिशत था।
अनुदान पाने वाले राज्यों में बंगाल अव्वल
राजस्व घाटा अनुदान का सबसे बड़ा हिस्सा पश्चिम बंगाल को मिला। उसे कुल अनुदान का 15.76 फीसदी दिया गया, ताकि वह अपने राजस्व घाटे को पाट सके। दूसरे नंबर पर केरल है, जिसे कुल अनुदान का 15.28 प्रतिशत मिला। इसके बाद आंध्र प्रदेश (12.24 प्रतिशत), हिमाचल प्रदेश (10.88 प्रतिशत), पंजाब (9.60 प्रतिशत), उत्तराखंड (8.28 प्रतिशत), असम (5.67 प्रतिशत), राजस्थान (5.64 प्रतिशत), नागालैंड (5.26 प्रतिशत) और त्रिपुरा (5.13 प्रतिशत) का स्थान आता है।
बंगाल- केरल समेत 10 राज्यों को वित्त आयोग राजस्व घाटा अनुदान का लगभग 94 प्रतिशत दिया गया।
हरियाणा के टैक्स सिस्टम में जबरदस्त सुधार
सीएजी की रिपोर्ट में कुछ ऐसे राज्य भी चर्चा की गई है जिसने अपने टैक्स सिस्टम को मजबूत किया है। इससे उनकी अर्थव्यवस्था पहले से मजबूत हुई है। इसमें पहले नंबर पर हरियाणा है, जो कुल आय का 80 फीसदी हिस्सा खुद कमाता है। दूसरे नंबर पर तेलंगाना है और फिर महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और गोवा का नंबर आता है।



